हैदर अली का उत्कर्ष : हैदर अली का जन्म 1721 में बुढ़ीकोटा (कर्नाटक) में हुआ था। हैदर अली के पिता का नाम फतेह महोम्मद था और वह मैसूर राज्य की सेना में फौजदार थे। मैसूर का वास्तविक संस्थापक हैदर अली को कहा जाता है। हैदर अली 1761 में वह मैसूर का शासक बना।
- जब मैसूर का राजा चिपका कृष्णराज था, तब उसके समय में सत्ता को धोखे से हथियाने की प्रथा चालू हो गयी।
- 1732 में मैसूर पर 2 भाईयों देवराज और नंद राज का शासन था। जो पहले राजा चिपका कृष्णराज के मंत्री थे।
- हैदर अली इनकी ही सेना में सैनिक था।
- हैदर अली के पूर्वज दिल्ली प्रदेश के मूल निवासी थे। जोकि बाद में दक्षिण की ओर पलायन कर गए।
- सन 1728 ई० में पिता के देहांत के बाद हैदर अली को अनेक प्रारम्भिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। यही एक प्रमुख कारण था कि हैदर की शिक्षा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया और वो आजीवन अशिक्षित ही रहा। परन्तु इन चुनौतियों ने उसे दृढ़ निश्चयी, उत्साही, प्रखर बुद्धी और वीर योद्धा बनाया।
- हैदर अली की बहादुरी से प्रसन्न होकर नंदराज ने उसे 1755 में डिंडीगुल (तमिलनाडू) का फौजदार (मिलट्री कमाण्डर) बना दिया गया।
- ड़िडीगुल में ही हैदर अली ने फ्रांसीसियों की सहायता से शस्त्रागार स्थापित किया। अपने सैनिकों को फ्रांसीसी सेनापतियों से प्रशिक्षण दिलवाया।
- 1759 में मराठों ने मैसूर पर आक्रमण किया तब हैदर अली ने ही मैसूर को सुरक्षित बचाया।
- इस विजय से खुश होकर नंदराज ने हैदर अली को मुख्य सेनापति नियुक्त कर दिया।
- कुछ समय उपरान्त उसे नंदराज के साथ त्रिचनापल्ली के घेरे में कार्य करने का अवसर मिला। इस अभियान में उसने अंग्रेजों की एक सैनिक टुकड़ी से बहुत सी बन्दूकें तथा भारी मात्रा में गोलाबारूद छीन लिया, इसके परिणामस्वरूप इसकी सैन्य शक्ति में असाधारण वृद्धि हो गई।
- 1760 में सेनापति हैदर अली ने नंदराज की हत्या करके सारा शासन अपने कब्जे में कर लिया।
- तब जाकर 1761 में हैदर अली मैसूर का वास्तविक शासक बना।
- हैदर अली एक योग्य सुलतान था। सत्ता हाथ में आते ही अपने राज्य का विस्तार किया।
- उसने 1763 में बंदनूर पर अधिकर कर उसका नाम बदल कर हैदराबाद रखा। इसके अतिरिक्त सुण्डा, सेरा, कनारा, रायदुर्ग आदि पर भी अधिकार कर लिया।
- कालीकट, कोचीन तथा पालघाट के राजाओं को भी अपनी अधीनता स्वीकार करने पर विवश किया।
- हैदर अली ने श्रीरंगपटनम को अपनी राजधानी बनाया।
- उसके राज्य विस्तार से निकटवर्ती राज्य (ब्रिटिशर, निजाम और मराठे) भयभीत हो गये। ये सभी हैदरअली को अपना प्रबल प्रतिद्वंद्वी मानने लगे।
- मराठों ने माधव राव प्रथम के नेतृत्व में मैसूर पर 3 बार आक्रमण किया। तीनों ही युद्धों में हैदर अली को हार का सामना करना पड़ा। इन युद्धों में मराठों ने हैदर अली से धन और राज्य का कुछ भाग अपने अधिकार में कर लिया।
- पहला आक्रमण-1764
- दूसरा आक्रमण- 1766
- तीसरा आक्रमण- 1771
- 1772 में माधवराव की मृत्यु उपरान्त हैदर अली ने 1774 से 1776 तक मराठों से संघर्ष कर अपने हारे हुए क्षेत्र को दुबारा प्राप्त कर लिया।
- अंग्रेजों ने भी मराठों की तरह ही मैसूर पर आक्रमण किया। इस संघर्ष में कुल 4 युद्ध लड़े गये थे। इन युद्धों को आंग्ल-मैसूर युद्ध के नाम से जाना जाता है तथा ये सभी युद्ध 1767 से 1799 के बीच में लड़े गये।
- द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान ही हैदर अली की मृत्यु हो गयी और अगला शासक उसका पुत्र टीपू सुल्तान बना।
- टीपू सुल्तान ने ही तृतीय और चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध लड़े और चतुर्थ संघर्ष के दौरान ही इसकी भी मृत्यु हो गयी। और इसके साथ ही मैसूर को ब्रिटिश शासन के अधीन ले लिया गया।
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