चक्रवात क्या है ? चक्रवात के कारण (What is Cyclone, Causes of Cyclone in hindi )

चक्रवात क्या है ? चक्रवात के कारण (What is Cyclone, Causes of Cyclone in hindi )

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चक्रवात क्या है ? (What is cyclone in hindi)

निम्न वायुमंडलीय दाब के चारों ओर वायु की तेज आंधी को चक्रवात कहा जाता है, सरल शब्दों में केंद्र में कम दबाव के साथ उसके चारों ओर गोल घूमने वाले तेज तूफ़ान को चक्रवात कहते हैं। चक्रवात घूमती हुई वायुराशि होती है जिसका केंद्र एक शांत क्षेत्र होता है जिसे झंझा (थंडर स्टॉर्म) कहा जाता है। चक्रवात दो प्रकार के होते हैं –

  1. उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone)
  2. शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Temperate Cyclone )

उष्णकटिबंधीय चक्रवात – पृथ्वी की कर्क रेखा एवं मकर रेखा के मध्य के भाग को उष्णकटिबंधीय क्षेत्र कहते हैं। अर्थात कर्क रेखा और मकर रेखा के मध्य आने वाले चक्रवातों को उष्णकटिबंधीय चक्रवात कहते हैं।

शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात – पृथ्वी के उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में 23 ½° से 66 ½° तक के क्षेत्र को शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र कहते है। अर्थात उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध में 35°- 65° अक्षांशों के बीच आने वाले चक्रवातों को शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात कहते है।

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विश्व के प्रमुख चक्रवात

भारत के आस-पास समुद्री क्षेत्रों में जो चक्रवात आते हैं उन्हें चक्रवात (Cyclone) कहते हैं, ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में आने वाले चक्रवातों को विली-विली, चीन और जापान के समुद्री क्षेत्रों में आने वाले चक्रवातों को टाइफून तथा अटलांटिक महासागर में आने वाले चक्रवातों को हरिकेन कहा जाता है जिसकी तीव्रता को सैफिर सिम्पसन स्केल (Saffir–Simpson hurricane wind scale) से मापा जाता है।

यूएसए के मैदानी क्षेत्र से उठी ठंडी हवा और मैक्सिको की खाड़ी की गर्म हवा जब मिलती है तो भयंकर चक्रवात का निर्माण होता है जिसे टॉरनेडो कहा जाता है, मैदानी क्षेत्रों में इसे टॉरनेडो एली के नाम से जाना जाता है जो ज्यादातर मिसिसिपी मिसौरी मैदानी क्षेत्रों में देखने को मिलता है। टॉरनेडो विश्व का सबसे खतरनाक चक्रवात है जिसकी तीव्रता को फुजीटा स्केल [Fujita scale (फुजिता पैमाना)] से मापी जाती है।

चक्रवात के कारण (Causes of Cyclone in hindi)

पृथ्वी जब सूर्य के प्रकाश के कारण गर्म हो जाती है तब पृथ्वी में मौजूद वायु गर्म हो जाती है और गर्म वायु हल्की होकर ऊपर की ओर उठने लगती है जिससे वहां पर निम्न दाब का एक क्षेत्र बन जाता है। जिसके बाद आस पास की उच्च दाब वाली वायु निम्न दाब के संपर्क में आने का प्रयास करती है तथा तीव्र गति से उसकी ओर जाने लगती है। पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण कॉरिऑलिस बल उत्पन्न होता है जिसकी वजह से उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब की ओर चक्कर लगाने वाली वायु वृत्त का जैसा आकार ले लेती है।

अतः इस प्रक्रिया से एक बड़े से चक्रवात का निर्माण हो जाता है जिसके बीच में निम्न दाब और बाहर उच्च दाब होता है। चक्रवात के दौरान हवाएं बहुत तेज गति से प्रवाहित होने लगती है जिसके प्रभाव से घने बादलों का निर्माण होने लगता है और बिजली कड़कने के साथ-साथ मूसलाधार बारिश होने भी होने लगती है।

कॉरिऑलिस बल या कॉरिऑलिस प्रभाव (Coriolis force)- पृथ्वी के घूर्णन के कारण वायु की दिशा में विक्षेप उत्पन्न हो जाने से उत्तरी गोलार्द्ध में गतिशील वस्तु अपनी दाईं ओर मुड़ जाती और दक्षिण गोलार्ध में गतिशील वस्तु अपने बाईं ओर मुड़ जाती है। इसका अध्ययन सबसे पहले जी. जी. कॉरिऑलिस ने किया था, जिनके नाम पर इसको कॉरिऑलिस बल कहा जाता है।

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