सिखों के 10 गुरु के नाम in hindi: सिख धर्म के 10 गुरु हुए हैं। गुरु नानक देव जी सिख धर्म के प्रवर्तक (जनक) थे इनके बाद 9 गुरु और हुए हैं। सिक्ख धर्म के दसवें व अंतिम गुरु गोविंद सिंह थे। सिखों के 10 गुरु के नाम in hindi में व उनसे जुड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछी जाने वाली महत्वपूर्ण जानकारी यहाँ दी गयी हैं। सिख धर्म के 10 गुरुओं से संबंधित नोट्स हिंदी में (Notes related to 10 Gurus of Sikhism in Hindi).
Table of Contents
सिख धर्म के 10 गुरु के नाम
- गुरु नानक देव जी (1469-1539)
- गुरु अंगद देव जी (1539-1552)
- गुरु अमर दास (1552-1574)
- गुरु राम दास (1574-1581)
- गुरु अर्जुन देव (1581-1606)
- गुरु हरगोविंद (1606-1644)
- गुरु हर राय (1645-1661 )
- गुरु हरकिशन (1661-1664)
- गुरु तेग बहादुर (1664-1675)
- गुरु गोविंद सिंह (1675-1699)
1. गुरु नानक देव जी (1469-1539)
- सिख धर्म के प्रवर्तक गुरु नानक देव का जन्म 15 अप्रैल 1469 में तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था।
- गुरु नानक देव जी ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी।
- नानक जी के पिता का नाम कल्यानचंद (मेहता कालू जी) और माता का नाम तृप्ता था।
- नानक जी के जन्म के बाद तलवंडी का नाम ननकाना पड़ा। वर्तमान में यह जगह पाकिस्तान में स्थित है।
- नानक जी का विवाह सुलक्खनी नाम की महिला के साथ हुआ।
- नानक जी के 2 पुत्र श्रीचन्द औऱ लक्ष्मीचन्द थे।
- नानक जी ने कर्तारपुर नामक एक नगर बसाया था, जो वर्तमान पाकिस्तान में स्थित है। इसी स्थान पर सन् 1539 को गुरु नानक जी का देहांत हुआ था।
- 1496 ई० में कार्तिक पूर्णिमा की रात को इन्हें ज्ञान की प्राप्ती हुई थी।
- गुरु नानक देव जी ने संगत और पंगत को स्थापित किया था। संगत का अर्थ होता है धर्मशाला और पंगत का अर्थ होता है लंगर लगाना।
2. गुरु अंगद देव जी (1539-1552)
- गुरु अंगद देव जी सिखों के दूसरे गुरु थे।
- गुरु नानक देव ने अपने दोनों पुत्रों को छोड़कर, इन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाया था।
- इनका जन्म फिरोजपुर, पंजाब में 31 मार्च, 1504 को हुआ था।
- इनके पिता का नाम फेरू जी था, जो पेशे से व्यापारी थे। इनकी माता का नाम रामा जी था।
- गुरु अंगद देव को लहिणा जी के नाम से भी जाना जाता है।
- इन्होंने ही गुरुमुखी लिपि को जन्म दिया।
- इनका विवाह खीवी नामक महिला के साथ हुआ।
- इनकी 4 संतान थी। जिनमें 2 पुत्र एवं 2 पुत्री थी।
- गुरु अंगद देव जी लगभग 7 साल तक गुरु नानक देव के साथ रहे और फिर सिख पंथ की गद्दी पर बैठे।
- गुरु अंगद देव जी सितंबर 1539 से मार्च 1552 तक अपने पद पर रहे।
- गुरु अंगद देव जी ने जात-पात के भेद-भाव से हटकर लंगर प्रथा स्थायी रूप से चलाई और पंजाबी भाषा का प्रचार शुरू किया।
3. गुरु अमर दास जी (1552-1574)
- गुरु अंगद देव जी के बाद गुरु अमर दास सिख धर्म के तीसरे गुरु बने।
- 61 वर्ष की आयु में गुरु अंगद देव को अपना गुरु बनाया और तब से लगातार उनकी सेवा की ।
- गुरु अंगद देव ने उनकी सेवा व समर्पण को देखकर ही उन्हे अपनी गद्दी सौंपी।
- गुरु अमर दास का निधन 1 सितंबर, 1574 को हुआ था।
- गुरु अमर दास ने सती प्रथा का विरोध किया तथा अंतर जातीय विवाह एवं विधवा विवाह को बढ़ावा दिया था।
4. गुरु रामदास जी (1574-1581)
- गुरु रामदास जी गुरु अमरदास के दामाद थे।
- गुरु रामदास जी का जन्म लाहौर में हुआ था।
- बाल्यावस्था में उनकी माता का देहांत हो गया था और लगभग 7 वर्ष की आयु में पिता का भी देहांत हो गया था। उसके बाद वे अपनी नानी के साथ रहे।
- गुरु अमरदास जी ने इनकी सहनशीलता, नम्रता व आज्ञाकारिता के भाव को देखकर अपनी छोटी बेटी की शादी इनके साथ कर दी।
- गूरू रामदास ने 1577 ई० में “अमृत सरोवर” नामक एक नगर की स्थापना की थी। जो आगे चलकर अमृतसर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
- मुग़ल साम्राज्य के मुग़ल सम्राट अकबर इनका बहुत सम्मान करते थे। गुरु रामदास जी के कहने पर ही अकबर ने एक साल का पंजाब का लगान माफ कर दिया था।
5. गुरु अर्जुन देव (1581-1606)
- गुरु अर्जुन देव का जन्म 15 अप्रैल 1563 को हुआ था।
- गुरु अर्जुन देव ने खुद को सच्चा बादशाह कहा था।
- गुरु अर्जुन देव चौथे गुरु रामदास जी के पुत्र थे।
- इन्होने अमृत सरोवर का निर्माण कराकर उसमें “हरमंदिर साहिब” (स्वर्ण मंदिर) का निर्माण कराया जिसकी नींव सूफी संत मियां मीर के हाथों से रखवायी गयी।
- धार्मिक ग्रन्थ (आदि ग्रन्थ) की रचना करने का श्रेय भी इनको ही जाता है।
- जहांगीर ने इन्हें अपने पुत्र खुसरो की बगावत में सहायता करने के कारण गुरु अर्जुन देव को पकड़कर पांच दिनों तक तरह-तरह की यातनाएं दी गईं जिसे वह सह गए फिर 30 मई 1606 को उन्हें गर्म तवे पर बिठाकर उनके ऊपर गर्म रेत और तेल डाला गया, इस समय लाहौर में भीषण गर्मी पड़ रही थी। इन घोर यातनाओं के कारण गुरु अर्जुन देव बेहोश हो गए और उनके शरीर को रावी नदी में बहा दिया गया।
- गुरु अर्जुन देव जी के स्मरण में ही रावी नदी के तट पर ‘गुरुद्वारा डेरा साहिब’ का निर्माण करवाया गया है जोकि वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है।
6. गुरु हरगोविंद सिंह (1606-1645)
- गुरु हरगोविंद सिंह पांचवे गुरु अर्जन देव के पुत्र थे, इनकी माता का नाम गंगा था।
- इन्होंने सिखों को अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित किया।
- गुरु हरगोविंद सिंह ने ही सिंख पंथ को योद्धा का रूप प्रदान किया।
- इन्होंने छोटी-सी सेना बना ली थी। जिस कारण से इन्हें 12 वर्षो तक मुगल कैद में रहना पड़ा।
- रिहा होने के बाद गुरु हरगोविंद सिंह ने शाहजहाँ के खिलाफ बगावत कर दी और 1628 ई० में अमृतसर के निकट युद्ध में शाही मुगल फौज को हरा दिया।
- गुरु हरगोविंद सिंह ने ही अकाल तख़्त का निर्माण भी करवाया था।
- 1644 ई० में कीरतपुर, पंजाब में इनका निधन हो गया।
7. गुरु हरराय (1645-1661)
- गुरु हरराय साहिब जी सिख धर्म के छठे गुरु हरगोविंद सिंह के पुत्र बाबा गुरदीता जी के छोटे बेटे थे।
- गुरु हरराय का विवाह किशन कौर के साथ हुआ, तथा इनके दो पुत्र रामराय जी और हरकिशन साहिब जी थे।
- गुरु हरराय ने औरंगजेब के भाई दारा शिकोह की विद्रोह में मदद की थी।
- 1661 ई० में गुरु हरराय की मृत्यु हो गयी।
8. गुरु हरकिशन साहिब (1661-1664)
- गुरु हरकिशन साहिब जन्म 7 जुलाई, 1656 को करतारपुर साहेब में हुआ, तथा ये सातवें गुरु हर राय जी के पुत्र थे।
- गुरु हरकिशन साहिब ने 1661 में मात्र 5 वर्ष की आयु में ही गद्दी प्राप्त कर ली थी।
- कम उम्र के कारण औरंगजेब ने इनका विरोध किया।
- इस विवाद को सुलझाने के लिए ये औरंगजेब से मिलने दिल्ली गए, तो वहां हैजे की महामारी फैली हुई थी। कई लोगों को स्वास्थ्य लाभ कराने के बाद गुरु हरकिशन साहिब जी स्वयं चेचक से पीडित हो गये।
- 30 मार्च 1664 को इनका निधन हो गया। अपने अंतिम क्षणों में इनके मुँह से “बाबा बकाले” शब्द निकले। जिसका अर्थ था कि अगला सिख गुरु बकाले गांव से ढूंढा जायेगा।
- साथ ही गुरु हरकिशन साहिब ने अंतिम क्षणों में यह भी निर्देश दिया था कि उनकी मृत्यु के बाद कोई भी रोएगा नहीं।
9. गुरु तेग बहादुर सिंह (1664-1675)
- गुरु तेग बहादुर सिंह का जन्म 18 अप्रैल 1621 को पंजाब में हुआ था।
- गुरु तेग बहादुर सिंह ने धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ निछावर कर दिया। सही अर्थो में गुरु तेग बहादुर सिंह को “हिन्द की चादर” कहा जाता है।
- इस समय काल में औरंगजेब जबरन धर्म परिवर्तन करा रहा था। इससे परेशान होकर कश्मीरी पंडित गुरु तेग बहादुर की शरण में आये तो उन्होंने कहा कि औरंगजेब से जाकर कहो की अगर वो मुझे इस्लाम कबूल करवा देगा तो हम सब भी इस्लाम कबूल कर लेंगे।
- गुरु तेग बहादुर सिंह को औरंगजेब के दरबार में पहले लालच और फिर यातना देकर इस्लाम कबूलवाने की कोशिश की गयी।
- इस्लाम कबूलवाने के लिए औरंगजेब द्वारा उनके दो प्रिय शिष्यों को उनके सामने मार डाला गया।
- अंत में जब औरंगजेब कामयाब नहीं हुआ तो चांदनी चौक पर गुरु तेग बहादुर सिंह का शीश 24 नवम्बर 1675 ई० को कटवा दिया गया।इस शहीदी स्थान को ‘शीश गंज’ के नाम से जाना जाता है, यहाँ पर “शीशगंज साहिब” नामक गुरुद्वारा स्थित है।
10. गुरु गोविंद सिंह (1675-1708)
- सिखों के दसवें व अंतिम गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 ई० को पटना में हुआ था।
- गुरु गोविंद सिंह सिखों के 9 वें गुरु गुरु तेग बहादुर सिंह के पुत्र थे। यह मात्र 9 वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठे।
- उन्होंने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने का निर्णय लिया और तलवार हाथ में उठाई।
- उनके बड़े पुत्र बाबा अजीत सिंह और एक अन्य पुत्र बाबा जुझार सिंह ने चमकौर के युद्ध में शहादत प्राप्त की। 22 दिसंबर सन् 1704 को सिरसा नदी के किनारे चमकौर नामक जगह पर सिक्खों और मुग़लों के बीच एक ऐतिहासिक युद्ध लड़ा गया था।
- इनके 2 पुत्र बाबा जोरावर सिंह व फतेह सिंह को मुगल गवर्नर वजीर खां के आदेश पर दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था।
- अक्टूबर, 1708 ई० में नांदेड़ में एक पठान द्वारा सिखों के दसवें व अंतिम गुरु गोविंद सिंह की हत्या कर दी गयी। उससे पहले इन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और गुरु प्रथा को समाप्त कर दिया।
- गुरु गोविंद सिंह ने पांचवे गुरु अर्जुन देव द्वारा स्थापित “गुरु ग्रंथ साहिब” को ही अगला गुरु बताया।
इसके बाद पढ़ें — सिख साम्राज्य का उदय / सिखों का इतिहास
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