नील आंदोलन / चंपारण आंदोलन या जिसे चम्पारण सत्याग्रह

नील आंदोलन / चंपारण आंदोलन

नील आंदोलन / चम्पारण सत्याग्रह से जुड़े प्रतियोगी परीक्षा में अक्सर पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न

चंपारण नील आंदोलन के नेता कौन थे ?

चंपारण नील आंदोलन के नेता पंडित राजकुमार शुक्ल थे, चंपारण नील आंदोलन का नेतृत्व सबसे पहले पं० राजकुमार शुक्ल द्वारा ही किया गया।क्यूंकि वह खुद एक किसान थे तो उन्होंने नील की खेती के नाम पर किसानों पर होने वाले अत्याचार और शोषण को स्वयं झेला था।

गांधीजी के जीवन का प्रथम सत्याग्रह कौन सा था?

चम्पारण सत्याग्रह गांधीजी के जीवन का प्रथम सत्याग्रह था। जिसकी शुरुआत 19 अप्रैल 1917 को बिहार के चम्पारण से हुई थी।

चंपारण आंदोलन क्यों हुआ?

अंग्रेजों द्वारा किसानों से जबरन नील की खेती कराने, किसानों को उनकी नील की फसल का सही मूल्य न देने, नील की खेती न करने पर उनको प्रताड़ित और शोषित करने के कारण, किसानों का रोष नील के आंदोलन के रूप में फूटा। इस आंदोलन में गाँधी जी के शामिल हो जाने पर यह आंदोलन चंपारण आंदोलन या चम्पारण सत्याग्रह के नाम से जाना जाने लगा।

गांधीजी ने भारत में प्रथम सत्याग्रह कहाँ किया?

गांधीजी ने भारत में प्रथम सत्याग्रह 19 अप्रैल 1917 को बिहार के चम्पारण में किया। चम्पारण सत्याग्रह गाँधी जी का भारत में प्रथम सत्याग्रह था।

चंपारण आंदोलन किसके खिलाफ था

चंपारण आंदोलन अंग्रेजों के खिलाफ था। ब्रिटेन में नील की बड़ी मांग के कारण इसकी खेती अंग्रेजों द्वारा दक्षिण अफ़्रीका के साथ-साथ भारत में भी शुरू करा दी गयी। जिसके परिणाम स्वरूप भारतीय किसानों का शोषण होने लगा जिसके विरुद्ध भारतीय किसानों ने एक जुट होकर गाँधी जी के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ चंपारण आंदोलन की शुरुआत की।

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