मदन मोहन उपाध्याय

मदन मोहन उपाध्याय (अंग्रजी में Madan Mohan Upadhyay) उत्तराखंड के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। मदन मोहन उपाध्याय ‘कुमाऊं टाईगर’ के नाम से विख्यात थे।

मदन मोहन उपाध्याय का जन्म 25 अक्टूबर, 1910 को द्वाराहाट के बमनपुरी में हुआ था। मदन मोहन उपाध्याय के पिता का नाम जीवानंद उपाध्याय था। मदन मोहन उपाध्याय के पिता कालीखोली के मिशन स्कूल में अध्यापक थे। जीवानंद की आठ संतानें थी जिनमें मदन मोहन उपाध्याय सातवें नंबर की संतान थे।

मदन मोहन उपाध्याय के बचपन का नाम मथुरा दत्त उपाध्याय था। कुछ समय पश्चात मदन मोहन मालवीय जी से प्रभावित होकर मदन मोहन उपाध्याय ने अपना नाम परिवर्तित कर मथुरा दत्त से मदन मोहन उपाध्याय रख लिया।

मदन मोहन उपाध्याय की प्राथमिक शिक्षा द्वाराहाट और नैनीताल के गवर्नमेंट इंटर कॉलेज में हुई थी। कुछ समय बाद मदन मोहन उपाध्याय अपने बड़े भाई पंडित शिवदत्त उपाध्याय के साथ इलाहाबाद चले गए। तब मदन मोहन उपाध्याय की आयु 12 वर्ष थी।

मदन मोहन के बड़े भाई शिवदत्त उपाध्याय पंडित मोतीलाल नेहरू के निजी सचिव के रूप में कार्यरत थे। शिवदत्त उपाध्याय स्वतंत्रता सेनानियों के चर्चित केन्द्र स्थल आनंद भवन इलाहाबाद में रहते थे। मदन मोहन उपाध्याय भी अपने भाई के साथ वहीं रहने लगे।

स्वंतत्रता संग्राम सेनानियों के संपर्क में रहने के कारण चार साल बाद ही मदन मोहन उपाध्याय भी आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल और मदन मोहन मालवीय का साथ पाकर मदन मोहन उपाध्याय में स्वतंत्रता संग्राम के प्रति ऐसा जज्बा उमड़ा कि महज 16 साल की अवस्था में ही उन्हें पहली बार जेल जाना पड़ा।

मदन मोहन उपाध्याय ने इलाहाबाद की नैनी जेल में एक साल की सजा काटी। इसके बाद उन्हें पंडित जवाहर लाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। 1936 में मदन मोहन उपाध्याय इलाहाबाद से वकालत की शिक्षा पूरी कर रानीखेत आ गए। यहां आते ही उन्हें रानीखेत कन्टोमेंट बोर्ड (छावनी परिषद) का उपाध्यक्ष चुन लिया गया।

मदन मोहन उपाध्याय
 मदन मोहन उपाध्याय
जन्म 25 अक्टूबर 1910
बमनपुरी, द्वाराहाट, अल्मोड़ा, उत्तराखंड, भारत
मृत्यु 1 अगस्त 1978 (67 वर्ष की आयु में)
रानीखेत, अल्मोड़ा, उत्तराखंड, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
अन्य नाम कुमाऊं टाईगर
प्रसिद्धि कारण भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सत्याग्रह, आजाद हिन्द रेडियोज
राजनैतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, प्रजा सोशलिष्ट पार्टी

वर्ष 1939 में मदन मोहन उपाध्याय को अल्मोड़ा जिले की प्रांतीय कांग्रेस कमेटी में लिया गया और उसके बाद आल इंडिया कांग्रेस कमेटी का सदस्य भी चुना गया। तब ही से वे सत्याग्रह आंदोलन के सक्रिय सदस्यों की सूची में रखा गया रहे। 1940 में मदन मोहन उपाध्याय को सत्याग्रह आंदोलन में भागीदारी के लिए जेल जाना पड़ा और वह एक साल तक जेल में रहे।

इसी सत्याग्रह आंदोलन के दौरान नैनीताल से गोविंद बल्लभ पंत भी गिरफ्तार हुए। मदन मोहन उपाध्याय और गोविंद बल्लभ पंत दोनों ही अल्मोड़ा की जेल में एक साथ रहे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में मदन मोहन उपाध्याय को अल्मोड़ा के मासी गांव से गिरफ्तार किया गया, लेकिन वे गोटिया भवाली के पास पुलिस की गिरफ्त से फरार हो गए। तब अंग्रेजी हुकूमत ने मदन मोहन उपाध्याय को जिंदा या मुर्दा पकड़े जाने पर 1000 का इनाम दिए जाने की घोषणा की। यह इश्तहार कुमाऊंनी भाषा में इलाहाबाद की एक प्रिंटिंग प्रेस से छपा था।

मदन मोहन उपाध्याय फरार होकर मुम्बई चले गए, जहां उनकी मुलाकात जयप्रकाश नारायण, अरुणा आसफ अली, अच्युत पटवर्धन तथा राममनोहर लोहिया से हुई। इन सभी लोगों ने मिलकर ‘आजाद हिन्द रेडियोज’ की स्थापना की। जहां श्री उपाध्याय ने रेडियो ट्रांसमीटर का महत्त्वपूर्ण काम किया और देश में स्वतंत्रता की अलख जगाई।

1944 में उपाध्याय को डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट में गैर हाजिरी पर ही काला पानी की 25 साल की सजा सुनाई गई। जिसके तहत एक साल बाद ही ब्रिटिश पुलिस द्वारा मदन मोहन उपाध्याय को मुम्बई से गिरफ्तार कर लिया गया। इस दौरान उन्हें अल्मोड़ा जेल में बंद किया गया।

वर्ष 1947 में जब देश आजाद हुआ तब कांग्रेस से अलग हुए लोगों ने सोशलिष्ट पार्टी का निर्माण किया। जिनमें मदन मोहन उपाध्याय भी शामिल हुए। 1952 में पहली बार विधानसभा के आम चुनाव हुए जिनमें सोशलिष्ट पार्टी, प्रजा सोशलिष्ट पार्टी में तब्दील होकर रानीखेत उत्तरी से चुनाव में उतरी। 1952 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में मदन मोहन उपाध्याय ने उत्तर प्रदेश के अल्‍मोड़ा जिले के रानीखेत (उत्‍तर) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से सोशलिस्‍ट पार्टी की ओर से चुनाव में भाग लिया। मदन मोहन उपाध्‍याय,भारत के उत्तर प्रदेश की प्रथम विधानसभा सभा में विधायक रहे।

मदन मोहन उपाध्याय विधानसभा में विपक्ष के उपनेता चुने गये। मदन मोहन उपाध्याय ने क्षेत्र का विधायक रहते हुए द्वाराहाट को रानीखेत से जोड़ने के लिए मोटर मार्ग का निर्माण कराया। इसी दौरान मदन मोहन उपाध्याय ने रानीखेत में विद्युतीकरण भी कराया। ये भी कहा जाता है कि रानीखेत के नागरिक चिकित्सालय की नीव भी मदन मोहन उपाध्याय के ही प्रयासों के चलते रखी गई थी, जिसका वर्तमान में नाम ‘गोविंद सिंह मेहरा चिकित्सालय’ है।

मदन मोहन उपाध्याय का निधन 1 अगस्त, 1978 को रानीखेत में हुआ। इनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने के कारण हुई।

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