ओजोन परत में छिद्र के कारण, ओजोन परत का महत्व : ओजोन परत क्या है ? ( What is Ozone Layer? ), ओजोन परत का महत्व ( importance of ozone layer in hindi ), ओजोन परत में छिद्र के कारण आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।
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ओजोन परत (Ozone Layer)
ओजोन परत (Ozone Layer) क्या है ? ( What is Ozone Layer? )
पृथ्वी के वायुमंडल में करीब 3 किलोमीटर मोटी एक परत है जिसे हम “ओजोन परत” के नाम से जानते हैं। ओजोन एक वायुमंडलीय गैस है जिसका निर्माण तीन ऑक्सीजन परमाणुओं के जुड़ने से होता है। ओजोन गैस की खोज एक जर्मन वैज्ञानिक क्रिश्चियन फ्रेडरिक श्योनबाइन द्वारा सन 1839 में की गयी थी। ओजोन गैस एक प्रतिक्रियाशील एवं अत्यधिक अस्थायी गैस है जिसका रंग हल्का नीला होता है। ओजोन गैस की गंध बहुत तीव्र एवं तीखी होती है। ओजोन गैस ऊपरी वायुमंडल यानी समतापमंडल (Stratosphere) में अत्यंत पारदर्शी एवं पतली परत के रूप में उपस्थित है। वायुमंडल में ओजोन परत अत्यंत दुर्लभ रूप में पायी जाती है। पढ़ें – सौर मंडल (Solar System)।
ओजोन परत का महत्व ( importance of ozone layer in hindi )
पृथ्वी पर जीवन के लिए ओजोन परत अत्यंत आवश्यक है। ओजोन परत जीवन की रक्षा करने का कार्य करती है। दरअसल, सूर्य से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणें बेहद खतरनाक होती हैं। इसके हानिकारक प्रभाव से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी होने का खतरा हो सकता है। ओजोन परत इन खतरनाक रेडिएशन को सीधा धरती पर आने से रोकने का कार्य करती हैं। ओजोन परत सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों का लगभग 99 प्रतिशत भाग सोख लेती हैं जिससे पृथ्वी पर मौजूद वनस्पति एवं प्राणी इसके हानिकारक प्रभाव से बचे रहते हैं। ओजोन परत को पृथ्वी का सुरक्षा कवच भी कहा जाता है।
ओजोन परत में छिद्र के कारण ( Causes of hole in the ozone layer in hindi )
वैज्ञानिकों का मानना है कि तेज हवाएं जब बर्फीली चोटियों के ऊपर की जमा देने वाली हवाओं में लगातार कई दिनों तक फंसी रहती हैं तब वहां एक ‘पोलर वर्टेक्स’ का निर्माण होता है। दरअसल, ध्रुवीय क्षेत्रों में ऊपरी वायुमंडल में चलने वाली तीव्र चक्रीय हवाओं को पोलर वर्टेक्स के नाम से जाना जाता है। यह दबाव पूरी मजबूती से अपने ही चारों ओर घूर्णन करती हैं जिसे एक शक्तिशाली ऊर्जा का निर्माण होता है और इसके परिणामस्वरूप समताप मंडल की ओजोन परत में छेद हो जाता है।
ओजोन परत में होने वाले छिद्र का प्रमुख कारण धरती पर बढ़ता प्रदूषण है। दरअसल, मानवीय क्रियाकलापों के कारण पृथ्वी पर कुछ ऐसी गैसों की मात्रा को बढ़ावा मिला जिससे ओजोन परत को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा। वैज्ञानिकों के अनुसार, रोजाना दैनिक सुख सुविधाओं के उपकरणों को इस्तेमाल करने के दौरान वातावरण में कार्बन टेट्राक्लोराइड, मिथाइल क्लोरोफॉर्म, हैलोजन एवं क्लोरो फ्लोरो कार्बन जैसी हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है जिससे ओजोन परत धीरे-धीरे नष्ट होती जा रही है।
पृथ्वी के उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव के पास के वातावरण में बेहद कम तापमान होता है जिसके चलते ओजोन की मात्रा में कमी आती है। दरअसल, कम तापमान के कारण ध्रुवों के ऊपर के बादल आपस में मिलकर एक बड़े पिंड का आकार ले लेते हैं और उद्योग मीलों से निकलने वाली ब्रोमीन एवं क्लोरीन गैस के कारण इन बादलों में एक रासायनिक प्रतिक्रिया होती है जिसके कारण हर वर्ष ओजोन परत का क्षरण होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, ओजोन परत में छिद्र का मुख्य कारण फैक्ट्री एवं विभिन्न प्रकार के उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण है। फैक्ट्री से कई प्रकार के खतरनाक रसायन हवा में फैल जाते हैं जिससे ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है।
अंटार्कटिका के ऊपर प्रतिवर्ष बसंत ऋतु में रासायनिक अभिक्रिया द्वारा वायुमंडलीय ओजोन परत क्षीर्ण हो जाती है जिससे ओजोन परत में छिद्र का निर्माण होता है। इन रासायनिक प्रतिक्रियाओं एवं मौसम में बदलाव के कारण अंटार्कटिक ओजोन परत को ओजोन छिद्र के रूप में जाना जाता है। सर्दियों के दिनों में अंटार्कटिक ओजोन परत गंभीर रूप से कमजोर होने लगती है जिसके कारण ओजोन छिद्र में वृद्धि होती है।