सिंधु घाटी सभ्यता का पतन

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन : सिंधु घाटी सभ्यता का पतन कैसे हुआ या सिंधु घाटी सभ्यता का अंत कैसे हुआ ? सिंधु घाटी सभ्यता का अंत इस सभ्यता के तक़रीबन 1000 हजार साल तक रहने के बाद हुआ। इस सभ्यता का पतन कब और कैसे हुआ इस बारे में विद्वानों के कई मत हैं और कोई भी एक कारण या समय ज्ञात नहीं है।

सिंधु सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारणों की समीक्षा करें

सिंधु सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारण निम्न हैं —

  • सिंधु सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता तक़रीबन 1000 वर्षों तक रही।
  • सिंधु सभ्यता के अन्त के कारणों के बारे में इतिहासकारों के अलग-अलग कई मत हैं,
    जिनमें से प्रमुख मत निम्न हैं —
    → जलवायु परिवर्तन
    → नदियों का जलमार्ग परिवर्तित हो जाना
    → बाढ़
    → आर्यों का आक्रमण
    → भूकम्प
    → सामाजिक ढाँचे में बिखराव आदि

अधिकतर विद्वानो का मत है की इस सभ्यता का पतन बाढ़ के प्रकोप के कारण ही हुआ, हालाँकि सिंधु सभ्यता का विकास नदी घाटी क्षेत्र में ही हुआ था तो इस क्षेत्र में बाढ़ का आना स्वाभाविक था, इसलिए यह तर्कसंगत लगता है कि इस सभ्यता का अंत बाढ़ आने के कारण हुआ हो।

वही कुछ विद्वानो का मत है की केवल बाढ़ आने से इतनी विशाल सभ्यता का पतन नहीं हो सकता है। इसलिए बाढ़ के अलावा और भी कई कारणों जैसे – आग लग जाना, महामारी, बाहरी आक्रमण आदि अन्य कई कारणों से इस सभ्यता के अंत का समर्थन कई विद्वान करते हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता के पतन के संबंध में विभिन्न विद्वान और उनकी राय

विद्वान (विचारक) विचार (मान्यता)
स्टुअर्ट, पिगॉट और गॉर्डन-चाइल्ड बाहरी आक्रमण (आर्य द्वारा आक्रमण)
एम.आर साहनी बाढ़ आना (जलप्लावन)
मार्शल, एस.आर राव और मैकी बाढ़
जी.एफ हेल्स घग्गर के बहाव में परिवर्तन के कारण विनाश
के.वी.आर केनेडी महामारी
मार्शल और रायक्स भू-तात्विक परिवर्तन (Tectonic Disturbances)
ऑरेल स्ट्रेन और ए.एन घोष जलवायु में परिवर्तन
वाल्टर फेयरसर्विस वनों की कटाई, संसाधनों की कमी और पारिस्थितिकीय असंतुलन
व्हीलर व्हीलर ने अपनी किताब ‘प्राचीन भारत’ में उल्लेख किया है कि सिंधु सभ्यता का पतन वास्तव में बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन, आर्थिक और राजनीतिक बदलावों के कारण हुआ था।
जॉर्ज डेल्स जॉर्ज डेल्स ने ‘द मिथिकल नरसंहार ऐट मोहन जोदड़ो’ में व्हीलर द्वारा दिए गए घुसपैठ के सिद्धांत को नकारते हुए तर्क दिया है कि पाए गए कंकाल हड़प्पा काल से संबंधित नहीं थे और समाधी या दफ़न करने का तरीका हड़प्पा काल से मिलता नहीं है। अतः इस सभ्यता का पतन नरसंहार के कारण नहीं हुआ है।

 

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