भारत में आंतरिक जल परिवहन :- भारत एक नदियों का देश है। अतः यहां जल परिवहन की व्यापक संभावनाएं हैं। नदियां और नहर प्रणालियां आंतरिक जल परिवहन मार्ग का कार्य करती है तथा देश के आंतरिक क्षेत्रों को बड़े तटीय बंदरगाहों से जोड़ती है। देश में आंतरिक जल मार्गों की सर्वाधिक लम्बाई उत्तर प्रदेश राज्य में है। Inland water transport in India UPSC notes in Hindi.
- भारत में जल मार्गों के विकास हेतु “भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आई डब्लू ए आई)” की स्थापना वर्ष 1986 में की गयी। इसका मुख्यालय उत्तर प्रदेश के नोएड़ा में है।
देश के अन्य महत्वपूर्ण जल संस्थान एवं उनके कार्यालय निम्नवत हैं-
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- राष्ट्रीय अंतर्देशीय नौवहन संस्थान – पटना।
- राष्ट्रीय जलक्रीड़ा संस्थान – गोवा।
- इण्डियन मेरीटाइम यूनिवर्सिटी – चेन्नई।
आंतरिक जलमार्गों के संचालन में आने वाली प्रमुख समस्याएँ निम्नवत हैं-
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- जल स्तर या पानी का घटना बढ़ना।
- नदियों की तटबंदी सही से नहीं की गयी है।
- नदियों की साफ-सफाई न होने के कारण, नदियों में ठोस कचरा बना रहता है जिस कारण जहाज वहां फस सकते है।
- वर्ष 2016 में राष्ट्रीय जल मार्ग अधिनियम के अनुसार देश में 106 नए राष्ट्रीय जल मार्ग चिन्हित किए गए। वर्तमान समय में कुल 111 राष्ट्रीय जल मार्ग है।
Table of Contents
भारत के प्रमुख राष्ट्रीय जल मार्ग
1. राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (National waterway-1)
- वर्ष 1986 में घोषित किया गया था।
- गंगा एवं हुगली नदी पर प्रयागराज (इलाहाबाद) से हल्दिया तक।
- इसकी कुल लम्बाई 1620 कि0मी0 है।
2. राष्ट्रीय जलमार्ग-2 (National waterway-2)
- वर्ष 1988 में घोषित किया गया था।
- ब्रह्मपुत्र नदी पर सदिया से धुबरी तक।
- इसकी कुल लम्बाई 891 कि0मी0 है।
3. राष्ट्रीय जलमार्ग-3 (National waterway-3)
- केरल में उद्योगमण्डल नहर पर कोल्लम से कोट्टापुरम तक।
4. राष्ट्रीय जलमार्ग-4 (National waterway-4)
- आंध्र प्रदेश में कृष्णा और गोदावरी नदी के निकट बनी काकीनाडा-पुडुचेरी शहर(बर्मिघम नहर) पर काकीनाड़ा से मरक्कानम तक।
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