हिंदी दिवस - 14 सितम्बर

हिंदी दिवस – 14 सितम्बर

हमारा देश 1947 में आजाद हुआ और उस समय हमारे देश के सामने अपनी भाषा को लेकर एक बड़ा प्रश्न यह था की हमारे देश में कौनसी भाषा को मान्यता मिले। इसके बाद 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक लंबी और सजीव बहस के बाद देवनागरी लिपि में हिंदी को भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में अपनाया था। भारतीय संविधान के भाग XVII के अनुच्छेद 343 से 351 तक इसी विषय के बारे में है। अनुच्‍छेद 343 (1) में यह घोषणा की गई है कि देवनागरी लिपि में हिंदी संघ की राजभाषा होगी। लेकिन अनुच्छेद 343 (2) और उसके बाद के अनुच्‍छेदों को पढ़ने से पता चलता है कि भारत जैसे बहुभाषी राष्ट्र में राजभाषा के मुद्दे को बहुत कठिन और जटिल रास्‍ते से होकर गुजरना है क्‍योंकि देश के सरकारी संस्‍थानों में अंग्रेजी में निर्धारित कानूनों, नियमों और विनियमों का ही वर्चस्व है।

इसका एक समझौता के रूप में वर्णन किया जा सकता है। उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों की सभी कार्यवाहियां, संसद और राज्य विधानसभाओं में पेश किए जाने वाले या पारित सभी विधेयकों और अधिनियमों के अधिकृत पाठ, संविधान के तहत पारित सभी आदेश / नियम / कानून और विनियमों को अंग्रेजी में ही होना चाहिए (जैसा औपनिवेशिक भारत में था)। 17 फरवरी, 1987 को संविधान (58वां) संशोधन अधिनियम के पारित होने तक संविधान (संशोधनों में शामिल) का कोई अद्यतन संस्करण संशोधनों के साथ हिंदी में जारी नहीं किया जा सकता था। विभिन्न कारणों से एक राजभाषा के रूप में हिंदी का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है। यही कारण है कि 70 वर्षों के बाद भी हिन्‍दी अंग्रेजी की जगह लेती हुई कहीं भी दिखाई नहीं दे रही है। हमारे संविधान निर्माताओं ने इस कार्य के लिए केवल 15 साल का समय दिया था।

हिंदी की पहुंच

विश्व के करीब 176 विश्वविद्यालयों तथा छोटे-बड़े केंद्रों में हिंदी की पढ़ाई और शोध होते हैं। विदेश में 25 से अधिक पत्र-पत्रिकाएं लगभग नियमित रूप से हिंदी में प्रकाशित हो रही हैं। यूएई के ‘हम एफएम’ सहित अनेक देश हिंदी कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं, जिनमें ब्रिटेन के बीबीसी, जर्मनी के डायचे वेले, जापान के एनएचके वर्ल्ड और चीन के चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिंदी सेवा विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

हिन्दी उन सभी गुणों से अलंकृत है, जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषा की अगली श्रेणी में समासीन हो सकती है। – मैथिलीशरण गुप्त

हिंदी भाषा का विकास

आज हम जिस भाषा को हिन्दी के रूप में जानते है, वह आधुनिक आर्य भाषाओं में से एक है। हिंदी भाषा का विकास इस प्रकार हुआ:

  • वैदिक काल (संस्कृत भाषा): आर्य भाषा का प्राचीनतम रूप वैदिक संस्कृत है। वैदिक भाषा में वेद, संहिता एवं उपनिषदों का सृजन हुआ है। वैदिक भाषा के साथ-साथ ही बोलचाल की भाषा संस्कृत थी, जिसे लौकिक संस्कृत भी कहा जाता है। संस्कृत भाषा में ही रामायण तथा महाभारत जैसे ग्रन्थ रचे गये।
  • 500 ई. पु. से पहली ई. (पालि) : संस्कृतकालीन भाषा परिवर्तित होते-होते 500 ई.पू. के बाद तक काफ़ी बदल गई, जिसे “पालि” कहा गया। महात्मा बुद्ध के समय में पालि लोकभाषा थी और उन्होंने पालि में ही अपने उपदेशों का प्रचार-प्रसार किया। यह भाषा ईसा की प्रथम ईसवी तक रही।
  • पहली इसवी से 500 ई. (प्राकृत): पहली ईसवी आते-आते पालि भाषा और परिवर्तित हुई, तब इसे “प्राकृत” की संज्ञा दी गई। इसका काल पहली ई. से 500 ई. तक है।
  • 500 ई. से 1000 ई. (अपभ्रंश): आगे चलकर, प्राकृत भाषाओं के क्षेत्रीय रूपों से अपभ्रंश भाषायें प्रतिष्ठित हुई। इनका समय 500 ई. से 1000 ई. तक माना जाता है। अपभ्रंश भाषा साहित्य के मुख्यत: दो रूप मिलते है – पश्चिमी और पूर्वी । अनुमान से 1000 ई. के आसपास अपभ्रंश का विभिन्न क्षेत्रो में आधुनिक आर्य भाषाओं के रूप में जन्म हुआ।
  • अपभ्रंश से ही हिन्दी भाषा का जन्म हुआ। आधुनिक आर्य भाषाओं का जन्म 1000 ई. के आसपास हुआ था, जिनमे हिन्दी भी है, किंतु इसमे साहित्य रचना का कार्य 1150 ई. या इसके बाद ही प्रारम्भ हुआ।

हिंदी भाषा का विस्तार

हिन्दी भारत की नहीं पूरे विश्व में एक विशाल क्षेत्र और जनसमूह की भाषा है। 1952 में उपयोग की जाने वाली भाषा के आधार पर यह विश्व में पांचवें स्थान पर थी। 1980 के आसपास यह चीनी और अंग्रेजी के बाद तीसरे स्थान पर आ गई।

  • इतना ही नहीं फ़िजी, मॉरीशस, गुयाना, सूरीनाम जैसे दूसरे देशों की अधिकतर जनता हिन्दी बोलती है। भारत से सटे नेपाल की भी कुछ जनता हिन्दी बोलती है।
  • अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी के प्रति जागरुकता पैदा करने और हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलन जैसे समारोह की भी शुरुआत की गई है। 10 जनवरी 1975 को नागपुर से शुरू हुआ यह सफर आज भी जारी है। अब इस दिन को विश्व हिन्दी दिवस के रूप मे भी मनाया जाने लगा है।

हिंदी से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य 

  • हिंदी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओ में से हिंदी एक है। हिंदी का इस्तेमाल करीब 60 करोड़ लोग करते है।
  • भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिन्दी है। देश के 77% लोग हिन्दी बोलते और समझते हैं।
  • हिंदी भाषा के इतिहास में पहले साहित्य की रचना एक फ्रांसीसी लेखक ग्रासिन द तैसी ने की थी।
  • हिंदी की पहली कविता प्रख्यात कवि अमीर खुसरो ने लिखी थी।
  • दुनिया के 176 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है, जिसमें से 45 विश्वविद्यालय अमेरिका के है। इतना ही नही विदेश में 25 से ज्यादा पत्र-पत्रिकाएं रोज हिंदी में निकलती है।
  • 1805 में प्रकाशित लल्लू लाल द्वारा लिखित श्रीकृष्ण पर आधारित किताब प्रेम सागर को हिन्दी में लिखी गई पहली किताब माना जाता है।
  • बिहार वो पहला राज्य है जिसने हिंदी को अपनी आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया। साल 1881 तक बिहार की आधिकारिक भाषा उर्दू हुआ करती थी जिसके स्थान पर हिंदी को अपनाया गया।
  • भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983, मॉरीशस में 685,170, दक्षिण अफ्रीका में 890,292, यमन में 232,760, युगांडा में 147,000, सिंगापुर में 5,000, नेपाल में करीब 8 लाख, न्यूजीलैंड में 20,000, जर्मनी में 30,000 हैं। 20 से ज्यादा देशों में हिंदी भाषा का इस्तेमाल किया जाता है।
  • सात भाषाएं ऐसी है जिनका इस्तेमाल वेबएड्रस बनाने में किया जाता है, उनमें से हिंदी एक है। हिंदी की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है की हर साल इंटरनेट पर हिंदी कंटेंट की मांग 94 फीसद बढ़ रही है।

प्रातिक्रिया दे

Your email address will not be published.