बेरोजगारी की परिभाषा एवं प्रकार

बेरोजगारी की परिभाषा एवं प्रकार

बेरोजगारी की परिभाषा, बेरोजगारी किसे कहते हैं, बेरोजगारी के प्रकार, बेरोजगारी का मापन, बेरोजगारी कितने प्रकार की होती है ? आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं, Unemployment notes for UPSC PCS in Hindi.

बेरोजगारी किसे कहते हैं

बेरोजगारी उस समय विद्यमान कही जाती है, जब प्रचलित मजदूरी की दर पर काम करने के लिए इच्छुक लोग रोजगार नहीं पाते है। या इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है कि एक शारीरिक एवं मानसिक रूप से सक्षम व्यक्ति जो काम करने का इच्छुक है लेकिन उसे काम नहीं मिल पाता है। बेरोजगारी को समझने के लिए श्रम बल और कार्य बल के बीच अन्तर समझना अति आवश्यक है।

श्रम बल- देश में 15 वर्ष की आयु से लेकर 60 वर्ष की आयु तक के लोग श्रम बल के अंतर्गत आते है।

कार्य बल- श्रम बल में से वे लोग जिनको कार्य/रोजगार मिल जाता है राष्ट्र का कार्य बल कहलाते है।

अतः बेरोजगारी को निम्न रूप में भी समझा जा सकता है।

बेरोजगारी =  श्रमबल – कार्यबल

जब किसी देश में पूर्ण श्रम बल को रोजगार प्राप्त हो जाए अर्थात पूर्ण श्रम बल, कार्य बल में बदल जाये तब देश में पूर्ण रोजगार होगा।

पूर्ण रोजगार =  श्रमबल = कार्यबल

बेरोजगारी के प्रकार (Types of unemployment)

बेरोजगारी के कारणों एवं उनके स्वरूप के आधार पर बेरोजगारी को 10 रूपों में वर्गीकरण किया गया है जिसका विवरण निम्नवत है-

1. सामान्य बेरोजगारी

यह वह स्थिति होती है जिसमें कि व्यक्ति प्रचलित मजदूरी दर पर कार्य करने को तैयार है परन्तु उसे कोई भी रोजगार न मिल पाये।

2. स्वैच्छिक बेरोजगारी

जब किसी व्यक्ति को वर्तमान मजदूरी दर पर काम मिल रहा हो लेकिन वह अपनी इच्छा से काम नहीं करना चाहता तो उसे स्वैच्छिक बेरोजगारी कहते हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति अपने मनपसंद रोजगार के लिए किसी अन्य रोजगार को छोड़ता है।

3. अक्षमता बेरोजगारी

जब कोई व्यक्ति शारीरिक अथवा मानसिक रूप से काम करने में सक्षम नहीं है तब इस प्रकार की बेरोजगारी को अक्षमता बेरोजगारी कहा जाता है।

4. संरचनात्मक बेरोजगारी

जब किसी राष्ट्र में भौतिक, वित्तीय और मानवीय संरचना कमजोर होने के कारण रोजगारों का अभाव होता है तब उस बेरोजगारी को संरचनात्मक बेरोजगारी कहते है।

  • भौतिक संरचना- परिवहन, बिजली, उत्पादन आदि।
  • वित्तीय- राष्ट्र में निवेश का अभाव होना।
  • मानवीय- कुशल मानव संसाधन का अभाव, कौशल, ज्ञान और तकनीक का अभाव।

5. प्रच्छन्न बेरोजगारी

जब किसी राष्ट्र में किसी भी कार्य स्थल पर आवश्यकता से ज्यादा लोग नियोजित हों तो इस स्थिति में जो अतिरिक्त कार्यबल है उसे प्रच्छन्न बेरोजगारी के अंतर्गत रखा जाता है। इस प्रकार की बेरोजगारी ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि में पायी जाती है। अगर कुछ लोगों को कम भी कर दिया जाए तो उत्पादन में कोई कमी नहीं आयेगी।

6. मौसमी बेरोजगारी

मौसमी बेरोजगारी के अंतर्गत कार्य समूह को साल में कुछ ही महीने के लिए कार्य मिलता है तथा बाकी महीने उसे कोई कार्य नहीं मिल पाता है।

7. शिक्षित बेरोजगारी

शिक्षित बेरोजगारी शहरी क्षेत्र में पायी जाती है तथा इस प्रकार की बेरोजगारी में शिक्षित कार्य समूह के लोग रोजगार पाने में असमर्थ होते है।

8. चक्रीय बेरोजगारी

जब अर्थव्यवस्था के चक्र में मंदी का दौर आता है, तब मंदी से उत्पादन प्रभावित होती है तथा उत्पादन प्रभावित होने से रोजगार प्रभावित होता है। ज्यादातर यह विकसित देशों में पायी जाती है।

9. अल्प रोजगार

जब किसी व्यक्ति को उसकी योग्यता के आधार पर काम न मिले या फिर योग्यता से कम का काम करना पड़े। उदाहरण के लिए समूह स्नातक व्यक्ति को जब समूह घ के पद पर कार्य करना पड़े जिसकी अहर्ता मात्र 10वीं कक्षा है।

10. घर्षणात्मक बेरोजगारी

यह अर्थव्यवस्था में आने वाले निम्न परिवर्तन से उत्पन्न होती है-

  • जब व्यक्ति अपने रोजगार में परिवर्तन की इच्छा हेतु अपने वर्तमान रोजगार को छोड़ता है।
  • जब कोई पुरानी कंपनी बंद कर नयी कंपनी खोली जाती है।
  • जब किसी उद्योग के उत्पाद की मांग किन्ही कारणों(फैशन आदि) से कम हो जाती है।

ऐसी स्थितियों में थोड़े समय के लिए बेरोजगारी उत्पन्न होती है जिसे घर्षणात्मक बेरोजगारी कहते हैं। इस प्रकार की बेरोजगारी अधिकतर विकसित देशों में पायी जाती है।

बेरोजगारी का मापन (Measurement of Unemployment)

बेरोजगारी को मापने के लिए वर्ष 1970 में भगवती समिति बनायी गयी थी। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर बेरोजगारी को मापने के लिए तीन तरीके बनाये गये।

1. दीर्घकालिक बेरोजगारी

यदि किसी सर्वेक्षण वर्ष में किसी व्यक्ति को 183 दिन(8 घंटे प्रति दिन) रोजगार नहीं मिलता है तो वह व्यक्ति दीर्घकालिक बेरोजगारी के अंतर्गत आता है। वर्तमान में इस 183 दिन के मानक को बदल कर 273 दिन कर दिया गया है।

2. साप्ताहिक बेरोजगारी

यदि किसी व्यक्ति को सप्ताह में 1 दिन(8 घंटे) का काम न मिले तो उसे साप्ताहिक बेरोजगारी के अंतर्गत रखा जाता है।

3. दैनिक बेरोजगारी

यदि किसी को प्रति दिन आधे दिन(4 घंटे) का काम न मिले तो उसे दैनिक बेरोजगारी के अंतर्गत रखा जाता है।

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