आत्मकथा और संस्मरण किसे कहते हैं एवं आत्मकथा और संस्मरण में अंतर

आत्मकथा और संस्मरण किसे कहते हैं एवं आत्मकथा और संस्मरण में अंतर

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आत्मकथा और संस्मरण में अंतर

आत्मकथा क्या है (आत्मकथा किसे कहते हैं)

आत्मकथा वह कहानी होती है जिसमें लेखक अपने संपूर्ण जीवन एवं अनुभव का वर्णन करता है। एक लेखक आत्मकथा की रचना के दौरान स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति के जीवन के अनुभव एवं उपलब्धियों को चित्रित करता है। यह आमतौर पर संस्मरण से मिलती-जुलती (परंतु भिन्न) एक रचना होती है। एक आत्मकथा में मुख्य रूप से व्यक्ति के जीवन की सभी घटना, संघर्ष, व्यक्तित्व, आत्म विश्लेषण आदि का प्रमाणित वर्णन किया जाता है। इसमें लेखक स्वयं को केंद्र में रखकर अपनी परिस्थितियों के बारे में लिखता है।

आत्मकथा मुख्य रूप से वह रचना होती है जिसमें किसी व्यक्ति या लेखक के जीवन की विस्तृत जानकारी रचना के माध्यम से दी जाती है। यह एक संक्षिप्त सारांश होती है जिसकी रचना कालानुक्रमिक क्रम के माध्यम से की जाती है। इसमें एक व्यक्ति के जीवन के विभिन्न चरणों का वर्णन किया जाता है।

संस्मरण क्या है (संस्मरण किसे कहते हैं)

संस्मरण वह रचना होती है जिसमें स्मृति के आधार पर किसी व्यक्ति या विषय पर लिखा जाता है। संस्मरण को साहित्य के निबंध की एक प्रवृत्ति के रूप में भी जाना जाता है। संस्मरण किसी व्यक्ति के जीवन एवं कार्यों से संबंधित होता है जिसकी रचना सार्वजनिक रूप से की जाती है। संस्मरण में लेखक स्वयं के अनुभव के माध्यम से रचना करता है। इसमें लेखक की अंतर भावनाएं निहित होती हैं। संस्मरण को प्रेरक एवं सशक्तिकरण के दृष्टिकोण से बेहतर माना जाता है क्योंकि यह विश्व की विभिन्न संस्कृतियों एवं मानव अनुभवों के विषय में जानकारी देता है। वर्ष 1960 में बालमुकुंद गुप्त द्वारा प्रताप नारायण मिश्र के विषय पर रची गई रचना को हिंदी का प्रथम संस्मरण माना जाता है।

संस्मरण एक फ्रांसीसी शब्द है जो स्मृति को संदर्भित करता है। यह मुख्य रूप से पाठकों को एक नैतिक संदेश प्रस्तुत करने का कार्य करता है। संस्मरण का मुख्य उद्देश्य किसी व्यक्ति के जीवन के अनुभव से सीख देना होता है। इसके अलावा संस्मरण जीवन के विभिन्न खंडों का भी वर्णन करता है।

आत्मकथा और संस्मरण में अंतर

आत्मकथा और संस्मरण के अंतर निम्नलिखित हैं:-

  • आत्मकथा में किसी व्यक्ति विशेष के जीवन की सभी महत्वपूर्ण घटनाओं का विवरण किया जाता है जबकि संस्करण में उस व्यक्ति की प्रकृति को केंद्रित किया जाता है।
  • आत्मकथा हिंदी साहित्य का वह स्वरूप होता है जिसमें लेखक स्वयं की जीवनी की रचना करता है परंतु संस्मरण एक साहित्यिक विधा है जिसमें स्मृति को संग्रहित करके व्यक्ति के जीवन में घटित सभी घटनाओं के बारे में लिखा जाता है।
  • आत्मकथा सीधे तौर पर लेखक या किसी व्यक्ति की घटनाओं पर केंद्रित होती है परंतु संस्मरण की रचना घटना की गहराई से जांच-पड़ताल करने के बाद ही की जाती है।
  • एक आत्मकथा किसी व्यक्ति के संपूर्ण जीवन की विस्तृत जानकारी देती है जबकि संस्मरण किसी व्यक्ति के जीवन के विशेष खंड या समय की स्मृति कराती है।
  • आत्मकथा एक कालानुक्रमिक क्रम का पालन करती है परंतु संस्मरण संरचना रहित होती है।
  • एक आत्मकथा लेखक या किसी व्यक्ति के जीवन को प्रस्तुत करती है जबकि संस्मरण उस व्यक्ति की वास्तविकता को दर्शाता है।
  • आत्मकथा मुख्य रूप से कथात्मक शैली का पालन करती है परंतु संस्मरण में विवरणात्मक शैली का प्रयोग किया जाता है।
  • एक आत्मकथा में प्रमाणिकता की कोई आवश्यकता नहीं होती परंतु संस्मरण की रचना में प्रमाणिकता की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
  • आत्मकथा का संबंध किसी भी व्यक्ति से हो सकता है परंतु संस्मरण किसी महापुरुष या किसी अहम घटना से संबंधित होती है।

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