खाड़ी युद्ध के कारण एवं परिणाम – प्रथम एवं द्वितीय खाड़ी युद्ध ( khadi yuddh ke karan evam parinam ) : खाड़ी युद्ध के कारण एवं परिणाम जानने से पहले हमें अब तक हुए कुल 2 खाड़ी युद्धों के बारे में जानना होगा। Cause and Consequences of the Gulf War in hindi.
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खाड़ी युद्ध
प्रथम खाड़ी युद्ध
प्रथम खाड़ी युद्ध 2 अगस्त 1990 से 28 फरवरी 1991 के बीच लड़ा गया था, यह युद्ध 34 संयुक्त देशों और इराक के बीच हुआ था। इस युद्ध का उद्देश्य इराकी बलों को कुवैत से आज़ाद कराने के लिए था। इस युद्ध में 34 देशों की संयुक्त सेना ने कुवैत को आजाद कराया था। दरअसल, इराक ने सन 1990 में कुवैत पर आक्रमण कर के उसपर अपना कब्ज़ा कर लिया था, जिसके लिए 34 देशों की मिली-जुली सेनाओं ने इराक के खिलाफ मोर्चा खोला और उससे युद्ध करने का फैसला लिया।
द्वितीय खाड़ी युद्ध
द्वितीय खाड़ी युद्ध 19 मार्च, 2003 को लड़ा गया था, यह युद्ध अमेरिका एवं इराक के बीच हुआ था। इस युद्ध को अमेरिका द्वारा “ऑपरेशन इराकी फ्रीडम” का नाम दिया गया था। इस युद्ध में 40 देश से भी ज्यादा शामिल थे। इस युद्ध का पहला उद्देश्य इराक में मौजूद तेल के भंडार पर कब्ज़ा करना था और दूसरा उद्देश्य इराक में अमेरिका की सरकार को स्थापित करना था। इस युद्ध में करीब 50,000 नागरिकों ने अपनी जान गवां दी और सद्दाम हुसैन का भी अंत हुआ। इस युद्ध में अमेरिका असफल रही और इस युद्ध से इराकी नागरिकों में अमेरिका के खिलाफ विद्रोह भड़क उठा जिसमें अमेरिका के लगभग 3000 सैनिक मारे गए। यह हमला सैन्य एवं राजनीतिक धरातल पर असफल रहा।
खाड़ी युद्ध के कारण
खाड़ी युद्ध के दो कारण थे, पहला कारण कुवैत को इराक से आज़ाद कराना था एवं दूसरा कारण इराक में मौजूद तेल के भंडार पर कब्ज़ा करना था। संयुक्त राष्ट्र संघ का इराक को समझाने का हर प्रयास असफल रहा तब संयुक्त राष्ट्र संघ ने कुवैत को इराक से आज़ाद कराने के लिए बल प्रयोग की अनुमति दी थी। जैसा की हमने आपको ऊपर बताया की 34 देश इराक के खिलाफ युद्ध में एकजुट हुए एवं युद्ध में सम्मिलित हुए। इस युद्ध का उद्देश्य कुवैत को ईरान से मुक्त कराना था।
खाड़ी युद्ध के परिणाम
खाड़ी युद्ध की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी निंदा की गयी जिसके फलस्वरूप संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों द्वारा इराक के खिलाफ तत्काल प्रभाव से आर्थिक प्रतिबन्ध लगाया गया। 34 देशों की मिली-जुली सेनाओं ने इराक को हरा दिया था, खाड़ी युद्ध में अमेरिकी सैनिक अधिक थे जिसके कारण इस अभियान को “ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म” भी कहा जाता है। अमेरिका को खाड़ी युद्ध से आर्थिक लाभ मिला, इस युद्ध में अमेरिका को जापान, जर्मनी एवं सऊदी अरब जैसे देशों से भरपूर रकम मिली। खाड़ी युद्ध में तानाशाह सद्दाम हुसैन का भी अंत हुआ जो अमेरिका के लिए एक बड़ी जीत साबित हुई।
खाड़ी युद्ध के परिणामस्वरूप इराक के बुनियादी ढांचे का विनाश हुआ। कुवैत से इराक की आक्रमण बल को हटाया गया, जिससे कुवैत के नागरिकों को आज़ाद कराया गया। इस युद्ध को गठबंधन की जीत के रूप में दर्ज किया गया।
खाड़ी युद्ध में लगभग 80-100 हजार सैनिकों ने अपनी जान गवां दी। इस युद्ध में हुए हवाई हमलों के दौरान करीब 2000 से अधिक नागरिक भी मारे गए। खाड़ी युद्ध के परिणाम इतने भयानक थे की इसके कारण हज़ारों पशु-पक्षियों की मृत्यु हो गयी। खाड़ी युद्ध में उपयोग में लाये जाने वाले हथियार इतने विनाशकारी थे कि इसके कुछ समय बाद, कुछ समय के लिए वहां काली बारिश हुई जिसके कारण इराकी सेना को बड़े पैमाने पर पर्यावरण आपदा का सामना करना पड़ा।
खाड़ी युद्ध के बाद कुवैत फिर से आजाद हुआ और वहां की वैध सरकार वापिस आ गयी। तत्पश्चात तानाशाह सद्दाम हुसैन ने देश में आधिकारिक माफी मांगी जिसे अस्वीकृत किया गया। इसके बाद वहां की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रोत्साहन दिया गया जिससे देश में दोबारा शान्ति बहाल हो सके।