भारत में लौह अयस्क :- लौह अयस्क भारत का सबसे महत्वपूर्ण खनिज संसाधन है। भारत का लौह अयस्क उत्पादन में विश्व में चौथा स्थान है। लौह अयस्क उत्पादन में विश्व में सर्वाधिक उत्पादन वाले चार देश क्रमशः निम्नलिखित हैं –
- चीन
- आस्ट्रेलिया
- ब्राजील
- भारत
लौह अयस्क
जब लौह को धरती से निकाला जाता है तब वह विशुद्ध रूप में होता है तथा उसमें कई अशुद्धियां होती है। इन अशुद्धियों का अलग करके शुद्ध लौह प्राप्त किया जाता है।
लौह अयस्क चार प्रकार का होता है –
- मैग्नेटाइट – यह सर्वोत्तम प्रकार का लोह अयहस्क होता है तथा भारत में ये केवल दक्षिणी राज्यों में पाया जाता है। कुदरेमुख (कर्नाटक), गोवा, सेलम (तमिलनाडु), कोझीकोड (केरल)। मैग्नेटाइट का 70% भण्डार कर्नाटक राज्य में है।
- हेमेटाइट – यह दूसरी सर्वोत्तम किस्म का लोह अयस्क होता है। भारत में 80% लोह भण्डार इसी का है। मुख्यतः पूर्वी राज्यों में उड़ीसा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ में संचित है।
- लिमोनाइट
- सिडेराइट – सबसे निम्नतम कोटी का लोह अयस्क होता है।
भारत में लौह अयस्क उत्पादक राज्य
सर्वाधिक लौह अयस्क भण्डार वाले भारत के तीन राज्य क्रमशः निम्नवत हैं-
- कर्नाटक
- ओड़िशा
- झारखण्ड
सर्वाधिक लौह अयस्क उत्पादन वाले भारत के तीन राज्य क्रमशः निम्नवत है-
- ओड़िशा
- कर्नाटक
- झारखण्ड
- देश का सबसे बड़ा लौह अयस्क क्षेत्र बरामजादा समूह के नाम से जाना जाता है। यह एक चट्टानी समूह है तथा झारखण्ड एवं उड़ीसा के सीमावर्ती जिलों में फैला हुआ है। इसके अंतर्गत झारखण्ड का सिंहभूम जिला तथा उड़ीसा का क्योंझर जिला आता है।
- भारत में लौह अयस्क की प्राप्ति धारवाड़ क्रम या कुडप्पा क्रम की आग्नेय चट्टानों से होती है।
- भारत अपने लौहे का अधिकांश भाग जापान को तथा दूसरे स्थान पर चीन को निर्यात करता है।
भारत के प्रमुख लौह अयस्क क्षेत्र –
1. उड़ीसा
- मयूरभज जिला – गुरूमहिसानी एवं बादाम पहाड़ी क्षेत्र।
- क्योंझर जिला – ये पूर्णतः बरामजादा समूह के अंतर्गत आता है।
2. झारखण्ड
- सिंहभूम जिला – पसिराबुरू एवं नोवामण्डी क्षेत्र। ये दोनों ही बरामजादा समूह के अंतर्गत आता है।
3. छत्तीसगढ़
- दुर्ग जिला – दल्ली राजहरा।
- दान्तेवाड़ा जिला – बैलाडिला।
4. कर्नाटक
- चिकमंगलूर जिला – कुद्रेमुख पहाड़ी, बाबाबूदन पहाड़ी।
- बेल्लारी जिला – सन्दूर पहाड़ी।
5. तमिलनाडु
- सलेम
6. केरल
- कोझीकोड़
7. गोवा
8. महाराष्ट्र
- रत्नागिरी जिला
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