भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व, पिछड़ेपन का कारण और उपाय

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व, पिछड़ेपन का कारण और उपाय

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व : भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व की व्याख्या कीजिए, भारतीय कृषि के पिछड़ेपन का कारण, भारतीय कृषि के पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय, भारतीय कृषि की समस्या और समाधान, भारत में कृषि विपणन की समस्या का वर्णन करें, भारतीय कृषि की सबसे बड़ी समस्या क्या है आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व की व्याख्या कीजिए

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि भारत की लगभग 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या कृषि पर आश्रित है। भारतीय जनसंख्या के आधार पर यह कहा जा सकता है कि कृषि क्षेत्र भारत की लगभग आधी से अधिक जनसंख्या को रोजगार देने का सामर्थ्य रखता है। केवल इतना ही नहीं कृषि क्षेत्र भारत की जीडीपी (GDP) में भी लगभग 15 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है। जीडीपी ( GDP- Gross Domestic Product) वह माध्यम है जिसके द्वारा किसी देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था की गड़ना की जाती है। प्राचीन काल से ही कृषि क्षेत्र की भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कई दशकों से भारतवासियों का प्रमुख व्यवसाय कृषि ही रहा है। इसके अलावा भारत में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय व्यापार, कच्चा माल, विदेशी मुद्रा अर्जित करने आदि का मुख्य स्रोत भी कृषि क्षेत्र को ही माना जाता है।

भारतीय कृषि के पिछड़ेपन का कारण

भारतीय कृषि क्षेत्र सिंचाई संबंधी सुविधाओं के अभाव के कारण वर्षा पर निर्भर रहते हैं जो कृषि क्षेत्र के पिछड़ेपन का मुख्य कारण माना जाता है। इसके अलावा कृषकों की आय में कमी, कृषि संबंधी तकनीकों का अभाव, रसायनिक खादों का प्रयोग, जलवायु परिवर्तन आदि के कारण भी भारतीय कृषि क्षेत्र में कमी देखी जा सकती है। भारत में कुछ पहाड़ी क्षेत्र ऐसे भी हैं जो कृषि हेतु 90 प्रतिशत तक वर्षा पर निर्भर रहते हैं।

भारतीय कृषि के पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय

भारत की लगभग 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या कृषि पर आश्रित है जिसके कारण भारत को एक कृषि प्रधान देश भी कहा जाता है। भारत में कृषि क्षेत्र को विभिन्न समस्याओं से दूर करने हेतु निम्न उपाय किए गए हैं:–

  • सिंचाई हेतु पानी की व्यवस्था
  • उत्तम खाद एवं बीज का प्रबंध
  • पूंजी की व्यवस्था
  • जनसँख्या वृद्धि पर नियंत्रण

सिंचाई हेतु पानी की व्यवस्था

कृषि क्षेत्र में फसल की उन्नति के लिए सिंचाई के संसाधनों की अत्यंत आवश्यकता होती है। कृषि हेतु सिंचाई के साधनों की व्यवस्था होने से कृषि को वर्षा की निर्भरता से मुक्त कराया जा सकता है। भारतीय सरकार ने खेतों की सिंचाई हेतु नहर, कुएं एवं बोरवेल जैसी व्यवस्थाओं की नई शुरुआत की है जिसकी मदद से आने वाले समय में कृषि क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध हो पाएगा। सिंचाई के साधनों को विकसित करने से भूमि को अधिक उपजाऊ बनाने में भी मदद मिलती है जिससे फसल की पैदावार में भी वृद्धि होती है। कई जगह कृषि मानसून और वर्षा पर निर्भर करती है जिस कारण सही समय पर वर्षा न हो पाने के कारण कृषि क्षेत्र को नुकसान उठाना पड़ता है।

उत्तम खाद एवं बीज का प्रबंध

कृषि हेतु उत्तम खाद एवं बीजों का प्रयोग करने से फसलों की पैदावार को और अधिक बढ़ाया जा सकता है। भारतीय सरकार को कृषि उपज हेतु जैविक खाद को अपनाने की नीति को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। जैविक खाद के उपयोग से मिट्टी की उर्वरक क्षमता एवं गुणवत्ता में सुधार आता है जिसके कारण फसल में अच्छी पैदावार हो सकती है। इसके अलावा सरकार द्वारा किसानों को उच्चतम गुणवत्ता वाले बीजों का वितरण भी कराना चाहिए जिससे किसानों को आर्थिक लाभ मिल सके।

पूंजी की व्यवस्था

भारतीय कृषि व्यवस्था में सुधार लाने हेतु किसानों को न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण मिलने के नियम को लागू कर देना चाहिए। अक्सर वर्षा ना होने के कारण किसानों की काफी फसल बर्बाद हो जाती है जिसके कारण उन्हें भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में सरकार को किसानों की मदद के लिए आगे आना चाहिए जिसके कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में परस्पर संतुलन की व्यवस्था बनी रहे।

जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण

भारत में लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि के क्षेत्रों में भारी कमी देखी गई है। आंकड़ों की मानें तो वर्ष 1970-71 में कृषि की भूमि 2.28 हेक्टेयर थी परंतु जनसंख्या में वृद्धि के कारण वर्ष 1995-96 तक आते-आते यह भूमि केवल 1.50 हेक्टेयर ही रह गई। इसके अलावा तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण किसानों पर अधिक फसल उगाने का भार और बढ़ गया, जिसके कारण कृषकों को कई प्रकार के समस्याओं का सामना करना पड़ा।

भारतीय कृषि की समस्या

  • किसानों के न्यूनतम आय भारतीय कृषि की मुख्य समस्याओं में से एक है। भारतीय सरकार की नीतियां पूर्ण रूप से कृषि उत्पादन को बढ़ाने एवं खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने पर ही केंद्रित रही है जिसके कारण भारतीय सरकार ने कृषकों की आय में वृद्धि करने का विचार तक नहीं किया।
  • जनसंख्या में लगातार वृद्धि होने के कारण किसानों की समस्या और बढ़ गई। दरअसल, बढ़ती जनसंख्या के कारण भारत में कृषि हेतु भूमि या कृषि धाराण (Land Holding) में भारी गिरावट आई जिसके कारण फसल की पैदावार में निरंतर कमी आने लगी।
  • भारत में समय पर मानसून ना आने के कारण कृषि क्षेत्र काफी हद तक प्रभावित होता है। समय पर वर्षा न होने के कारण फसलों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता जिसके कारण प्रत्येक वर्ष फसलों को नुकसान पहुंचता है। इसके कारण किसानों को भारी नुकसान का सामना भी करना पड़ता है। कृषि के क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन को भी एक मुख्य समस्या के रूप में देखा जा सकता है।

भारतीय कृषि की समस्या के समाधान

  • कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या जल संचार की मानी जाती है। फसलों को समय-समय पर भरपूर मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है परंतु कई बार मानसून के कारण यह संभव नहीं हो पाता। भारत में जलवायु प्रेरित आपदाओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को ‘क्लाइमेट स्मार्ट विलेज’ (Climate Smart Villages) की धारणा को बढ़ावा देने का कार्य करना चाहिए। क्लाइमेट स्मार्ट विलेज देश की पहली ऐसी परियोजना है जिसके अंतर्गत 60 से अधिक गांवों को शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत भारत में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन कर एक रिपोर्ट तैयार की जाती है जिसे देशभर में लागू किया जाता है। इस परियोजना की मदद से फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है एवं फसलों की पैदावार में भी वृद्धि हो सकती है।
  • कृषि क्षेत्र में एक नई संस्था की स्थापना करनी चाहिए जो केवल किसानों को सरकार की नीतियों का सीधे तौर पर लाभ दिला सके। इसके अलावा किसानों को उच्चतम गुणवत्ता वाले बीजों की भी जानकारी दे सके, जिसके कारण किसान अपनी फसल के लिए सही बीजों का आसानी से चयन कर सकें।
  • भारतीय सरकार को कृषि अनुसंधान एवं विकास के बजट को बढ़ाकर पेश करना चाहिए, जिससे किसान इसका लाभ ले सके। किसानों को नई-नई योजनाओं के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाना चाहिए, जिससे गांव में रह रहे गरीब किसानों को इन योजनाओं का उचित लाभ मिल सके। वर्तमान समय में ऐसी कई योजनाएं हैं जो केवल किसानों के लिए ही बनाई गई हैं परंतु किसानों में जागरूकता ना होने के कारण वह इन योजनाओं से वंचित रह जाते हैं।

भारत में कृषि विपणन की समस्या का वर्णन करें

आजादी के 75 साल बाद भी भारत के कई ग्रामीण इलाकों में कृषि विपणन की समस्या बेहद गंभीर है। कृषि विपणन की समस्या के कारण कई किसानों को अपनी भूमि से अर्जित की गई फसल को स्थानीय व्यापारियों के हाथों सौंपना पड़ता है, जिसके कारण उन्हें फसल का सही मूल्य प्राप्त नहीं हो पाता है। कृषि विपणन एक व्यापक शब्द है जिसके अंतर्गत कृषि संबंधित सभी क्रियाओं का समावेश होता है। कृषि विपणन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें खाद्यान्नों के उत्पादन से लेकर उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए माध्यम तय किए जाते हैं।

किसानों में असंगठन होने के कारण विक्रेताओं ने इसका भरपूर फायदा उठाया। कृषिको में संगठन के अभाव के कारण उन्हें फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल पाता था, जिसके कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता था। इसके अलावा कृषि विपणन प्रणाली में बिचौलियों की संख्या अधिक होती थी, जिसके कारण वह किसानों से अवैध रूप से वसूली करते रहते थे।

भारतीय कृषि की सबसे बड़ी समस्या क्या है

भारतीय कृषि की मुख्य समस्या भारत का खराब मानसून है। भारत में अधिकतर किसान मानसून पर निर्भर रहते हैं। पिछले कई दशकों से लगातार मॉनसून की विफलता के कारण किसानों की फसल नष्ट हो जाती है। भारत में मानसून के बेहतर होने से कृषि क्षेत्रों की लगभग 60 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रों की सिंचाई हो जाती है जिसके कारण भूमि में नमी बनी रहती है। यही कारण है कि भारत के किसान काफी हद तक वर्षा पर निर्भर रहते हैं। खराब मॉनसून भारतीय कृषि क्षेत्र की प्रमुख समस्या मानी जाती है क्योंकि खराब मौसम के कारण सूखे जैसी स्थिति का जन्म हो सकता है जिसका सीधा प्रभाव कृषि जीडीपी (GDP) पर पड़ता है।

खराब मौसम के कारण ना केवल किसानों को नुकसान होता है बल्कि इसका सीधा प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। मॉनसून सामान्य रहने के कारण कृषि उत्पादन एवं किसानों की आय दोनों में कमी होती है जिसके कारण किसानों एवं देश की आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

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