जीवनी और आत्मकथा में अंतर, जीवनी और आत्मकथा में क्या अंतर है, जीवनी और आत्मकथा में अंतर लिखिए, जीवनी की विशेषताएं बताइए जीवनी की परिभाषा, आत्मकथा की परिभाषा, जीवनी का अर्थ बताइए आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं। आइये समझते हैं जीवनी (Biography) और आत्मकथा (Autobiography) में क्या होती हैं और इनमें क्या-क्या अंतर होते हैं।
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जीवनी (Biography)
जीवनी की परिभाषा – लेखक द्वारा किसी दूसरे विशेष और महान व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन का कलात्मक एवं अतीत की सत्य घटनाओं का क्रमबद्ध चित्रण जीवनी कहलाता है।
जीवनी की अंग्रेजी में बायोग्राफी (Biography) कहते हैं। जीवनी प्रेरणादायक होती है एवं जीवनी की लेखन शैली वर्णनात्मक होती है, जिसमें लेखक किसी और व्यक्ति के जीवन की सभी घटनाओं का वर्णन प्रमाणिकता द्वारा प्रस्तुत करता है। लेखक शोध द्वारा जीवन की घटनाओं की जानकारी कई स्रोतों से प्राप्तकर क्रमबद्ध करता है। जीवनी जीवित एवं मृत व्यक्ति के जीवन पर लिखी जा सकती है जोकि कई बार अनुमति और कई बार बिना अनुमति के लिखी जा सकती है।
जीवनी में लेखक निष्पक्ष रहकर घटनाओं का वर्णन करता है एवं जीवनी प्रेरणादायक होती है। जीवनी के अनेक भेद होते जैसे आत्मीय जीवनी, लोकप्रिय जीवनी, ऐतिहासिक जीवनी, मनोवैज्ञानिक जीवनी, व्यक्तिगत जीवनी, कलात्मक जीवनी इत्यादि।
हिन्दी साहित्य की कुछ प्रमुख जीवनी –
- आवारा मसीहा (विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित प्रसिद्ध बांग्ला लेखक शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की जीवनी है)
- प्रेमचंद : कलम का सिपाही (अमृतराय द्वारा रचित प्रसिद्ध लेखक मुंशी प्रेमचन्द की जीवनी है)
- शिखर से सागर तक : अज्ञेय की जीवन यात्रा (रामकमल राय द्वारा रचित प्रसिद्ध लेखक अज्ञेय (सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन) की जीवनी है)
- बापू के कदमों में (राजेन्द्र प्रसाद द्वारा रचित प्रसिद्ध महात्मा गांधी की जीवनी है)
आत्मकथा (Autobiography)
आत्मकथा की परिभाषा – आत्मकथा अर्थात अपनी कहानी, किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं के जीवन में घटित घटनाओं की स्मृतियों द्वारा लिखी गयी कहानी को आत्मकथा कहते हैं।
आत्मकथा को अंग्रेजी में ऑटोबायोग्राफी (Autobiography) कहते हैं। आत्मकथा में लेखक स्वयं के छिपे हुए पहलू और घटनाओं को उजागर करता है जो कई बार काल्पनिक भी हो जाती हैं जिनको प्रमाणित करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। आत्मकथा जीवीत व्यक्ति द्वारा स्वयं लिखी या लिखवाई जाती है। आत्मकथा की लेखन शैली कथात्मक होती है।
हिन्दी साहित्य की कुछ प्रमुख आत्मकथा –
- क्या भूलूं क्या याद करूं – हरिवंश राय बच्चन
- कुछ आप बीती कुछ जग बीती – भारतेंदु हरिश्चंद्र
- मेरी जीवन यात्रा – राहुल सांकृत्यायन
- मेरी असफलताएं – गुलाब राय
- अर्धकथानक – बनारसी दास (पद्य बद्ध पहली आत्मकथा)
- मेरी फिल्मी आत्मकथा – बलराज साहनी
जीवनी एवं आत्मकथा में अंतर / जीवनी और आत्मकथा में अंतर बताइए
- जीवनी किसी महान प्रेरणादायी व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन का क्रमबद्ध घटनाक्रम होता है जिसे किसी और द्वारा लिखा जाता है जबकी आत्मकथा स्वयं के द्वारा लिखा गया स्वयं का जीवन का वर्णन है।
- जीवनी जीवित अथवा मृत व्यक्ति के जीवन पर आधारित होती है जिसे कोई और प्रमाणिक तथ्यों द्वारा अभिव्यक्त करता है जबकि आत्मकथा जीवित व्यक्ति द्वारा अपनी स्मृतियों के अनुसार लिखी जाती है जिसको प्रमाणित करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
- जीवनी प्रेरणादायक होती है और सत्य सत्य घटनाओं पर आधारित होती है जबकि आत्मकथा का प्रेरणादायक होना जरूरी नहीं होता है, यह प्रेरणादायक हो भी सकती है और नहीं भी। साथ ही आत्मकथा काल्पनिक भी हो सकती है।
- जीवनी में किसी व्यक्ति के सार्वजनिक जीवन में घटित घटनाओं का वर्णन होता है जबकि आत्मकथा में व्यक्ति के जीवन की अनकही और छिपी हुई बातों का भी वर्णन होता है जिनका ज्ञान स्वयं लेखक के सिवा किसी और को न हो।
- जीवनी की लेखन शैली वर्णनात्मक होती है जबकि आत्मकथा की लेखन शैली कथात्मक होती है।
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