दहेज प्रथा क्या है (What is Dowry System in hindi)
दहेज प्रथा क्या है (What is Dowry System in hindi) – संस्कृत में दहेज शब्द का समानार्थी शब्द दायज है जिसका अर्थ – दान या उपहार होता है। विवाह के अवसरों पर कन्या पक्ष की ओर से वर पक्ष को दिए जाने वाले उपहारों को दहेज (Dowry) कहा जाता है। दहेज प्रथा भारतीय समाज में प्राचीन काल से ही प्रचलित एक सामाजिक प्रथा है परन्तु प्राचीन काल में इस प्रथा को स्वेच्छा के साथ बिना लालच के और सौदेबाजी के भाव से किया जाता था
क्योंकि प्राचीन काल में पिता की संपूर्ण संपत्ति उसके पुत्रों की होती थी जिसमें बेटियों का अधिकार नहीं हो पाता था अतः पिता संपत्ति के कुछ भाग को अपनी पुत्री के विवाह के अवसर पर उसे उपहार के तौर पर दे देता था और इस प्रथा को उस समय पुण्य का कार्य समझा जाता था। परन्तु समाज में कई परिवर्तनों की वजह से इस पुण्य के कार्य का रूप बदलकर यह समाज के लिए एक अभिशाप बन गया और दहेज प्रथा की असंख्य बुराइयां उत्पन्न हो गई।
वर्तमान में दहेज प्रथा कन्याओं के लिए कई अपराधों का कारण बन गयी है क्योंकि दहेज प्रथा को आज एक पुण्य का कार्य न समझ कर धन अर्जित करने का एक साधन मात्र समझा जाता है। बेटियों के माता-पिता के लिए दहेज प्रथा एक अभिशाप सिद्ध हुआ है और इस प्रथा का रूप इतना भयावह हो गया है कि माता-पिता पुत्री को जन्म देने में भी संकोच करने लगे हैं।
लड़कियों को शिक्षा व घर में उचित सुख-सुविधाओं से वंचित रखना दहेज प्रथा का कारण है क्योंकि उनके परिवार वालों का यह मानना होता है कि यदि ये सभी सुविधाएँ लड़की को दी जाएँगी तो उनके विवाह में दहेज देने के लिए कुछ नहीं बचेगा। दहेज प्रथा ने बाल-विवाह, अनमेल विवाह, वृद्ध-विवाह, अनाचार एवं वेश्यावृत्ति जैसी सामाजिक बुराइयों को जन्म दिया है।
इसलिए कुछ लोग इस कुरीति पर कहते हैं –
दहेज मांगने वालों को भीख दें, बेटी नहीं।
पढ़ें – महिला हिंसा का कारण।
दहेज प्रथा के कारण (Reason of Dowry system in hindi)
दहेज प्रथा के कारण (Reason of Dowry system in hindi) – कन्या का विवाह अपने ही जाति, वर्ण अथवा उपजाति में करना उसके विवाह करने के दायरे को सीमित कर देता है अतः कन्या की शादी के लिए योग्य वर के लिए दहेज प्रथा को अनिवार्य माना जाता है और इस प्रथा के लिए मजबूरन माता-पिता को बहुत ढेर सारा धन जुटाना पड़ता है। इसके अलावा बाल-विवाह भी दहेज प्रथा का एक कारण है क्योंकि माता-पिता वर-वधू का चुनाव स्वयं करते हैं जिससे वे लाभ कमाने के लिए दहेज की मांग करके मनमानी रकम निर्धारित करते हैं।
हिन्दुओं में कन्याओं का विवाह अनिवार्य समझा जाता है और इस स्थिति का फायदा उठाकर वर-पक्ष द्वारा अधिक से अधिक दहेज की मांग की जाती है जिसका बोझ कन्या पक्ष के परिवार पर जीवनभर रहता है इसके अलावा कुलीन विवाह में ऊँचे कुल के लड़कों से विवाह करने के लिए भी कन्या पक्ष को अधिक दहेज देना अनिवार्य होता है, अतः विवाह की अनिवार्यता भी दहेज प्रथा का कारण है।
शिक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा भी दहेज प्रथा का कारण है क्योंकि शिक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा के कारण लोग अपनी पुत्री का विवाह एक अच्छे लड़के के साथ ही कराना चाहते हैं तथा इन लड़कों का समाज में अभाव होने से सक्षम लड़कों द्वारा अधिक दहेज लिया जाता है।
महंगाई भी दहेज प्रथा का प्रमुख कारण है, वर्तमान में व्यक्ति को हर प्रकार की जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत अधिक मात्रा में धन की आवश्यकता होती है और वे विवाह को धन प्राप्त करने का एक अच्छा अवसर मानते हैं और कन्या पक्ष से अधिक धन की मांग करके अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सफल हो जाते हैं।
कुछ लोगों का मानना होता है कि बेटी को अधिक दहेज देकर उन्हें समाज द्वारा सम्मान प्राप्त होगा जिसकी वजह से वे अपनी बेटियों को अधिक दहेज देकर अपनी झूठी प्रतिष्ठा का प्रदर्शन करते हैं। इसके अलावा वे लोग जिन्होंने अपनी बेटी की शादी में अधिक दहेज दिया है वे लोग लड़के की शादी के माध्यम से उस धन को दोबारा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं और इन्हीं कारणों से दहेज प्रथा को हमारे समाज में बढ़ावा मिलता है।
दहेज प्रथा समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति एवं उनके परिवार के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है, यदि संपूर्ण समाज एकता के साथ तथा एकजुट होकर दहेज प्रथा को समाप्त करने का प्रयास करेगा तो अवश्य ही इस सामाजिक बुराई को जड़ से मिटाया जा सकता है।
आओ हम सब मिलकर जागरूकता लाएं,
दहेज रूपी राक्षस को जड़ से मिटाएं।