भारत में उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु पायी जाती है। भारतीय जलवायु में दो मुख्य विशेषताएँ हैं –
- उष्णकटिबंधीय
- मानसूनी
इन दोनों विशेषताओं का भारतीय मानसून पर विशेष प्रभाव पड़ता है। भारतीय जलवायु को समझने के लिए इन दोनों विशेषताओं को समझना आवश्यक है। आइये इन दशाओं (Conditions) का विस्तृत अध्ययन करें-
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भारत की जलवायु
1. उष्णकटिबंधीय जलवायु
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- विषुवत रेखा पर सूर्य का प्रकाश वर्ष भर लंबवत एवं सबसे अधिक पड़ता है। 23.5° उत्तरी अक्षांश को कर्क रेखा एवं 23.5° दक्षिणी अक्षांश को मकर रेखा कहा जाता है। सूर्य का लंबवत प्रकाश वर्षभर इसी क्षेत्र (कर्क रेखा एवं मकर रेखा) के बीच विचलन करता है।
- कर्क रेखा एवं मकर रेखा के बीच का यही भाग साल भर सबसे अधिक गरम रहता है, तथा इस क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय जलवायु पायी जाती है।
- कर्क रेखा भारत के बीचों बीच से होकर गुजरती है। अतः कर्क रेखा से दक्षिण में पड़ने वाला भारतीय क्षेत्र उष्णकटिबंधीय जलवायु के अंतर्गत आता है।
- नियमतः कर्क एवं मकर रेखा एक जलवायु विभाजक की भूमिका निभाती है। अर्थात कर्क एवं मकर रेखा के बीच का भाग उष्णकटिबंधीय एवं क्रमशः कर्क तथा मकर रेखा के उत्तरी एवं दक्षिणी भाग शीतोष्ण कटिबंधीय होते है, परन्तु भारतीय उपमहाद्वीप में यह नियम पूरी तरह लागू नहीं हो पाता तथा भारतीय उपमहाद्वीप में कर्क रेखा जलवायु विभाजक की भूमिका नहीं निभा पाती है। इसके दो प्रमुख कारण यह हैं कि –
- भारत के उत्तर में स्थित हिमालय पर्वत साइबेरिया से आने वाली शीत हवाओं को भारत में प्रवेश नहीं करने देता। जिस कारण भारत में कर्क रेखा से ऊपर वाला भाग शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र होने के बाद भी शीत ऋतु के मौसम में साइबेरिया जैसे अन्य शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों से कम ठंड़ा होता है।
- हिमालय पर्वत हिंद महासागर से आने वाली आद्र हवाओं को रोक कर वर्षा करवाता है, जिस कारण कर्क रेखा के उत्तर में स्थित दिल्ली तक वर्षा होती है।
2. मानसूनी जलवायु
- मानसून एक अरबी शब्द है, तथा इसका अर्थ है मौसम परिवर्तन के साथ हवाओं की दिशा में विपरीत परिवर्तन ।
- भारत में मुख्यतः दो प्रकार की मानसूनी हवाएँँ प्रवाहित होती हैं –
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उत्तर-पूर्वी मानसून
- जो हवाएँ शीत ऋतु में उत्तर-पूर्व से बहकर भारत में प्रवाहित होती हैं उन्हें उत्तर पूर्वी हवाएँ कहा जाता है।
- उत्तर-पूर्वी मानसून भारत में केवल शीत ऋतु में ही प्रवाहित होता है।
- मुख्य रूप से ये मानसून स्थलखण्ड के ऊपर से प्रवाहित होकर भारत में प्रवेश करता है, जिस कारण ये अधिकांश भारत में वर्षा करने में सक्षम नहीं है। परन्तु अपवाद स्वरूप इस मानसून का वह भाग जो बंगाल की खाड़ी के ऊपर से प्रवाहित होता है। वहां से पर्याप्त मात्रा में नमी ग्रहण कर लेता है एवं तमिलनाडु के पूर्वी घाट से टकराकर वहां वर्षा करता है। इसी कारण तमिलनाडु के कोरोमण्डल तट पर शीत ऋतु में वर्षा होती है।
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दक्षिण-पश्चिम मानसून
- भारत में ग्रीष्म ऋतु में हिंद महासागर से दक्षिण-पश्चिम दिशा से प्रवेश करती है।
- भारत में होने वाली कुल वर्षा में से 90% वर्षा इसी मानसून के कारण होती है।
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निष्कर्ष- अतः यह सिद्ध होता है कि भारत में उष्णकटिबंधीय एवं मानसूनी दोनों प्रकार की जलवायु पायी जाती है। उष्णकटिबंधीय जलवायु इसलिए क्योंकि यहां कर्क रेखा के उत्तर में हिमालय पर्वत तक उष्णकटिबंधीय दशाए (condition) रहती हैं। मानसूनी जलवायु इसलिए क्योंकि भारत में ऋतु परिवर्तन के साथ-साथ हवाओं कि दिशा में स्पष्ट परिवर्तन देखा जा सकता है, ग्रीष्म ऋतु में दक्षिण-पश्चिम मानसून तथा शीत ऋतु में उत्तर-पूर्वी मानसून।
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