कल्ला जी राठौड़ - राजस्थान के लोक देवता

कल्ला जी राठौड़ – राजस्थान के लोक देवता

कल्ला जी राठौड़ राजस्थान के लोक देवता : राजस्थान के लोक देवता कल्ला जी राठौड़ ( Kallaji Rathore ) को राजस्थान सहित कई राज्यों में देवता के रूप में पूजा जाता है। कल्ला जी राठौड़ राजस्थान के एक राजपूत योद्धा थे। (rajasthan ke lok devta notes hindi me)

  • कल्ला जी का जन्म 1544 ई. (वि.स. 1601) में आश्विन शुक्ल अष्टमी को सामियाना, मेड़ता (नागौर) में हुआ था।
  • राठौड़ जी के दादा दूदाजी व पिता अचलसिंह मेड़ता के शासक थे।
  • कल्ला जी का उनके पिता की मृत्यु के बाद लालन-पालन इनके ताऊ जी उम्मेद सिंह ने किया था। कल्ला जी पत्नी का नाम कृष्णाजी था।
  • मीराबाई कल्ला जी बुआ लगती थी।
  • कल्ला जी को चार हाथों वाले देवता, कल्ला, कल्याण, कमधज आपि उपनामों से जाना जाता है।
  • कल्ला जी औषधि विज्ञान के कुशल चिकित्सक थे।
  • नागणेची कल्ला जी इनकी कुलदेवी थी। इन्हीं की अराधना करते हुए कल्ला जी योग का अभ्यास करते थे।
  • भैरव जी के साक्षात दर्शन होने के बाद ही कल्ला जी ने योगी भैरवनाथ जी को अपना गुरू मान लिया था।
  • कल्ला जी 16 वर्ष की उम्र में मारवाड़ से मेवाड़ महाराणा उदयसिंह की शरण में आ गए थे। कल्ला जी के चचेरे भाई जयमल राठौड़ की वजह से काफी कम समय में ही कल्ला जी ने उदयसिंह का विश्वास जीत लिया।
  • महाराणा उदयसिंह द्वारा कल्ला जी को रूण्डेला तथा रुणढालपुर की जागीरें प्रदान की गई थी।
  • 1568 ई. में अकबर द्वारा चितौड़ दुर्ग पर आक्रमण किया तो महाराणा उदयसिंह ने दुर्ग की रक्षा का भार जयमल व कल्ला जी को सौंपा था और स्वयं सुरक्षित स्थान पर चले गए। युद्ध के समय जयमल को पैर में अकबर द्वारा गोली मार दी गयी तब कल्ला जी ने जयमल को अपने कंधो पर बैठाकर युद्ध लड़ा है और चार हाथों से तलवारें चलने लगी तो लोग आश्चर्य चकित हो गये इसलिये कल्ला जी को चार हाथों वाला देवता कहा जाता है।
  • कल्ला जी राठौड की छतरी चितौड़गढ़ दुर्ग में भैरवपोल नामक स्थान पर बनी हुई है जहाँ पर साप्ताहिक चौकी लगती है।
  • कल्ला जी का मंदिर सामलिया डूंगरपुर तथा रनेला चितौड़गढ में स्थित है।

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