बौद्ध धर्म के पतन के कारण : बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे जिनका जन्म 563 ई. पू. नेपाल के तराई में स्थित कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ था। गौतम बुद्ध शाक्य क्षत्रिय कुल के थे जिन्होंने एक कुलीन परिवार में जन्म लिया था। भोग-विलास तथा मोहमाया के जाल को त्यागकर गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की नींव रखी। बौद्ध धर्म की विस्तृत पढ़ें बौद्ध धर्म।
ईसाई धर्म के बाद बौद्ध धर्म को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म माना जाता है जिसके दुनियाभर में लगभग 2 अरब यानि 21% लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है। बौद्ध धर्म जनसाधारण में तीव्र गति से लोकप्रिय हुआ परन्तु बाद में कुछ कार्यों व समस्याओं के कारण बौद्ध धर्म का पतन हो गया। बौद्ध धर्म के पतन के कारण निम्नलिखित है –
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बौद्ध धर्म के पतन के कारण
बौद्ध संघों में भ्रष्टाचार –
महात्मा बुद्ध की मृत्यु के पश्चात बौद्ध धर्म में आचार-विचार को शुद्ध रखने के नियमों में शिथिलता आने लगी और भ्रष्टाचार का आरम्भ होने लगा। बौद्ध धर्म में भ्रष्टाचार का आरम्भ ही उनकी असफलता का कारण रहा क्योंकि भिक्षुओं में बढ़ते भ्रष्टाचार की वजह से लोगों का भिक्षुओं से विश्वास उठने लगा और वे उनसे घृणा करने लगे। भिक्षुओं के प्रति इस विचारों ने बौद्ध धर्म को बहुत पीछे धकेल दिया जिससे उसका पतन होने लगा।
तांत्रिक प्रथाओं की उत्पत्ति –
बौद्ध धर्म में भ्रष्टाचार इतना अधिक बढ़ गया कि उनमे तांत्रिक प्रथाओं की उत्पत्ति होने लगी। तांत्रिक प्रथाओं में जादू-टोना ये सभी कार्य शामिल होते है इन कार्यों के प्रचलन और महात्मा बुद्ध के पिछले जीवन के विषय में व्यर्थ की कथाओं के प्रचलन ने बौद्ध धर्म पर से लोगों का विश्वास इस प्रकार ख़त्म कर दिया कि धीरे-धीरे बौद्ध धर्म का ही पतन हो गया।
सम्प्रदायों में विभाजन –
महात्मा बुद्ध की मृत्यु के पश्चात बौद्ध धर्म दो धर्मों महायान और हीनयान नामक दो सांप्रदायों में विभाजित हो गया। जिससे बौद्ध धर्म की शक्तियां विभाजित भी हुई और साथ-साथ घटने लगी। महायान बौद्धों ने मूर्ति पूजा, योग तथा हिन्दुओं के अन्य सिद्धांतों को अपना लिया। इन सिद्धांतों को अपनाने की वजह से बौद्धों एवं हिन्दुओं में बहुत कम अंतर् रह गया और कुछ समय बाद महायान बौद्ध हिन्दू धर्म में मिल गए और हिन्दुओं ने भी बुद्ध को अवतार मानकर उसे स्वीकार कर लिया था।
हिन्दू धर्म का उत्थान –
हिन्दू धर्म का उत्थान करने के लिए ब्राह्मणों ने बौद्धों का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए हिन्दू धर्म में अनेक ऐसे सुधार किए जिससे हिन्दू धर्म के अनुयायियों की संख्या में धीरे-धीरे वृद्धि होने लग गई। हिन्दू धर्म ने एकीकरण के माध्यम से बौद्ध धर्म के सर्वमान्य सिद्धांतों, नियमों एवं व्यवहारों को स्वयं में विलीन कर दिया जिसका परिणाम यह हुआ कि बौद्ध धर्म की पृथकता एवं नवीनीकरण का भेद समाप्त होने लगा और बौद्ध हिन्दू धर्म को अपनाने लगे तथा बौद्धों की संख्या धीरे-धीरे कम होने लगी। यही कारण है कि बौद्ध धर्म का पतन हो गया।
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ब्राह्मण-धर्म की स्थापना –
बौद्ध धर्म की उदारता सहिष्णुता, सक्रीय सहयोग और संरक्षण से प्रभावित होकर ब्राह्मण-धर्म के विचारकों और दार्शनिकों ने ब्राह्मण धर्म के दोषों को दूर करने का प्रयास किया और अपने धर्म को आकर्षक एवं उदार बनाने के लिए बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को अपनाया। ब्राह्मण धर्म के अनुयायियों की संख्या में वृद्धि होने लगी और इन सबका परिणाम यह रहा कि ब्राह्मण धर्म का पुनरुत्थान होने लगा जिससे बौद्ध धर्म का पतन हो गया।
बौद्ध धर्म के सिद्धांतों में परिवर्तन –
बौद्ध धर्म के मूल्यों व सिद्धांतों में धीरे-धीरे परिवर्तन होने लगा और नए सम्प्रदाय जैसे – महायान, मन्त्रयान, तंत्रयान एवं वज्रयान आदि का उदय हो गया। इन सम्प्रदायों के कारण बौद्ध धर्म अपने उच्च आदर्शों से गिर जाने की वजह से उन्होंने अपना गौरव खो दिया और बौद्ध धर्म का पतन हो गया।
राजपूतों का अभ्युदय –
राजपूतों का अभ्युदय भी बौद्ध धर्म के पतन का कारण बना क्योंकि राजपूतों के अनुसार हिंसा निष्क्रियता को जन्म देती है और यही कारण था कि राजपूतों ने ब्राह्मण धर्म का संरक्षण किया व बौद्ध धर्म का विरोध किया। जिससे बौद्ध धर्म के समर्थकों की संख्या कम होने लगी और बौद्ध धर्म का पतन होने लगा।
विदेशियों का आक्रमण –
बौद्ध धर्म में विदेशी आक्रमण में हूणों एवं मुसलमानों के आक्रमण शामिल है जिसके कारण बौद्ध धर्म के सिद्धांत शिथिल पड़ने लगे जो उनके पतन का कारण बन गया। तुर्कों के बर्बर आक्रमण के प्रभावों के कारणों से बौद्ध धर्म जनता में अपने विश्वास एवं आस्था को जाग्रत करने में असमर्थ हो गए और बौद्ध धर्म कमजोर होने लगा।