रिपोर्ट
1. पश्चिम बंगाल में भिखारियों की संख्या सबसे अधिक
विस्तार : – भारत सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 4,00,000 भिकारी हैं। भारत में सबसे अधिक संख्या में भिखारी पश्चिम बंगाल में हैं, उसके बाद उत्तर प्रदेश और बिहार क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। लक्षद्वीप में केवल दो भिखारी हैं, जबकि दादरा नगर हवेली, दमन और दीव और अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में क्रमशः 19, 22 और 56 भिखारी हैं।
NOTE –
- पश्चिम बंगाल की राजधानी – कोलकाता
- पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री – ममता बनर्जी
- पश्चिम बंगाल के राज्यपाल – केसरी नाथ त्रिपाठी
2. भारत तीसरा सबसे बड़ा विद्युत् उत्पादक
विस्तार : – भारत का बिजली उत्पादन 2010 से 2017 तक 34% बढ़ गया है, और अब भारत देश जापान और रूस से अधिक ऊर्जा का उत्पादन करता है। भारत ने वित्तीय वर्ष (FY) 2017 में 1,160.10 बिलियन यूनिट (BU) का उत्पादन किया। भारत, वित्त वर्ष 2016 में 1,423 BU के उत्पादन के साथ चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और तीसरा सबसे बड़ा बिजली का उपभोगता बन गया है।
3. डाटा गति में वैश्विक रूप से भारत को 109वां स्थान
विस्तार : – ओक्ला के स्पीडाटेस्ट इंडेक्स के अनुसार, भारत जो दुनिया में मोबाइल डेटा का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, मोबाइल इंटरनेट डाउनलोड स्पीड में 109वें स्थान पर है। नॉर्वे, 62.07 Mbps की औसत डाउनलोड गति के साथ शीर्ष स्थान पर है। सिंगापुर, 161.53 Mbps की डाउनलोड गति के साथ फिक्स्ड ब्रॉडबैंड में शीर्ष पर है।
4. भारत में 478 मिलियन मोबाइल उपभोगता
विस्तार : – एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जून तक मोबाइल इंटरनेट उपयोगकर्ता 478 मिलियन हो जायेंगें। रिपोर्ट ने कहा, दिसम्बर 2016 से दिसंबर, 2017 तक मोबाइल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 17.22% की वृद्धि के साथ 456 लाख उपयोगकर्ताओं तक पहुंच गई है। “मोबाइल इंटरनेट इन इंडिया 2017” नामक रिपोर्ट को संयुक्त रूप से “इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI)” और KANTAR-IMRB द्वारा प्रकाशित किया गया है।
5. मध्यप्रदेश में हैं देश की सबसे अधिक आदिवासी बस्तियां
विस्तार : – देश में सुरक्षित पेयजल के साथ मध्यप्रदेश में पूरी तरह से कवर किए गए 55770 आबादी वाली निवासियों की सबसे बड़ी संख्या है, उसके बाद ओडिशा और झारखंड का स्थान है। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने सूचित किया है कि योजना के तहत राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (NRDWP), कुल राशि का 10% निधि को अनुसूचित जनजाति (ST) वर्चस्व वाली बस्तियों को पीने के पानी की आपूर्ति के लिए उपयोग में लाया जाता है।