कुपोषण क्या है ? (What is Malnutrition in hindi)
शरीर को आवश्यक संतुलित आहार लंबे समय न मिल पाने की वजह से प्रतिरोधक क्षमता में कमी होना ही कुपोषण कहलाता है, जिसका शिकार अधिकांशतः महिलाएं एवं बच्चे होते है। कुपोषण के प्रभाव से महिलाएं एवं बच्चे कई तरीकों की बीमारियों से ग्रस्त रहते है। व्यक्ति के आहार में पोषक तत्वों की कमी के कारण भी व्यक्ति कुपोषण का शिकार बनता है। भोजन एवं पोषण की पर्याप्त मात्रा न मिलना कुपोषण का प्रमुख कारण है।
भारत में कुपोषण के कारण (Causes of Malnutrition in India in hindi) –
भारत में कुपोषण की समस्या को उत्पन्न करने वाले अनेक कारण है जो निम्नलिखित हैं –
गरीबी
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली कुल जनसंख्या का लगभग 25.7% तथा शहरी क्षेत्रों में 13.7% परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन व्यतीत करने वाले है। भारत में कुपोषण का एक प्रमुख कारण गरीबी को माना जाता है। एक शोध के अनुसार यह कहा गया है कि गरीबी की वजह से लोगों को न तो अच्छा भोजन प्राप्त हो पाता है और न ही स्वच्छ वातावरण और इन्हीं वजह से लोगों में कुपोषण की समस्या देखी जाती है।
पोषक आहार का अभाव
पोषक आहार की कमी भी कुपोषण का प्रमुख कारण है जिसकी वजह भोजन में पोषक तत्वों की कमी है। पोषक तत्वों से भरपूर भोजन को खाने में बच्चे अक्सर मना कर देते हैं क्योंकि उनमें स्वाद की कमी होती है। इस प्रकार के भोजन का सेवन करने की अपेक्षा वे जंग फ़ूड खाना ज्यादा पसंद करते है और इस प्रकार का भोजन करने का परिणाम कुपोषण होता है।
लिंग भेद
भारत में लिंग भेद यानि लड़का और लड़की में भेदभाव सदियों से चली आ रही एक बहुत बड़ी समस्या है। माता-पिता लड़कियों की अपेक्षा लड़कों पर अधिक ध्यान देते है वे लड़कों को ही शिक्षा व अच्छा आहार देते है और इन सबसे लड़की वंचित रह जाती है यही कारण है कि अधिकांशतः लड़कियों में कुपोषण की समस्या देखी जाती है।
बाल-विवाह
भारत में बालक एवं बालिकाओं का छोटी आयु में ही विवाह कर दिया जाता है जिससे वे कम उम्र में ही माँ-बाप बन जाते है और इनसे होने वाले बच्चे अधिकांशतः कुपोषित होते है। बच्चों के कुपोषण का एकमात्र कारण माता-पिता का उचित शारीरिक विकास न होना और माता का बच्चे को स्तनपान न करा पाना है। इसके अलावा गर्भधारण के समय पौष्टिक भोजन की कमी के कारण भी होने वाला बच्चा कुपोषित होता है। अतः बाल-विवाह भी कुपोषण का कारण है।
शिक्षा व ज्ञान की कमी
लोगों में शिक्षा व ज्ञान की कमी भी कुपोषण का कारण है कई मातायें अपने बच्चे को छह माह तक स्तनपान और पहला पीला गाढ़ा दूध को गंदा समझकर बच्चे को दूध नहीं पिलाती क्योंकि वह इस बात से परिचित नहीं होती है कि वह दूध बच्चे के लिए कितना पौष्टिक होता है। इसके अलावा आजकल बच्चे जंग-फ़ूड को अधिक पसंद करते हैं और माता पिता भी उनको ऐसा आहार करने से नहीं रोकते अतः इन सबका परिणाम यह होता है कि बच्चे कुपोषण का शिकार बन जाते है और शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते है।
अस्वच्छ पर्यावरण
अस्वच्छ पर्यावरण या वातावरण किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है क्योंकि ऐसा वातावरण विभिन्न बीमारियों को जन्म देती है जो कुपोषण का कारण बनते है। कई बच्चे पैसा कमाने के लिए कांच एवं चमड़े के कारखानों में कार्य करते है और इन कारखानों में कार्य करने से उनके स्वास्थ्य में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और बच्चे कुपोषण एवं अन्य बीमारियों का शिकार बन जाते है।
धार्मिक कारण
इंडियन जर्नल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन के अनुसार धार्मिक कारणों की वजह से भी लोगों में कुपोषण की समस्या देखी जाती है क्योंकि धार्मिक कारणों की वजह से लोगों में कुछ तरह के पौष्टिक आहार से युक्त भोजन का सेवन करना गलत समझा जाता है। जिससे उन्हें पूर्ण पोषण नहीं मिल पाता और वे कुपोषित हो जाते है।
कुपोषण के निवारण के लिए भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयास –
राष्ट्रीय पोषण नीति 1993 –
सरकार द्वारा राष्ट्रीय पोषण नीति को वर्ष 1993 में स्वीकार किया गया था। इस नीति के अंतर्गत कुपोषण को दूर करने और सभी के लिए पोषण के लक्ष्य को निर्धारित करते हुए बहु-सेक्टर संबंधी योजनाओं की वकालत की गई थी। यह योजना देशभर में पोषण के स्तर को बढ़ाने और कुपोषण को रोकने के लिए मशीनरी को संवेदनशील बनाने पर जोर देती है।
मिड-डे मील कार्यक्रम –
इस योजना की शुरुआत वर्ष 1995 में केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में की गई थी। यह योजना मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अंतर्गत आता है। बाद में इस योजना में व्यापक परिवर्तन करते हुए वर्ष 2004 में पका हुआ पौष्टिक भोजन देना आरम्भ किया गया। इस योजना का उद्देश्य कम से कम 200 दिनों के लिए निम्न प्राथमिक स्तर के लिए रोजाना न्यूनतम 300 कैलोरी व 8-12 ग्राम प्रोटीन एवं प्राथमिक स्तर के लिए न्यूनतम 700 ग्राम कैलोरी ऊर्जा व 20 ग्राम प्रोटीन प्राप्त करने का प्रावधान किया गया।
भारतीय पोषण कृषि कोष –
भारतीय पोषण कृषि कोष (BPKK) की स्थापना महिला बाल विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2019 में की गई थी जिसका उद्देश्य बहु क्षेत्रीय स्तर पर कुपोषण को दूर करने का प्रयास किया गया है। इसके अलावा इस योजना के तहत बेहतर पोषक उत्पादों के लिए 128 कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की फसलों के उत्पादन पर जोर दिया गया था।
पोषण अभियान –
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संपूर्ण देश में कुपोषण की समस्या को देखते हुए वर्ष 2017 में पोषण अभियान की शुरुआत की जिसके तहत देश के राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेशों के सभी जिलों के छोटे बच्चे, किशोरियों और महिलाओं में कुपोषण एवं एनीमिया को कम करने का प्रयास किया गया है।
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