कूका विद्रोह

कूका विद्रोह

कूका विद्रोह (पंजाब) : कूका विद्रोह की शुरुआत पंजाब में 1860-1870 ई० में एक धार्मिक आंदोलन के रूप में हुई थी। लेकिन धीरे-धीरे यह विद्रोह राजनीतिक विद्रोह के रूप में परिवर्तित हो गया। यह विद्रोह भी अंग्रेजों के विरुद्ध ही था जिसका मकसद अंग्रेजों को भारत से निकालना था।

कूका विद्रोह

  • सिखों के नामधारी संप्रदाय के लोग कूका भी कहलाते हैं और इन्हीं के द्वारा कूका विद्रोह को शुरू किया गया था।
  • कूका आंदोलन की शुरूआत भगत जवाहरमल (इनको ‘सियान साहब’ भी कहा जाता था) एवं उनके शिष्य बालक सिंह और राम सिंह के द्वारा पश्चिमी पंजाब में की गयी थी।
  • उन्होंने पूरे पंजाब को 22 जिलों में बाँटा था।
  • इस आंदोलन का उद्देश्य सिख धर्म में प्रचलित बुराइयों को खत्म करना था। जैसे जाति भेद-भाव, मांस, मदिरा एवं अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन करने से रोकना, अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन तथा महिलाओं में पर्दा प्रथा दूर करना इत्यादि था।
  • परन्तु बाद में ये धार्मिक आंदोलन, राजनीतिक आंदोलन में परिवर्तित हो गया।
  • जिससे अंग्रेज चिंतित हो गये तथा इसके दमन के प्रयास करने लगे।
  • 1882 में आंदोलन के एक प्रमुख नेता राम सिंह को अंग्रेजों द्वारा रंगून निर्वासित कर दिया गया, जहाँ 1885 में उनकी मृत्यु हो गयी।
  • बिना नेता ये आंदोलन कमजोर पड़ गया और धीरे-धीरे पूर्णतः खत्म हो गया।
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