हडबूजी – राजस्थान के लोकदेवता : राजस्थान के लोकदेवता हडबूजी ( Hadbuji ) या हडबूजी साँखला को ‘भविष्यदृष्टा, शकुनशास्त्र के ज्ञाता’ नाम से भी जाना और पूजा जाता है। हडबूजी को राजस्थान और आस-पास के क्षेत्र में लोकदेवता के रूप में पूजा जाता है।
- हडबूजी का जन्म भडेल ( नागौर ) में हुआ था और हडबूजी के पिता का नाम महाराज साँखला था।
- हडबूजी को ‘शकुनशास्त्र के ज्ञाता, चमत्कारी महापुरुष, भविष्यदृष्टा, वचन सिद्ध पुरुष’ आदि उपनामों से भी जाना जाता है।
- हड़बूजी अपने पिता की मृत्यु के वि.स. 1462 में भूंडेल गाँव छोड़कर फलौदी (जोधपुर) के एक गाँव ‘हरममजाल’ में आ गये।
- हडबूजी हरममजाल में आने के बाद ‘रामदेवजी’ से मिले और ‘रामदेवजी’ के गुरु ‘बाली नाथ’ जी के शिष्य बन गये।
- हडबूजी की सवारी सियार या गीदड है।
- हडबूजी मारवाड शासक ‘राव जोधा’ के समकालीन थे।
- हड़बूजी को ‘भविष्यदृष्टा’ भी कहते है क्योंकि हड़बूजी में भविष्य देखने की दिव्य शक्ति थी। ‘सांखला हडबू का हाल’ ग्रन्थ से हड़बूजी के जीवन पर प्रकाश डालता है इसी ग्रन्थ से पता चलता है कि हड़बू जी योगी व योद्धा दोनों ही थे।
- मारवाड पर 1438 से 1453 ई. तक मेवाड़ का शासन रहा, इसी समय मेवाड का शासक ‘महाराणा कुंभा’ था। इसी समय ‘राव जोधा’ मारवाड़ जीतने का प्रयास कर रहा था। तब हड़बू जी ने राव जोधा की सहायता की व उन्हें आशीर्वाद दिया था। हडबूजी के आशीर्वाद से जब जोधा मारवाड पुन: प्राप्त करने में सफल हुआ तो राव जोधा द्वारा हड़बूजी को ‘बेंगटी’ गाँव प्रदान किया गया था।
- हडबूजी का मंदिर बेंगटी गाँव फलौदी (जोधपुर) में स्थित है। जहाँ पर हड़बूजी की गाड़ी की पूजा की जाती है क्योंकि इसी गाड़ी में हड़बूजी पंगू (यानि की अपंग) गायों के लिये घास लाते थे।
- जोधपुर के महाराजा अजीतसिंह द्वारा 1721 ई. में हड़बूजी के मंदिर का निर्माण करवाया गया था जिसमें साँखला राजपूत को ही पुजारी नियुक्त किया जाता है।
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हड़बूजी सांखला का मेला कब भरता है
Bengti [phalodi]
Bhadrpad krishan astami ko baapini, jodhpur me bharta h
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