कृषि क्रांति क्या है ? कृषि क्रांति के कारण और कृषि क्रांति के प्रकार ( krishi kranti ke karan ) : कृषि क्रांति क्या है ? कृषि क्रांति के कारण और कृषि क्रांति के प्रकार आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं। agricultural revolution in india upsc, types of agricultural revolution in hindi.
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कृषि क्रांति ( Agricultural Revolution )
जब कृषि क्षेत्र में विकास हेतु नए तकनीक एवं विभिन्न आविष्कारों उपयोग में लाया जाता है तो उसे कृषि क्रांति कहते हैं। कृषि क्रांति कृषि वस्तुओं के उत्पादन के तरीकों एवं उत्पादन दर में वृद्धि करते हैं जिससे किसानों एवं देश को आर्थिक रूप से बहुत लाभ मिलता है। भारत में कृषि को अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। भारत के कुल क्षेत्रफल के लगभग 51 प्रतिशत क्षेत्रफल में खेती की जाती है।
कृषि क्रांति के प्रकार ( types of agricultural revolution in hindi )
कुछ प्रमुख कृषि क्रांति के प्रकार यहाँ दिए गए हैं –
हरित क्रांति (Green Revolution)
भारत में हरित क्रांति को सन 1967-68 में लागू किया गया, इस नयी कृषि नीति में नई तकनीकों को प्रयोग में लाया गया एवं अधिक उपज देने वाले बीजों को बोया गया। इससे फसल के उत्पादन को बढ़ावा मिला, जिसके फलस्वरूप 1968 में भारतीय किसानों ने रिकॉर्ड 170 लाख टन गेहूं का उत्पादन किया जो बीते कुछ वर्षों के मुकाबले कहीं अधिक था। हरित क्रांति को लागू करने से कृषि उत्पादन में बढ़ावा मिला जिससे देश की आर्थिक व्यवस्था में सुधार आया। भारत में हरित क्रांति (Green Revolution) का जनक एम एस स्वामीनाथन (M S Swaminathan) को कहा जाता है। जबकि नॉर्मन बोरलॉग (Norman Borlaug) को विश्वपटल पर “हरित क्रांति के जनक” के नाम से जाना जाता है।
श्वेत क्रांति (White Revolution)
भारत में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए श्वेत क्रांति लागू की गयी जिससे देश में दूध की कमी को पूरा करने में मदद मिली। सन 1970 में भारत में “ऑपरेशन फ्लड” नाम से अभियान चलाया गया जिसे आगे चलकर श्वेत क्रांति के नाम से जाना जाने लगा। वर्गीज कुरियन (Verghese Kurien) को श्वेत क्रांति (White Revolution) का जनक कहा जाता है।
पीली क्रांति (Yellow Revolution)
पीली क्रांति का संबंध तिलहन उत्पादन (सरसों एवं सूरजमुखी) से है जिसका उद्देश्य आत्मनिर्भरता प्राप्त करना था। पीली क्रांति को लागू करने का मुख्य कारण खाद्य तेलों एवं तिलहन फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए था। पीली क्रांति के परिणामस्वरूप भारत के खाद्य तेल एवं तिलहन उत्पादन को महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त हुई। सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) को भारत में पीली क्रांति (Yellow Revolution) के जनक के रूप में जाना जाता है।
नीली क्रांति (Blue Revolution)
नीली क्रांति का संबंध मत्स्य उत्पादन से है, भारत में नीली क्रांति की शुरुआत सन 1985 से 1990 के बीच हुई। नीली क्रांति के अंतर्गत मछली एवं समुद्री उत्पादों को पकड़ने के कार्यों को सरकार द्वारा प्रोत्साहन देने का प्रयास किया गया जिससे किसानों को मछुआरों की आय दुगुनी हो सके। डॉ. हीरालाल चौधरी (Dr. Hiralal Chaudhuri) और डॉ. अरुण कृष्णन (Dr. Arun Krishnsnan) को नीली क्रांति (Blue Revolution) के जनक के रूप में जाना जाता है।
भूरी क्रांति (Grey Revolution)
भूरी क्रांति के अंतर्गत उर्वरक उत्पादन, चमड़ा उत्पादन एवं कोको उत्पादन को बढ़ावा मिला। भूरी क्रांति को लागू करने से इससे जुड़े लोगों की आय में वृद्धि हुई जिससे देश को भी आर्थिक लाभ मिला।
बादामी क्रांति
बादामी क्रांति का संबंध मसालों के उत्पादन से है, बादामी क्रांति में मसालों के उत्पादन को बढ़ावा मिला जिससे मसालों के व्यापार से जुड़ें लोगों की आय में वृद्धि हुई।
इसी प्रकार समय-समय पर कई प्रकार की क्रांतियां लागू की गयी जो कुछ इस प्रकार हैं :-
लाल क्रांति – मांस/ टमाटर के उत्पादन के लिए ( विशाल तिवारी को लाल क्रांति (Red Revolution) का जनक माना जाता है )
रजत क्रांति – कुक्कुट एवं अंडा उत्पादन के लिए
गुलाबी क्रांति – प्याज/ झींगा मछली/ औषधि के उत्पादन के लिए
कृष्ण क्रांति – बायोडीजल के उत्पादन के लिए
सुनहरी क्रांति – फल उत्पादन के लिए
अमृत क्रांति – नदियों को जोड़ने के लिए
काली क्रांति – पेट्रोलियम उत्पादन के लिए
गोल्डन फाइबर क्रांति – जूट उत्पादन/ फ्रूट्स उत्पादन/ हॉर्टिकल्चर के लिए
सवर्ण क्रांति – शहद एवं फलों के उत्पादन के लिए
सिल्वर फाइबर क्रांति – कपास के उत्पादन के लिए
सदाबहार क्रांति – कृषि एवं जैव तकनीक के लिए
सैफ्रॉन क्रांति – केसर के उत्पादन के लिए
धुसर/ स्लेटी क्रांति – सीमेंट एवं उर्वरक के उत्पादन के लिए
N. H. क्रांति – स्वर्णिम चतुर्भुज योजना से सम्बंधित
सूर्योदय क्रांति – इलेक्ट्रिक उद्योग के विकास हेतु
खाद्य श्रृंखला क्रांति – भारतीय कृषियों की आमदनी को दुगुना करने हेतु
ग्रीन गोल्ड क्रांति – चाय के उत्पादन के लिए
परमानी क्रांति – भिंडी के उत्पादन के लिए
वाइट गोल्ड क्रांति (तीसरी क्रांति) – कपास के उत्पादन के लिए
हरित सोना क्रांति – बांस के उत्पादन के लिए
मूक क्रांति – मोटे अनाज के उत्पादन के लिए
खाकी क्रांति – चमड़ा के उत्पादन के लिए
प्रोटीन क्रांति (दूसरी हरित क्रांति पर आधारित तकनीक) – उच्च उत्पादन हेतु
गंगा क्रांति – भ्रष्टाचार के खिलाफ सदाचार पैदा करने हेतु
गोल क्रांति – आलू के उत्पादन के लिए
इंद्रधनुषीय क्रांति – लागू की गयी सभी क्रांतियों पर निगरानी हेतु
कृषि क्रांति के कारण ( Caused of the agricultural revolution in hindi )
किसी भी देश के विकास हेतु कृषि क्रांतियों का बहुत बड़ा योगदान होता है, देश की तरक्की के लिए समय-समय पर कई प्रकार की कृषि क्रांतियों की शुरुआत की गयी। इससे कृषि कार्य में श्रम की निर्भरता में कमी आयी, जिससे किसानों के कार्यों को सरल बनाया जा सका। कृषि कार्यों में बदलाव की जरुरत थी जिसके लिए कृषि क्रांति को लागू करना बेहद जरूरी था।