जलवायु क्या है ? जलवायु परिवर्तन के कारण

जलवायु क्या है ? जलवायु परिवर्तन के कारण

जलवायु क्या है ?

किसी भी स्थान का दीर्घकालीन मौसम, लंबे समय का डाटा, वायुमंडलीय दबाव, तापमान, आर्द्रता, हवा की गतिविधि, बादलों आदि का अध्ययन जो राष्ट्र विशेष के रहन-सहन, खान-पान, कृषि अर्थव्यवस्था आदि के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जलवायु कहलाती है। मौसम परिवर्तनशील होता है व जलवायु स्थिर होती है। ग्लेशियरों का पिघलना, अतिवृष्टि, अनावृष्टि यानि सूखा पड़ना, सुनामी आदि जलवायु परिवर्तन का ही परिणाम है।

जलवायु में दिखने वाले बदलाव, लंबे समय का परिणाम, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रभाव जलवायु परिवर्तन कहलाता है। अर्थात कहा जा सकता है कि दशकों, सदियों या उससे अधिक के समय अंतराल में जलवायु में होने वाले दीर्घकालीन परिवर्तन को जलवायु परिवर्तन कहते हैं। जलवायु में होने वाले परिवर्तन किसी एक देश की ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व की एक बहुत बड़ी समस्या बन गया है।

जलवायु परिवर्तन के कारण (Causes of climate change in hindi) –

जलवायु में होने वाले परिवर्तन के बहुत से कारण है जो निम्नलिखित है –

वर्तमान में जलवायु परिवर्तन का कोई एक निश्चित कारण नहीं है बल्कि इसमें दो कारण जिसमें पहला – प्राकृतिक कारण जो प्रकृति निर्मित होते है दूसरा मानव जनित कारण जिसमें मानवीय गतिविधियां सम्मिलित होती है। जलवायु परिवर्तन पर प्राकृतिक कारणों की अपेक्षा मानव जनित कारणों का अधिक प्रभाव पड़ता है।

  • प्राकृतिक कारण

ज्वालामुखी –

भू-पर्पटी की वे दरारें जिनके अंदर की द्रवित चट्टानें, लावा, राख, धूल के कण आदि निकलते ज्वालामुखी कहलाता है। इसके अलावा ज्वालामुखी से विभिन्न गैसें जैसे – सल्फर डाईऑक्साइड, सल्फर ट्राईऑक्साइड, क्लोरीन, कार्बन डाईऑक्साइड, हाइड्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड व जल वाष्प आदि निकलती है जो वायुमंडल में फ़ैलकर जलवायु में होने वाले परिवर्तन का प्रमुख कारण बनती है। ज्वालामुखी कुछ समय के पश्चात शांत हो जाता है परन्तु ये गैसें लंबे समय तक जलवायु पर अपना प्रभाव बनाये रखती है।

महासागरीय धाराएं –

पृथ्वी की सतह पर लवण जल का विशाल फैलाव महासागर कहलाता है। पृथ्वी का लगभग 70% हिस्सा जल से घिरा हुआ है जिसमें सागर, महासागर एवं तालाब सम्मिलित है चूँकि पृथ्वी का बहुत बड़ा हिस्सा जल से घिरा हुआ है और यही कारण है कि जलवायु के निर्धारण में महासागरों एवं सागरों का बहुत अधिक योगदान होता है। समय-समय पर समुद्र अपना ताप वायुमंडल पर छोड़ता है और वायुमंडल को प्रभावित करता है यह ताप वायुमंडल पर ग्रीन हाउस प्रभाव को भी प्रभावित करता है अतः महासागरीय धाराएं जलवायु में परिवर्तन का प्रमुख कारण बनती हैं।

  • मानव जनित कारण

ग्रीनहाउस प्रभाव –

मानवजनित कारणों में जिसे हम सबसे ज्यादा उत्तरदायी मानते है वह ग्रीनहाउस प्रभाव है। कार्बन डाईऑक्साइड में होने वाले उतार चढ़ाव जिसके कारण तापमान में वृद्धि होती है ग्रीन हाउस प्रभाव कहलाता है। औद्योगीकरण, शहरीकरण, वनों की कटाई आदि के प्रभावों से कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा में अधिकता होती है कार्बन डाईऑक्साइड के अलावा ऐसी बहुत सी गैसें जैसे – मिथेन, क्लोरोफ्लोरो कार्बन, कार्बन सल्फर डाईऑक्साइड आदि है जो ग्रीनहाउस प्रभाव को प्रभावित करती है। ये सभी गैसें ग्रीन हाउस प्रभाव को कई तरीकों से प्रभावित करके जलवायु परिवर्तन का कारण बनती है।

कृषि –

वर्तमान में परंपरागत कृषि की अपेक्षा आधुनिक कृषि को अधिक महत्व दिया जा रहा है। आधुनिक कृषि के अंतर्गत कीटनाशकों एवं रसायनों का अधिक से अधिक प्रयोग करके उत्पादन को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। कृषि में इन रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से विभिन्न प्रकार की गैसें उत्पन्न होती है जैसे – मिथेन आदि ये गैसें तापमान में वृद्धि के साथ-साथ ग्रीन हाउस प्रभाव को प्रभावित करती है और यही प्रभाव जलवायु में परिवर्तन का प्रमुख कारण है।

जीवाश्म ईंधन का प्रयोग –

जीवाश्म ईंधन के दोहन से कई हानिकारक गैसें कार्बन डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड जैसी विभिन्न गैसों की अधिकता के कारण यह जलवायु परिवर्तन का कारण बनी है। इस मानवजनित उत्सर्जन में जलवायु परिवर्तन की समस्या विकराल हुई है क्योंकि इनके प्रभाव से ग्रीन हाउस प्रभाव तो बड़ा ही है और साथ ही साथ वायु एवं जल प्रदूषण भी बड़ा है, अम्लीयकरण यानि अम्ल वर्षा होने की भी समस्या जीवाश्म ईंधन के कारण बढ़ी है। इसके अलावा कार्बन डाईऑक्साइड का वायुमंडल में लगभग 30% उत्सर्जन कोयले व तेल के दहन के कारण होता है जो जलवायु परिवर्तन को प्रभावित करता है।

शहरीकरण एवं औद्योगीकरण –

जलवायु परिवर्तन में शहरीकरण एवं औद्योगीकरण सबसे ज्यादा प्रभावी कारक है। शहरीकरण एवं औद्योगीकरण को माध्यम बनाकर मानव ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रकृति का अंधाधुंध दोहन किया है और मानव ने विकास के नाम पर प्रकृति का विनाश किया है। मानव ने शहरीकरण एवं औद्योगीकरण से जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि समस्याओं को जन्म दिया है। जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न विभिन्न समस्याओं में विकसित देशों से लेकर विश्व के सभी देश शामिल है। अतः शहरीकरण एवं औद्योगीकरण जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण है।

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