भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण, निवारण एवं नियंत्रण

भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण, निवारण एवं नियंत्रण

भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण, भारत में जनसंख्या वृद्धि निवारण एवं नियंत्रण : एशिया महाद्वीप में अवस्थित भारत देश क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व का सातवां (7) सबसे बड़ा देश है। विगत वर्षों में भारत देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण इसका विश्व में दूसरा (2) स्थान है यहाँ विश्व की लगभग 17.55% जनसंख्या निवास करती है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत में तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या के कारण इसे जनसंख्या विस्फोट का नाम दिया गया।

जनसंख्या विस्फोट होने के कारण भारत में भुखमरी, बेरोजगारी, आवास संबंधी जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं जिससे देश के सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। चूँकि भारत देश जनसंख्या की दृष्टि से विश्व का दूसरा देश है जहाँ जनसंख्या वृद्धि के बहुत से कारण है जिनका विवरण निम्नलिखित है –

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भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण (Reasons of population growth in India in hindi)-

जन्म-दर के कारण जनसंख्या वृद्धि –

जन्म दर से तात्पर्य “किसी देश में एक वर्ष या अवधि में कुल जनसंख्या के प्रति हजार व्यक्तियों में जन्म लेने वाले जीवित बच्चों की संख्या से है।” जन्म-दर किसी भी देश की जनसंख्या को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है अर्थात जन्म-दर अधिक होने पर जनसंख्या में वृद्धि होती है और कम होने पर जनसंख्या में कमी होती है।

भारतीय जनसंख्या वृद्धि को लेकर यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड 2019 की एक रिपोर्ट ने यह खुलासा किया है कि भारत की जनसंख्या चीन के मुकाबले काफी तेजी से बढ़ रही है। 2010 से 2019 के बीच भारत में जनसंख्या 1.2% की सालाना दर से बढ़ी है जबकि इसी समयकाल में चीन की जनसंख्या वृद्धि दर 0.5% रही है।

मृत्यु दर के कारण जनसंख्या वृद्धि –

मृत्यु-दर से तात्पर्य “किसी देश में एक वर्ष या अवधि में कुल जनसंख्या के प्रति हजार व्यक्तियों में मरने वाले व्यक्तियों की संख्या से है।” मृत्यु दर जनसंख्या को दो तरीकों से प्रभावित करती है पहला- यदि मृत्यु- दर जन्म-दर की अपेक्षा कम है तो इससे जनसंख्या में वृद्धि होती है और दूसरा- यदि मृत्यु दर जन्म दर से अधिक है तो इससे जनसंख्या में कमी होती है।

भारत की मृत्युदर कम हुई है, 2013 से 2018 के मध्य, भारत की मृत्‍यु दर 7.2 से घटकर 6.2 रह गई है जिसके कारण जनसंख्‍या में करीब 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और भारत की जनसंख्या 118 करोड़ से 130 करोड़ हो गई।

बाल विवाह के कारण जनसंख्या वृद्धि –

भारत देश में बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं के प्रचलन से कुछ पिछड़े इलाकों में बहुत से बालक एवं बालिकाओं का कम उम्र में ही विवाह कर दिया जाता है और वे बहुत जल्द कम उम्र में ही माँ-बाप बन जाते हैं जिससे अधिक बच्चे होने की संभावना रहती है। कम उम्र होने के कारण उनका पूरा परिवार आर्थिक रूप से अन्य लोगों पर निर्भर होता है जिससे कमाने वालों की संख्या में कमी होने के कारण भुखमरी एवं बेरोजगारी जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

बाल विवाह से होने वाली दुष्परिणामों को देखते हुए भारत सरकार द्वारा बाल विवाह पर रोक लगा दी गई जिसमें उन्होंने विशेष विवाह अधिनियम, 1954 और बाल विवाह अधिनियम 2006 के तहत महिलाओं के लिए विवाह के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष एवं पुरुषों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष कर दी गयी।

अन्धविश्वास के कारण जनसंख्या वृद्धि –

भारत में कई लोग परिवार नियोजन के उपायों का पालन नहीं करते हैं वे परिवार नियोजन के उपायों को ईश्वर के विरुद्ध होना समझते हैं। कई लोगों का यह दृष्टिकोण होता है की बच्चे ईश्वर की देन होते हैं उनकी अधिक संख्या बुढ़ापे में उनके लिए सहारे का कार्य करेंगे। जिससे वे बड़े परिवार को अधिक महत्व देते हैं अतः अंधविश्वास भी जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण है।

यह धारणा हिन्दुओं में कम होती जा रही है लेकिन ज्यादातर मुस्लिम समाज जो शिक्षा से वंचित रहे हैं वह अभी भी इस धारणा को सही मानते हैं। जिसके कारण वह अधिक बच्चे पैदा करते हैं जिस कारण उन बच्चों का भरण पोषण ठीक ढंग से नहीं हो पाता है।

अशिक्षा एवं अज्ञानता के कारण जनसंख्या वृद्धि –

शिक्षा एवं ज्ञान सभी देश के लोगों लिए आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है। वर्तमान में भारत देश में बहुत से व्यक्ति ऐसे है जो शिक्षा से परिचित नहीं है जिससे वे देश की स्थिति का अनुमान नहीं लगा पाते है। भारत देश में बहुत से लोग निरक्षर है और उनको परिवार नियोजन के उपायों की जानकारी प्राप्त नहीं हो पाती है। परिवार नियोजन के उपायों की जानकारी न होने के कारण बच्चे होने की सम्भावना अधिक होती है जिससे जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि होती है।

जीवन प्रत्याशा के कारण जनसंख्या वृद्धि –

जनसंख्या वृद्धि का एक प्रमुख कारण जीवन प्रत्याशा का बढ़ना है। मृत्यु-दर में कमी होने से जीवन प्रत्याशा में भी वृद्धि होती है। जन्म-दर एवं मृत्यु-दर दो ऐसे कारक हैं जो जीवन प्रत्याशा को प्रभावित करते है। भारत में सन् 1921 में जीवन प्रत्याशा 20 वर्ष थी जो वर्तमान में बढ़कर 63 वर्ष हो गयी है।

प्रवास के कारण जनसंख्या वृद्धि –

प्रवास भी जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण है क्योंकि ऐसा माना जाता है की भारत की जनसंख्या में लगभग 1% वृद्धि का कारण प्रवास है। “प्रवास से आशय जनसंख्या का एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण से है।” उदाहरण के लिए – बांग्लादेश की सीमा से लगे राज्यों जैसे – त्रिपुरा, मेघालय, असम में जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण बांग्लादेश से आए प्रवासी है जो भारत देश की जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण बनते है।

सरकारी नीतियों के कारण जनसंख्या वृद्धि –

वर्तमान में सरकार पहले बच्चे के जन्म पर 6 हजार रुपये की धनराशि देती है और दूसरे बच्चे के लिए भी 6 हजार रुपये की धनराशि देती है जिससे कई लोगों में लालच उत्पन्न होता है और वे अधिक बच्चों के बारे में सोचने लगते है यही कारण है की सरकारी नीतियों के माध्यम भी जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। हालांकि 6 हजार रुपये की धनराशि सरकार द्वारा बच्चे के नियमित विकास के लिए दी जाती है किंतु बहुत से लोग इसका गलत इस्तेमाल कर लेते है।

भारत में जनसंख्या वृद्धि के निवारण एवं नियंत्रण (Prevention and control of population growth in India in hindi) –

शिक्षा का प्रसार –

शिक्षा किसी भी देश के सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है। भारत में  जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण अशिक्षा है। जनसंख्या वृद्धि किसी भी देश के लिए बहुत हानिकारक मानी जाती है इससे भुखमरी, बेरोजगारी जैसी कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। शिक्षा जनसंख्या वृद्धि के निवारण एवं नियंत्रण के लिए आवश्यक है अतः देश में हर बच्चे के लिए शिक्षा को अनिवार्य किया जाना चाहिए जिससे वे देश में व्याप्त विभिन्न परिस्थितियों को समझ सके।

शिक्षा के माध्यम से न केवल जनसंख्या वृद्धि का निवारण एवं नियंत्रण किया जाता है बल्कि देश के विकास के लिए भी यह महत्वपूर्ण है। निरक्षरता के कारण लोग अपनी समस्याओं को किसी के सम्मुख रखना सही नहीं समझते है अर्थात शिक्षा के माध्यम से जनसंख्या वृद्धि रोकी जा सकती है।

सामाजिक सुरक्षा –

भारत देश में वृद्धावस्था, बेकारी या दुर्घटना से सुरक्षित रहने के नियमित साधन ना होने के कारण लोगों में उनकी सुरक्षा से संबंधित भय बना रहता है जिसके कारण वे बड़े परिवार की इच्छा रखते है ताकि उनका परिवार उनकी सुरक्षा कर सके। अतएव सामाजिक सुरक्षा के कार्यक्रमों में बेरोजगारी भत्ता, वृद्धा पेंशन, वृद्धा आश्रम चलाकर लोगों की सुरक्षा के माध्यमों को अपनाना चाहिए जिससे उनमें सुरक्षा की भावना जाग्रत होगी और वे छोटे परिवार से संतुष्ट रहेंगे।

परिवार नियोजन जानकारी –

परिवार नियोजन के उपायों को लोगों तक पहुंचाने के लिए इसका प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए जिससे लोगों में जागरूकता की भावना उत्पन्न होगी और यह जनसंख्या वृद्धि के नियंत्रण एवं निवारण के लिए आवश्यक है।

सन्तति सुधार कार्यक्रम –

जनसंख्या वृद्धि के नियंत्रण के लिए सन्तति सुधार कार्यक्रमों को अपनाया जाना चाहिए और संक्रामक रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों के विवाह एवं सन्तानोत्पत्ति पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

जीवन-स्तर का विकास –

देश में लोगों के जीवन स्तर को बढ़ाने के लिए कृषि एवं औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए। लोगों के जीवन स्तर में विकास होने से वे स्वयं ही छोटे परिवार को महत्व देने लगेंगे जिससे जनसंख्या वृद्धि नियंत्रित होगा।

स्वास्थ्य सेवा के साधन –

स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार भी जनसंख्या वृद्धि के नियंत्रण एवं निवारण के लिए आवश्यक है। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लोगों की कार्यकुशलता एवं आर्थिक उत्पादन की क्षमता को बनाये रखने के लिए आवश्यक है इससे उनके जीवन का विकास होगा और वे देश के हित के लिए हर तरीके कार्य करेंगे।

संतानोत्पत्ति की सीमा निर्धारण –

चीन विश्व में जनसंख्या के स्थान पर प्रथम स्थान है और उसने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए संतानोत्पत्ति की सीमा का निर्धारण किया है जिसमें उन्होंने प्रत्येक परिवार के लिए संतान की संख्या 1 या 2 निर्धारित की है। भारत देश में जनसंख्या विस्फोट को देखते हुए यहाँ भी संतानोत्पत्ति की सीमा निर्धारित कर देनी चाहिए इससे जनसंख्या को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

महिला जागरूकता पर बल –

भारत देश में आज भी महिलाओं में जागरूकता की कमी है वे देश के विकास में अपना योगदान देने में हर तरह से पीछे रह जाती है। यदि शिक्षा के या अन्य किसी माध्यम जैसे – प्रचार-प्रसार से महिलाओं को जागरूक किया जाए तो वे जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए बहुत बड़ा योगदान कर सकती है। महिलाओं में जागरूकता से जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है।

इसके अलावा जन संपर्क जैसे – नुक्कड़ नाटक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा तरह-तरह की प्रतियोगिताओं के माध्यम से भी जनसंख्या वृद्धि के कारणों एवं समस्याओं की जानकारी दी जा सकती है।