डॉ राजेंद्र प्रसाद की जीवनी : डॉ राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) महान स्वतंत्रता सेनानी और भारत देश के प्रमुख राजनेता थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति और भारतीय संविधान-सभा के प्रथम अध्यक्ष थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी ने स्वतंत्र भारत की पहली सरकार बनने के बाद कुछ समय के लिए केंद्रीय मंत्री के पद का कार्यभार भी संभाला था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद महात्मा गाँधी को अपना गुरु मानते थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत देश के प्रमुख नेता और बहुत बड़े विद्वान थे। डॉ राजेंद्र प्रसाद पर निबंध, डॉ राजेंद्र प्रसाद पर निबंध हिंदी में।
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डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म
डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी के पिता का नाम महादेव सहाय था जो फ़ारसी एवं संस्कृत भाषा के विद्वान थे और माता का नाम कमलेश्वरी देवी था। राजेंद्र प्रसाद को अपनी माँ और भाई से बहुत लगाव था और वे अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे।
डॉ राजेंद्र प्रसाद जी की शिक्षा
जन्म | 03 दिसंबर, 1884 |
जन्म-स्थान | जीरादेई गांव, सीवान जिला, बिहार |
मृत्यु | 28 फरवरी, 1963 |
मृत्यु-स्थान | पटना, बिहार |
पिता | महादेव सहाय |
माता | श्रीमती कमलेश्वरी देवी |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी के समुदाय की प्रथा के अनुसार उनको पांच वर्ष की आयु में एक मौलवी के पास भेज दिया गया था जिनसे राजेंद्र प्रसाद ने फ़ारसी भाषा का ज्ञान प्राप्त किया था, उसके पश्चात उन्होंने हिंदी और अंकगणित भाषा सीखी।
वर्ष 1896 में केवल 12 वर्ष की आयु में उनका विवाह राजवंशी देवी नामक कन्या से हुआ था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद एक प्रभावशाली और मेहनती छात्र थे, उन्होंने विवाह के बाद भी अपनी शिक्षा जारी रखी।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने का निर्णय लिया और प्रवेश परीक्षा दी जिसमें उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया था। उन्हें शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय द्वारा 30 रूपये की छात्रवृत्ति (Scholarship) प्रदान की गयी थी।
उसके पश्चात डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने वर्ष 1902 में कलकत्ता प्रेसीडेंसी में प्रवेश लिया। यहाँ उनका सम्पर्क उनके शिक्षकों से हुआ जिसमें महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस और माननीय प्रफुल्ल चंद्र राय शामिल थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1907 में कलकत्ता विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विषय से एम. ए. किया जहाँ उन्होंने कानून की डिग्री प्राप्त की, जिसके लिए उन्हें वर्ष 1915 में गोल्ड मेडेल से सम्मानित किया गया।
डॉ राजेंद्र प्रसाद का राजनैतिक जीवन
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी ने अपने बड़े भाई महेंद्र प्रसाद के कहने पर वर्ष 1905 में स्वदेशी आंदोलन में भाग लिया था। इसके पश्चात महात्मा गाँधी जी के बुलावे पर राजेंद्र प्रसाद चम्पारण गए और वहां उन्होंने गाँधी जी के समर्पण, विश्वास और साहस से भरे विचारों को देखा और वे गाँधी जी से बहुत प्रभावित हुए। इसके बाद राजेंद्र प्रसाद जी ने कई आंदोलनों में भाग लिया और उन्होंने गाँधी जी के असहयोग आंदोलन में अपनी सक्रीय भूमिका निभाई।
- वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह के दौरान राजेंद्र प्रसाद जी को जेल हो गयी थी, जेल से रिहाई मिलने के पश्चात 15 जनवरी, 1934 के विनाशकारी भूकंप के बाद राजेंद्र जी ने लोगों तक धन और राहत कार्यों को पहुंचने में सहायता की।
- राजेंद्र प्रसाद जी ने अपनी बुद्धि और कौशल का परिचय देते हुए, उस समय इतना धन एकत्रित कर लिया था की जो वायसराय द्वारा जमा किया गया धन था वह उसका केवल एक तिहाई हिस्सा था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी के इस कार्य के बाद उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बम्बई अधिवेशन का अध्यक्ष चुना गया था।
- वर्ष 1939 में उन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस के इस्तीफा देने के पश्चात कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया था।
- वर्ष 1946 में संविधान के निर्माण की जिम्मेदारी संविधान सभा को दी गई तब उस समय राजेंद्र प्रसाद जी ने संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में संविधान निर्माण में कई महत्वपूर्ण कार्य किए थे। भारत के संविधान निर्माण में डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी और डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी ने अपनी मुख्य भूमिका निभाई थी।
- आजादी के ढाई वर्ष बाद भारतीय संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ और राजेंद्र प्रसाद जी को भारत देश के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने। राजेंद्र प्रसाद ने देश के राष्ट्रपति के रूप अपनी कार्यकुशलता के माध्यम से कई महत्वपूर्ण कार्य किए।
- राष्ट्रपति के पद में उन्होंने देश में 12 वर्ष कार्य किया और कार्यकाल पूरा होने के बाद वे सेवानिवृत्त हो गए और उन्हें वर्ष 1962 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।
डॉ राजेंद्र प्रसाद जी की प्रमुख रचनाएँ
डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी ने अपने साहित्यिक कौशल के माध्यम से कई रचनाएँ सम्पादित की जो उनके सरल एवं व्यवहारिक भाषा के रूप में सम्पादित है। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित है –
- मेरी आत्मकथा
- बापू के कदमों में बाबू
- मेरी यूरोप-यात्रा
- इंडिया डिवाइडेड
- सत्याग्रह एट चम्पारण
- गाँधी जी की देन
- भारतीय शिक्षा
- भारतीय संस्कृति व खादी का अर्थशास्त्र
- साहित्य
- शिक्षा और संस्कृति
डॉ० राजेंद्र प्रसाद जी का निधन
डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपने राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त होने के बाद पटना के सदाक़त आश्रम में कुछ वर्ष बिताए थे। 28 फरवरी, 1963 में उनका निधन हो गया। डॉ.राजेंद्र प्रसाद जी एक महान विद्वान, दृढ़ निश्चयी और उदार प्रवृत्ति के व्यक्ति थे जो अपने जीवन में प्रत्येक देशवासी के लिए प्रेरणास्रोत रहे।