निम्न में भेद कीजिए – मंदडिया और तेजड़िया, आंशिक परीक्षण-प्रतिबन्ध सन्धि और परमाणु अप्रसार संधि

निम्न में भेद कीजिए :- [UKPSC वन क्षेत्राधिकारी मुख्य परीक्षा 2015]
(i) मंदडिया और तेजड़िया
(ii) आंशिक परीक्षण-प्रतिबन्ध सन्धि और परमाणु अप्रसार संधि
(iii) अक्षांश और देशान्तर
(iv) स्थिर-वैद्युत बल और चुम्बकीय बल
(v) कठोर जल एवं मृदु जल

Distinguish between the followings: [UKPSC Forest Officer Main Examination 2015]
(i) Bear and Bull
(ii) Partial Test Ban Treaty and Nuclear Non-Proliferation Treaty.
(iii) Latitude and Longitude 
(iv) Electrostatic force and Magnetic force
(v) Hardware and Software

1. मंदडिया और तेजड़िया

स्टॉक एक्सचेंज में मंदड़िया और तेजड़िया सटोरियों की दो श्रेणियां है। दोनों श्रेणियों के सटोरिये की प्रकृति एक दूसरे के विपरीत होती है।

मंदड़िया उन सटोरियों को कहा जाता है जो किसी कंपनी के शेयरों के भाव निकट भविष्य में गिरने की उम्मीद करता है ताकि वो उसे कम भाव पर खरीद कर अच्छा मुनाफा कमा सकें। इसे अंग्रेजी में प्रायः “बियर” के नाम से जाना जाता है।

तेजड़िया उन सटोरियों का वह समूह है जो किसी कंपनी के शेयरों के भाव बढ़ने की उम्मीद में शेयरों की खरीदारी करते हैं तथा भाव की और वृद्धि होनें पर शेयरों को बेच कर मुनाफा कमाने की उम्मीद करते हैं। इसे अंग्रेजी में प्रायः “बुल” के नाम से जाना जाता है।

बाजार में मंदड़िया एवं तेजड़िया सटोरियों की संख्यानुसार बाजार को मंदड़िया बाजार अथवा तेजड़िया बाजार कहा जाता है। बिना किसी खास कारण (सरकारी नीति, त्यौहार, वैश्विक कारण आदि) के बाजार में इनकी एकाएक वृद्धि किसी घोटाले की सूचक होती है। उदाहरणतः वर्ष 1992 में हर्षद मेहता घोटाले के समय बाजार तेजड़िया सटोरियों से पूरी तरह प्रभावित था।

मंदड़िया एवं तेजड़िया की सक्रियता के आधार पर बाजार की वर्तमान स्थिति का अंदाजा लगाया जाता।

क्र0सं0 आधार मंदड़िया बाजार तेजड़िया बाजार
1 बाजार स्थिति अर्थव्यवस्था ह्रास का सूचक अर्थव्यवस्था के वृद्धि का सूचक
2 बेरोजगारी बढ़ती है घटती है
3 औसत समय 9 साल 1 साल

 

2. आंशिक परीक्षण-प्रतिबन्ध सन्धि और परमाणु अप्रसार संधि

आंशिक परीक्षण-प्रतिबंध संधि :- परमाणु हथियारों एवं परमाणु प्रसार को रोकने हेतु 5 अगस्त 1963 को मॉस्को में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, रूस तथा ब्रिटेन द्वारा इस सन्धि पर हस्ताक्षर किये गये। इस सन्धि के अनुबन्धों के अनुसार परमाणु हथियारों का परिक्षण खुले वातावरण, समुद्र के अन्दर एवं बाहरी अंतरिक्ष में प्रतिबंधित कर दिया गया, हालांकि भूमि के भीतर होने वाले परिक्षणों को इस सन्धि में अनुमति प्राप्त थी। 10 अक्तूबर 1963 से अन्य देशों को भी इस सन्धि को हस्ताक्षरित करने के लिए आमंत्रित किया जाने लगा, तब से कुल 123 देश इसे हस्ताक्षरित कर चुके हैं, जिनमें भारत भी एक है।

परमाणु अप्रसार संधि :- परमाणु अप्रसार संधि, परमाणु हथियारों तथा परमाणु तकनीक के प्रसार को रोकने वाली एक वैश्विक संधि है। इसका मुख्य उद्देश्य उन देशों में परमाणु प्रसार पर रोक है जिन देशों के पास अभी तक ये तकनीक उपलब्ध नहीं है। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन एवं फ्रांस की अध्यक्षता में 1 जुलाई 1968 से इस समझौते पर हस्ताक्षर होने शुरू हुए तथा तब से अब तक 190 देश इस के सदस्य बन चुके हैं परन्तु 5 भारत, पाकिस्तान एवं इजरायल समेत 2 अन्य देशों ने इस पर अभी तक हस्ताक्षर नहीं किये हैं। 11 अनुच्छेद वाली इस संधि के तीन दीर्घकालिक लक्ष्य हैं अप्रसार, निश्स्त्रीकरण एवं परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग ।

3. अक्षांश और देशान्तर

पृथ्वी में किसी भी स्थान की स्थिति सटीक भौगोलिक निर्धारण करने के लिए अक्षांश एवं देशान्तर रेखाओं का इस्तेमाल किया जाता है।

अक्षांश :- ये वे काल्पनिक रेखाएं है जो पृथ्वी को क्षैतिज दिशा में एक दूसरे से समानांतर निर्मित होती हैं तथा पृथ्वी को उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्ध में बाटती हैं। अक्षांश रेखाएं वृताकार होती हैं तथा आपस में समान दूरी पर होती हैं तथा दो अक्षांश रेखाओं के मध्य की दूरी 111 कि0मी0 होती है।

विषुवत रेखा(0°), कर्क रेखा(23.5°उ0) तथा मकर रेखा(23.5°द0) इसके प्रमुख उदाहरण हैं। इनकी कुल संख्या विषुवत रेखा को मिलाकर 181 होती ही। ध्रुवों पर जाकर ये रेखाएं मात्र बिन्दुओं में परिवर्तित हो जाती हैं तथा उत्तरी ध्रुव 90°उ0 तथा दक्षिणी ध्रुव 90°द0 द्वारा प्रदर्शित किए जाते हैं। विषुवत वृत ही सबसे बड़ा अक्षांश वृत है इसकी लम्बाई 40069 कि0मी0 है।

देशान्तर :- अक्षांश रेखाओं की तरह ये भी काल्पनिक रेखाएं होती हैं जो पृथ्वी के दोनों ध्रुवों को आपस में मिलाती हैं। ये आकार में अर्ध-वृताकार तथा अक्षांश रेखाओं के लम्बवत होती हैं तथा इनकी कुल संख्या 360 है।

भूमध्य रेखा से ध्रुवों की तरफ बढ़ने पर दो देशान्तर रेखाओं के मध्य की दूरी कम होती जाती है तथा ध्रुवों पर ये सभी रेखाएं आपस में मिल जाती हैं। भूमध्य रेखा के पास इनके मध्य की दूरी 111.32 कि0मी0 होती है। लंदन के शहर ग्रीनविच से होकर जाने वाली देशान्तर रेखा को 0° देशान्तर (प्रधान याम्योत्तर) माना गया है तथा ये पृथ्वी को दो भागों में बाटती है पूर्वी तथा पश्चिमी भाग। दुनिया का मानक समय भी इसी रेखा से लिया जाता है ।

4. स्थिर-वैद्युत बल और चुम्बकीय बल

स्थिर-वैद्युत बल :- दो स्थिर आवेशों के मध्य लगने वाले बल को स्थिर वैद्युत बल कहा जाता है। इसकी खोज भौतिक विज्ञानी कूलॉम द्वारा की गयी थी। कूलॉम नियम के अनुसार दो स्थिर आवेशों के मध्य लगने वाला बल उन दोनों आवेशों के परिमाणों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होता है तथा उनके मध्य की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। आवेशों की प्रकृति के अनुसार ये “आकर्षण बल” या “प्रतिकर्षण बल” हो सकता है।

स्थिर-वैद्युत बल

चुम्बकीय बल :- जिस प्रकार स्थिर-वैद्युत बल दो स्थिर आवेशों पर लगता है उसी प्रकार चुम्बकीय बल चलायमान आवेशों के मध्य लगने वाला बल है। ये बल भी आवेशों की प्रकृति के आधार पर “आकर्षण बल” या “प्रतिकर्षण बल” हो सकता है। यदि कोई आवेश q एक स्थिर विद्युत क्षेत्र E में गति करता है तो उस पर लगने वाले बल उस आवेश के परिणान q तथा विद्युत क्षेत्र E के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होगा।

F = q E

5. कठोर जल एवं मृदु जल

कठोर जल :- पृथ्वी की सतह का 70% भाग जल से ढका हुआ है परन्तु यह जल लवणीय है तथा इसे सीधे उपयोग नहीं किया जा सकता है। ऐसे जल को जिसमें लवणों की मात्रा अधिक होती है को कठोर जल कहा जाता है। जल की कठोरता का प्रमुख कारण कैल्शियम व मैग्नीशियम के कार्बोनेट, बाइकार्बोनेट एवं सलफेट की उपस्थिति है। कठोर जल साबुन के साथ फेन(झाग) नहीं बनाता है।

नरम पानी :- वह पानी जिसमें लवणीय आयनों की कमी होती है मुख्यतः कैल्शियम व मैग्नीशियम की। वर्षा एवं नदियों में पाया जाने वाला पानी नरम पानी होता है।

जल की कठोरता मापने की इकाई :- कैल्शियम कार्बोनेट की प्रति लीटर में उपलब्धता के आधार पर जल को कठोर अथवा मृदु कहा जाता है।

कैल्शियम कार्वोनेट की उपलब्धता (CaCO3 mg/L) वर्गीकरण
0-17 मृदु जल
17-60 मामूली कठोर जल
60-120 मध्यम कठोर जल
120-180 कठोर जल
> 180 अति कठोर जल

 

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