भारत की बहुउद्देशीय परियोजनाएं :- भारत में बड़े बांधों को बहुउद्देशीय परियोजना भी कहा जाता है क्योंकि ऐसे बांध द्वारा एक साथ कई उद्देश्यों की पूर्ति होती है जैसे जलविद्युत उत्पादन, सिंचाई हेतु पानी, मछली पालन, पर्यटन, बाढ़ में कमी आदि। बड़े बांधों के साथ पारिस्थितिकी तथा पर्यावरणीय मुद्दे भी जुड़े रहते है, जिस कारण इन्हे समय-समय पर विरोध भी झेलना पड़ता है। नदियों के पानी को पहाड़ों में या घाटियों में बांध बनाकर रोक दिया जाता है। इसके परिणाम स्वरूप एक बहुत बड़े क्षेत्र को झील में परिवर्तित कर दिया जाता है। भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय परियोजनाएं निम्नवत हैं-
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भारत की बहुउद्देशीय बांध परियोजनाएं
दामोदर घाटी परियोजना
- ये परियोजना दामोदर नदी पर बनी है। दामोदर नदी का उद्गम छोटा नागपुर पठार से होता है तथा अंत में ये हुगली नदी में मिल जाती है। झारखंड तथा पश्चिम बंगाल में बहती है।
- दामोदर नदी बंगाल का शोक भी कहा जाता है।
- वर्ष 1948 दामोदर घाटी निगम गठित कर इस परियोजना को शुरू किया गया था। इस परियोजना के अंतर्गत कुल 8 बांध बनाए गए हैं। जिनमें से प्रमुख बांध कोनार, मैथन, तिलैया, पंचेतहिल हैं।
- यू० एस० ए० की टेनेसी वैली परियोजना के आधार पर बनाया गया है।
कोसी परियोजना
- ये परियोजना कोसी नदी पर बनी है। कोसी नदी तिब्बत के पठार से निकल कर नेपाल तथा बिहार में बहती है और अंत में गंगा में मिल जाती है।
- नदी द्वारा हिमालय से लायी मिट्टी से अपना ही रास्ता स्वयं ही अवरुद्ध कर लेती है जिस कारण ये हर वर्ष अपना रास्ता बदल लेती है तथा बिहार में बाढ़ का कारण बनती है।
- कोसी को बिहार का शोक भी कहा जाता है।
- बिहार के भागलपुर में गंगा से मिलती है।
- इस नदी पर नेपाल में हनुमान नगर बांध बनाया गया है।
रिहन्द बांध परियोजना
- रिहन्द नदी, सोन की सहायक नदी है।
- रिहंद नदी पर उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में रिहंद बांध बनाया गया है।
- इस बांध के कारण निर्मित झील को गोविंद बल्लभ पंत सागर झील कहते है। ये भारत की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है।
चंबल परियोजना
- ये परियोजना चंबल नदी पर है। चंबल नदी का उद्गम मध्य प्रदेश में मालवा के पठार से होता है तथा अंत में ये यमुना से इटावा में मिल जाती है।
- इसी नदी पर 3 बांध बनाए गए हैं –
- जवाहर सागर बांध – राजस्थान में।
- राणा सागर बांध – राजस्थान में।
- गाँधी सागर बांध – मध्य प्रदेश में।
- मध्य प्रदेश तथा राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
हीराकुण्ड बाँध
- हीराकुण्ड बांध, महानदी पर उड़ीसा में बना है।
- महानदी को उड़ीसा का शोक भी कहा जाता है।
- हीराकुण्ड बांध दुनिया का सबसे लंबा बांध है जिसकी लम्बाई 4801 मी० है।
इंदिरा गांधी नहर परियोजना
- पंजाब के कपूरथला में सतलुज तथा व्यास नदी संगम पर हरिके बाँध बनाया गया है।
- इसी बांध से इंदिरा गाँधी नहर निकाली गयी है।
- इस नहर के माध्यम से राजस्थान अत्यधिक सूखे पश्चिमी जिलों में सिंचाई करी जाती है।
- इंदिरा गाँधी नहर परियोजना विश्व की विशालतम सिंचाई परियोजना है। अर्थात दुनिया की सबसे बड़ी नहर प्रणाली है।
भाखड़ा-नांगल परियोजना
- सतलुज नदी पर भाखड़ा तथा नांगल नामक दो बांधों का निर्माण किया गया है, जिन्हें संयुक्त रूप से भाखड़ा-नांगल परियोजना भी कहा जाता है।
- भाखड़ा बांध हिमाचल प्रदेश में स्थित है तथा नांगल बांध पंजाब में स्थित है।
- इस बांध का लाभ 5 राज्यों को मिलता है – पंजाब, हरियाणा राजस्थान, दिल्ली तथा हिमाचल प्रदेश।
- भाखड़ा बांध द्वारा निर्मित झील को गोविंद सागर झील कहा जाता है तथा ये हिमाचल प्रदेश में स्थित है।
- यह दुनिया का सबसे ऊंचा गुरुत्वीय बांध है, जिसकी ऊंचाई 226 मी० है।
टिहरी बांध परियोजना
- उत्तराखण्ड राज्य में भागीरथी तथा भिलंगना नदियों के संगम पर स्थित है।
- यह बांध भूकम्प जोन V के अंतर्गत आता है।
- पूरा हिमालय क्षेत्र भी इसी जोन V के अंतर्गत आता है अर्थात यहां पर रिक्टर स्केल पर 8 से अधिक माप वाले भूकंप आने की संभावना बनी रहती है।
- टिहरी बांध भारत का सबसे ऊंचा बांध है। ऊंचाई 261 मी० है।
नर्मदा घाटी परियोजना
- ये परियोजना नर्मदा नदी पर बनी है।
- नर्मदा नदी भारत की 5वीं सबसे लम्बी नदी है तथा अरब सागर में गिरने वाली सबसे लम्बी नदी है।
- इस परियोजना के अंतर्गत कई बांध बनाए जा रहे है। जिनमें से 4 प्रमुख बांध है-
- नर्मदा सागर परियोजना – मध्य प्रदेश में।
- ओंकारेश्वर परियोजना – मध्य प्रदेश में।
- महेश्वर परियोजना – मध्य प्रदेश में।
- सरदार सरोवर परियोजना – गुजरात में।
सरदार सरोवर परियोजना
- सरदार सरोवर परियोजना नर्मदा नदी पर बनाई जा रही है।
- सरदार सरोवर परियोजना 4 राज्यों की संयुक्त परियोजना है– मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात एवं राजस्थान।
- इस परियोजना से सर्वाधिक लाभ गुजरात को मिलेगा। विशेष कर सूखाग्रस्त पश्चिमी गुजरात के क्षेत्र को।
- इस परियोजना से सर्वाधिक हानि मध्य प्रदेश को होगी क्योंकि घाटी में जलस्तर ऊपर उठेगा तथा एक बड़ा भूभाग जलमग्न हो जाएगा जिससे पारिस्थितिकी, पर्यावरणीय एवं मानवीय संकट उत्पन्न होगा।
केन-बेतवा लिंक परियोजना
- ये परियोजना 2005 में शुरू की गयी थी।
- केन तथा बेतवा दोनों ही यमुना की सहायक नदियां हैं।
- दोनों ही नदियां मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में बहती हैं।
- एक नहर के माध्यम से दोनों नदियों को जोड़ने की परियोजना है।
- बुंदेलखंड के अति-शुष्क क्षेत्र को फायदा मिलेगा।
- ये परियोजना महत्वाकांक्षी नदी जोड़ों परियोजना का शुरुआती रूप है।
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मुझे यह लेख बहुत अच्छा लगा