बाढ़ क्या है ? – अधिक वर्षा से नदियों का जलस्तर बढ़ने लगता है जो एक भयानक रूप धारण कर लेता है और जिसके संपर्क में आने वाला हर एक क्षेत्र जल के भराव से पूरी तरह नष्ट हो जाता है, बाढ़ कहलाती है। यद्यपि बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है परन्तु मानवीय क्रियाओं का भी इसमें बहुत अधिक हस्तक्षेप होता है। बाढ़ की चपेट में आने वाला क्षेत्र और उस क्षेत्र में रहने वाले लोग, जीव-जंतु आदि पूरी तरह तबाह हो जाते हैं। मौसम संबंधी कारक, बदल फटना, गाद यानि नदियों द्वारा लाया जाने वाला मालवा, मानव निर्मित अवरोध, वनों की कटाई, ग्लोबल वार्मिंग इन सभी कारणों से किसी क्षेत्र में बाढ़ आने की संभावनाएं होती हैं।
बिहार भारत का एक राज्य है जो लगभग हर वर्ष अन्य राज्यों की अपेक्षा सबसे अधिक बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में गिना जाता है। भारत में कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का लगभग 16.5 प्रतिशत भाग बिहार का है। पिछले साल बिहार में बाढ़ आने से यहाँ लगभग 600 से अधिक गांव तथा लगभग 10 जिले पूरी तरह तबाह हो गए इसके अलावा बाढ़ के प्रभाव से यहाँ जन-धन की भारी हानि एवं कई मवेशियों की मृत्यु हो गई। लगभग हर वर्ष बाढ़ की चपेट में आने की वजह से बिहार की बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा के रूप में जाना जाता है।
बिहार में बाढ़ आने का कारण (Causes of floods in Bihar in hindi)
बिहार में बाढ़ आने का कारण ( bihar men baadh aane ke karan ) :- बिहार के लगभग 7 जिले (पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया व किशनगंज) नेपाल से सटे हुए हैं इन जिलों में सीतामढ़ी बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित जिला है। अतः जब नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में तेज वर्षा होती तो यहाँ से निकलने वाली नदियां कोसी, घाघरा, पांडक और छोटी-छोटी नदियां बहुत अधिक मात्रा में जल लाकर नेपाल के मैदानी क्षेत्रों को जल से भर देती हैं। जिससे धीरे-धीरे यह जल बिहार की ओर बढ़ने लगता है और बिहार में बहने वाली नदियों में अत्यधिक जलस्तर बढ़ जाने के कारण यह बाढ़ का कारण बन जाता है।
बिहार में आने वाली बाढ़ का सबसे अधिक मात्रा में जल नेपाल से ही आता है, पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण नेपाल से पानी सीधा बिहार की ओर प्रवाहित होने लगता है इसका एक प्रमुख कारण वनों का कटाव है क्योंकि यदि अधिक वृक्ष होते तो वह मिट्टी को जड़ से पकड़ कर रखते और जल का तेज प्रवाह रुक जाता परन्तु वनों के कटाव ने बाढ़ की समस्या को और अधिक बड़ा दिया है।
नेपाल में कोसी नदी पर वर्ष 1956 में एक बाँध बनाया गया था जो भारत एवं नेपाल की सीमा पर स्थित है। कोसी नदी में बने इस बांध पर नेपाल और भारत के मध्य एक संधि हुई है जिसमें यह तय किया गया है कि यदि नेपाल में कोसी नदी का जलस्तर अधिक होगा तो वे बांध के गेट खोल देंगे जिससे बांध को नुकसान नहीं होगा। भारत में कोसी नदी के जलस्तर बढ़ने के कारण कोसी नदी को बिहार का शोक या अभिशाप कहा जाता है।
बिहार में आने वाली बाढ़ का एक प्रमुख कारण ग्लोबल वार्मिंग भी है क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से तापमान में वृद्धि होती है और अधिक तापमान के कारण अधिक वर्षा व ग्लेशियरों के पिघलने से नदियों में जल की मात्रा अधिक होने लगती है जिसकी वजह से यह बाढ़ का कारण बन जाती है।
बाढ़ के दुष्परिणाम
बाढ़ से ग्रस्त क्षेत्र पूरी तरह समाप्त तो होता ही है परन्तु इसके बाद इस क्षेत्र में कई तरह की बीमारियां जैसे – हैजा, आंत्रशोथ, हेपेटाइटिस आदि जल दूषित बीमारियां फ़ैल जाती हैं। इसके अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा आदि राज्यों में बाढ़ आने से यहाँ कई मानव बस्तियों के डूब जाने के साथ-साथ इसका कृषि पर भी बहुत अधिक बुरा प्रभाव पड़ता है जिसकी वजह से समाज एवं अर्थव्यवस्था पर भी गहरा पड़ता है।