सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी

सरदार वल्लभभाई पटेल ‘लौह पुरुष’

सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी : सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल आजाद भारत के प्रथम गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्री रहे। सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद के एक किसान परिवार में हुआ था। स्वतंत्रता की लड़ाई में सरदार वल्लभ भाई पटेल का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिसके कारण उन्हें “लौह पुरुष” के नाम से जाना जाता है। भारत के देशभक्तों में से एक अमूल्य रत्न सरदार पटेल को 1991 में देश के सबसे बड़े सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया। सरदार वल्लभ भाई पटेल के पिता का नाम झवेरभाई पटेल और माता का नाम लड़बा देवी था। Biography of Sardar Vallabhbhai Patel in hindi, Sardar Vallabhbhai Patel Biography in hindi.

सरदार वल्लभभाई पटेल की शिक्षा

किसान परिवार में जन्मे सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने में काफी वक्त लगाया, 16 साल की उम्र में उनका विवाह कर दिया गया परन्तु उन्होंने अपने विवाह को अपनी शिक्षा के बीच नहीं आने दिया। 22 वर्ष की उम्र में उन्होंने 10वीं की शिक्षा पूरी की। परिवार की आर्थिक स्तिथि खराब होने के कारण वह कॉलेज नहीं जा सके, परन्तु उन्होंने घर पर ही अपनी पढ़ाई शुरू की और जिलाधिकारी की परीक्षा की तैयारी की। कॉलेज से परिचित न होते हुए भी सरदार 36 वर्ष की उम्र में वकालत की पढ़ाई करने इंग्लैंड गए, 3 वर्ष (36 महीनों) की वकालत उन्होंने 30 महीनों में ही पूरी कर ली थी। बाद में सरदार एक ईमानदार वकील के रूप में भी नजर आए और उन्होंने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई।

सरदार वल्लभ भाई पटेल का राजनीतिक जीवन

फरवरी, 1913 में सरदार अहमदाबाद लौटे और देशप्रेमी होने के कारण 1917 तक वे भारत की राजनीतिक गतिविधियों के प्रति उदासीन रहे।

सरदार बल्लभ भाई पटेल पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय नागरिक सेवाओं (आईसीएस) का भारतीयकरण कर इन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) बनाया।

1920 में असहयोग आंदोलन में सरदार ने पूर्ण स्वदेशी होने पर जोर दिया, उन्होंने स्वदेशी वस्त्र खादी, धोती, कुर्ता और चप्पल अपनाये और विदेशी कपड़ों की होली जलाते हुए विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया।

पटेल गुजरात प्रदेश समिति के पहले अध्यक्ष बने और वे 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के, 36वें अहमदाबाद अधिवेशन की स्वागत समिति के अध्यक्ष भी बने।

1945-1946 में सरदार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार बने, परन्तु गाँधी जी ने उन्हें न चुनते हुए जवाहर लाल नेहरू को चुना। गाँधी जी की इच्छा का आदर करते हुए पटेल जी प्रधानमंत्री पद की दौड़ से भी दूर हो गए और इसके लिए नेहरू का समर्थन किया।

सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी व सहयोग

महात्मा गाँधी के कार्यों व आदर्शों से प्रेरित होकर सरदार भी आजादी की लड़ाई के संघर्ष के लिए शामिल हो गए और उन्होंने गुजरात में शराब, छुआ-छूत और जातीय भेदभाव जैसी कुरीतियों का जमकर विरोध किया।

‘लौहपुरुष’ कहलाए जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अखंड भारत का निर्माण करने में जो सहयोग रहा उसे भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए भी कई प्रयास किए और अंततः सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया।

सरदार पटेल गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह की सफलता से काफी प्रभावित थे। 1928 में गुजरात के खेड़ा खंड में सूखा पड़ जाने के कारण किसानों को ब्रिटिश सरकार द्वारा राहत नहीं दिए जाने पर सरदार पटेल स्वेच्छा से आगे बड़े और किसानों के लिए संघर्ष किया।

15 अगस्त 1947 को पटेल भारत के प्रथम गृहमंत्री बने और गृहमंत्री के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता देशी रियासतों को भारत में मिलाना था। विश्व के इतिहास में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जिसने अपने राष्ट्र में एकीकरण का मार्गदर्शन किया हो परन्तु पटेल ने यह कार्य कर दिखाया और 5 जुलाई 1947 को एक रियासत विभाग की स्थापना की।

सरदार वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि

जब सरदार वल्लभ भाई पटेल जब बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे थे तब सत्याग्रह की सफलता के बाद वहां की महिलाओं ने उनको “सरदार” की उपाधि दी। सरदार वल्लभ भाई पटेल को “भारत का बिस्मार्क” भी कहा जाता है।

सरदार वल्लभभाई पटेल
सरदार वल्लभभाई पटेल
जन्म 31 अक्टूबर 1875
जन्म-स्थान नडियाद, बंबई प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत
मृत्यु 15 दिसम्बर 1950
मृत्यु-स्थान बॉम्बे, बॉम्बे राज्य, भारत
पिता  झवेरभाई पटेल
माता श्रीमती लड़बा देवी
राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

 सरदार वल्लभ भाई पटेल के विचार

  • एकता के बिना जनशक्ति शक्ति नहीं है, एकता जनशक्ति का कारण है।
  • जीवन की डोर तो ईश्वर के हाथ में है, इसलिए चिंता की कोई बात हो ही नहीं सकती।
  • शत्रु का लोहा भले ही कितना गरम हो जाए, पर हथौड़ा तो ठंडा रहकर की काम करता है।
  • आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधा बन सकती है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिए और मजबूती से अन्याय के लिए लड़ने की हिम्मत रखनी चाहिए।
  • हमें अपमान सहना सीखना चाहिए और सत्य का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।

‘एकता की मूर्ति’ (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी)

31 अक्टूबर 2013 को गुजरात के पूर्व मुख्य मंत्री व वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार पटेल के स्मारक का शिलान्यास किया, 31 अक्टूबर 2018 को यह स्मारक राष्ट्र को समर्पित की गयी। इसका नाम “एकता की मूर्ति” (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी – Statue of Unity) रखा गया। सरदार पटेल की यादो को न भूलते हुए, अहमदाबाद के शाहीबाग में सरदार वल्लभ भाई पटेल मेमोरियल सोसाइटी में सरदार पटेल का थ्री डी संग्राहालय तैयार किया गया। 2014 से हर वर्ष 31 अक्टूबर को को सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन को “राष्ट्रीय एकता दिवस” के रूप में मनाया जाता है।

सरदार वल्लभ भाई पटेल की मृत्यु

15 दिसंबर 1950 को महान स्वतंत्रता सेनानी सरदार वल्लभ भाई पटेल की 75 वर्ष में मृत्यु हो गयी। इन्हें मरणोपरांत वर्ष 1991 में भारत के सर्वोच्च सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया था। सरदार पटेल के सम्मान में अहमदाबाद के हवाई अड्डे का नाम ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा’ रखा गया है। आजादी के बाद अखंड भारत के निर्माण करने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा और इन्हें हमारा देश कभी नहीं भूल सकता।

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