भारतीय स्वाधीनता अधिनियम 1947 (Indian Independence Act 1947): भारतीय स्वाधीनता अधिनियम 1947 जिसे भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 भी कहा जाता है, 4 जुलाई 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट रिचर्ड एटली द्वारा भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 को ब्रिटिश संसद में पेश किया गया जोकि 18 जुलाई, 1947 को पास हुआ। इसकी घोषणा ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली द्वारा 20 फरवरी, 1947 को की गयी थी कि 30 जून, 1947 को भारत में ब्रिटिश शासन समाप्त हो जाएगा।
भारतीय स्वाधीनता अधिनियम 1947 (Indian Independence Act 1947)
भारतीय स्वाधीनता अधिनियम 1947 के सम्बन्ध में प्रमुख बातें निम्नवत हैं –
- भारतीय स्वाधीनता अधिनियम 1947 के अनुसार ब्रिटिश शासन समाप्त होने के बाद सत्ता का उत्तरदायित्व भारतीय हाथों में सौंप दिया जाएगा।
- इस घोषणा पर मुस्लिम लीग द्वारा आंदोलन किया गया और भारत के विभाजन की बात कही गयी।
- 3 जून, 1947 को वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने विभाजन की योजना पेश की, जिसे माउंटबेटन योजना कहा गया। इसमें स्पष्ट किया गया कि 1946 में गठित संविधान सभा द्वारा बनाया गया संविधान उन क्षेत्रों में लागू नहीं होगा जो इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
- इस योजना को कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने स्वीकार कर लिया।
- इस प्रकार भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 बनाकर उसे लागू कर दिया गया।
- भारत का विभाजन कर दो स्वतंत्र डोमिनियन (संप्रभु राष्ट्र) भारत और पाकिस्तान का सृजन किया गया, जिन्हें ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल से अलग होने की स्वतंत्रता थी।
- इसमें वायसराय का पद समाप्त कर दिया और उसके स्थान पर दोनों डोमिनियन राज्यों में गवर्नर जनरल पद को सृजित किया गया, जिस पर ब्रिटेन का कोई नियंत्रण नहीं था।
- इन दोनों डोमिनियन राज्यों की संविधान सभाओं को अपने देशों का संविधान बनाने और उसके लिए किसी भी देश के संविधान की अपनाने की शक्ति दी गयी।
- सभाओं को यह भी शक्ति थी कि वे किसी भी ब्रिटिश कानून को समाप्त करने के लिए कानून बना सकते हैं। यहाँ तक कि उन्हें स्वतंत्रता अधिनियम को भी निरस्त करने का अधिकार था।
- इसमें दोनों डोमिनियन राज्यों की संविधान सभाओं को यह शक्ति प्रदान की गयी कि वे नए संविधान का निर्माण एवं कार्यान्वित होने तक अपने-अपने सम्बन्धित क्षेत्रों के लिए विधानसभा बना सकते हैं। 15 अगस्त, 1947 के बाद ब्रिटिश संसद में पारित हुआ कोई भी अधिनियम दोनों डोमिनियनों पर तब तक लागू रहेंगे, जब तक की दोनों डोमिनियन उस कानून को मानने के लिए कानून नहीं बना लेंगे।
- इस कानून ने ब्रिटेन में भारत सचिव का पद समाप्त कर दिया।
- इसमें 15 अगस्त, 1947 से भारतीय रियासतों पर ब्रिटिश संप्रभुता की समाप्ति की भी घोषणा की गयी। इसके साथ ही आदिवासी क्षेत्र में समझौता संबंधों पर भी ब्रिटिश हस्तक्षेप समाप्त हो गया।
- इसमें भारतीय रियासतों को यह स्वतंत्रता दी गयी कि वे चाहें तो भारतीय डोमिनियन के साथ मिल सकती हैं या स्वतंत्र रह सकती हैं।
- इस अधिनियम ने नया संविधान बनने तक प्रत्येक डोमिनियन के शासन संचालन के लिए भारत शासन अधिनियम-1935 के तहत उनकी प्रांतीय सेवाओं से सरकार चलाने की व्यवस्था की। हांलाकि दोनों डोमिनियन राज्यों को इस कानून में सुधार करने का अधिकार था।
- इसके अंतर्गत भारत के गवर्नर जनरल एवं प्रांतीय गवर्नरों को राज्यों का संवैधानिक प्रमुख नियुक्त किया गया, जिन्हें सभी मामलों पर राज्यों की मंत्री परिषद के परामर्श पर कार्य करना होता था।
- इसने अधिनियम ने शाही उपाधि से “भारत का सम्राट” शब्द समाप्त कर दिया।
- “भारत के राज्य सचिव” द्वारा सिविल सेवाओं में नियुक्तियों में आरक्षण करने की प्रणाली समाप्त कर दी। परन्तु 15 अगस्त, 1947 से पूर्व के सिविल सेवा कर्मचारियों को वही सुविधाएँ मिलती रहेंगी, जो उन्हें पहले से प्राप्त हो रही थीं।
- 14-15 अगस्त, 1947 की मध्य रात्रि को भारत में ब्रिटिश शासन का अंत हो गया और समस्त शक्तियां 2 नए स्वतंत्र डोमिनियनों भारत एवं पाकिस्तान को स्थानांतरित कर दी गईं। लॉर्ड माउन्टबेटन नए डोमिनियन भारत के प्रथम गवर्नर जनरल बने।
- लॉर्ड माउन्टबेटन ने जवाहर लाल नेहरू को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई।
- 1946 में बनी संविधान सभा को स्वतंत्र भारत की संसद के रूप में स्वीकार कर लिया गया।
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- पिट्स इंडिया एक्ट 1784
- चार्टर एक्ट 1793
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- रॉलेट एक्ट 1919
- साइमन कमीशन 1927
- भारत शासन अधिनियम 1935
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Sir please ready Notes for Environment and Ecology too
For UPSC and state PCS aspirants
Sir “CONSTITUTION” ke notes bhi upload kar dijiye