निर्धनता क्या है, निर्धनता के प्रकार और निर्धनता के कारण

निर्धनता क्या है, निर्धनता के प्रकार और निर्धनता के कारण

निर्धनता क्या है (What is poverty in hindi), निर्धनता के प्रकार (Types of poverty in hindi) और निर्धनता के कारण (Major causes of poverty in hindi) : निर्धनता क्या है, निर्धनता से क्या तात्पर्य है आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।

निर्धनता क्या है ?  (What is Poverty in hindi)

निर्धनता वह स्थिति या स्तर है जहाँ पर व्यक्ति की आय इतनी कम हो जाती है कि वह अपनी आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में भी असमर्थ हो जाता है।

निर्धनता के प्रकार (Types of Poverty in hindi)

निर्धनता दो प्रकार की होती है –

1. निरपेक्ष निर्धनता

निरपेक्ष निर्धनता से तात्पर्य उस स्तर से है जहाँ व्यक्ति अपनी आधारभूत आवश्यकताओं जैसे – रोटी, कपड़ा और मकान को पूरा करने में सक्षम नहीं हो पाता है।

2. सापेक्ष निर्धनता

सापेक्ष निर्धनता का आकलन दो या दो से अधिक राष्ट्रों के मध्य किया जाता है। इसमें देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति का आकलन करके देश की निर्धनता का अनुमान लगाया जाता है।

निर्धनता के प्रमुख कारण (Major causes of Poverty in hindi)

सामाजिक कारण

सामाजिक कारण भी निर्धनता का प्रमुख कारण है, समाज में व्याप्त अनेक समस्याएं जैसे – लिंग भेद, जातिभेद, साम्प्रदायिकता, क्षेत्रवाद व अंधविश्वास निर्धनता जैसी समस्याएं उत्पन्न करने वाले प्रमुख कारक हैं। समाज में रहने वाले कुछ व्यक्ति ऐसे हैं जो समाज की नई परिस्थितियों को नहीं अपनाना चाहते हैं । नई परिस्थितियों को न अपनाने की वजह से ऐसे व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पाते और कुछ समय पश्चात निर्धनता का शिकार बन जाते है।

आर्थिक कारण

किसी भी देश में पूंजी की कमी, कुशल मानवीय संसाधनों का अभाव, विकास की असमान दर, मुद्रा असंतुलन आदि ऐसी आर्थिक समस्याएं हैं जो निर्धनता को जन्म देती है। निर्धनता और बेरोजगारी की समस्याओं ने वर्तमान में कई लोगों को आत्महत्या करने के लिए विवश कर दिया है। भारत में परंपरागत साधनों का उचित प्रयोग न किए जाने से यहाँ पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पाता है। पर्याप्त उत्पादन न होने के कारण बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो जाती है जो निर्धनता या गरीबी का प्रमुख कारण रही है।

अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएँ एवं जनांकिकी कारण

एक स्वस्थ व्यक्ति ही स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकता है, समाज में अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं होने के कारण समाज में रहने वाले लोग एक अच्छे उपचार से वंचित रह जाते है और अस्वस्थ रह जाते है। अस्वस्थ व्यक्ति की कार्यक्षमता बहुत कम होती है जिसके कारण वे कोई भी अच्छा रोजगार करने में असमर्थ हो जाता है। अच्छा रोजगार न होने की वजह से व्यक्ति के परिवार का स्तर अत्यंत निम्न हो जाता है जिसका परिणाम यह होता है की गरीबी और निर्धनता की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसके अलावा किसी भी रोग या बीमारी के हो जाने से व्यक्ति की आय का एक बहुत बड़ा हिस्सा रोग के उपचार में खर्च हो जाता है जिससे वह परिवार की आधारभूत जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता है।

अशिक्षा

अशिक्षा भी निर्धनता का प्रमुख कारण है, क्योंकि व्यक्ति की शिक्षा ही उसकी आर्थिक स्थिति को तय करती है। अशिक्षित व्यक्ति एक अच्छा रोजगार प्राप्त नहीं कर सकता और उसका धन कमाने का सामर्थ्य बहुत कम होता है, जिसके कारण वह और उसका परिवार निर्धनता की समस्या का शिकार बन जाता है।

जनसंख्या वृद्धि

तीव्र जनसंख्या वृद्धि ने निर्धनता और बेरोजगारी जैसी विभिन्न समस्याओं को जन्म दिया है। वर्तमान में जनसंख्या वृद्धि के कारण देश की जनसंख्या का बहुत बड़ा हिस्सा बेरोजगारी का शिकार बन गया है । रोजगार न मिलने की वजह से व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाता है, जिससे उसे कई कठिनाइयों जैसे – भुखमरी आदि का सामना करना पड़ता है। यही एक प्रमुख कारण है कि देश में निर्धनता उत्पन्न हो रही है।

लघु-कुटीर एवं बड़े उद्योगों की कमी

भारत देश में निर्धनता की समस्या उत्पन्न होने का एक कारण यह है की यहाँ केवल बड़े शहरों में ही उद्योगों का निर्माण किया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्ति गावों से शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि शहरों में जनसंख्या में वृद्धि के कारण लोगों को बेरोजगारी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। पर्याप्त संसाधनों के अभाव में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्ति आज लघु एवं कुटीर उद्योगों को भी नहीं चला पा रहे हैं । अतः ये सभी परिस्थितियां हैं जिन्होंने निर्धनता जैसी समस्याओं को जन्म दिया है, जो वर्तमान की एक बहुत बड़ी समस्या है।

प्राकृतिक कारण

भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है व कृषि प्रकृति पर। अर्थात प्राकृतिक कारण भी किसी भी देश को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं । प्राकृतिक आपदाओं या प्राकृतिक प्रकोपों के कारण व्यक्ति का बहुत अधिक मात्रा में धन व्यय होने लगता है और वह धीरे-धीरे निर्धनता की समस्या का शिकार होने लगता है।

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