73 संविधान संशोधन क्या है, 73 संविधान संशोधन कब हुआ, 73 संविधान संशोधन की विशेषताएं, 73 वे संविधान संशोधन की विशेषताएं, 73 वां संविधान संशोधन कब लागू हुआ, 73वें संविधान संशोधन का पालन करने वाला पहला राज्य, किस संविधान संशोधन से पंचायतों को अधिकार दिए गए आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।
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73 वां संविधान संशोधन क्या है
73 वां संविधान संशोधन अधिनियम का निर्माण लोकतंत्र को मजबूत करने हेतु किया गया है जिसकी पहल पंचायती राज व्यवस्था के द्वारा की गई थी। भारत के 73 वें संविधान संशोधन के माध्यम से पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक मान्यता प्राप्त हुई थी। 73 वें संविधान संशोधन के माध्यम से देश की लगभग ढाई लाख पंचायतों को मूल रूप से अधिकार प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से लागू किया गया था। यह ग्राम पंचायतें स्थानीय क्षेत्रों की आवश्यकता अनुसार नई-नई योजना बनाने एवं उसे लागू करने का कार्य बड़ी कुशलता से करती हैं।
73 वां संविधान संशोधन कब लागू हुआ
भारत में सन 1993 में 73 वें संविधान संशोधन को लागू किया गया था जिसे स्थानीय स्वशासन के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय स्वशासन का प्रस्ताव सर्वप्रथम ‘लॉर्ड रिपन’ ने सन 1882 में रखा था जिसे ‘मैग्नाकार्टा’ भी कहा जाता है। सन 1919 में भारतीय शासन अधिनियम के तहत देश के कई क्षेत्रों में दोहरे शासन की व्यवस्था लागू की गई थी एवं इस व्यवस्था को हस्तांतरण विषय की सूची में रखा गया। इसके बाद सन 1935 में इस व्यवस्था को भारतीय शासन अधिनियम के अंतर्गत व्यापक एवं सुदृढ़ बनाया गया। सन 1957 में भारत की आजादी के बाद एक नई समिति का गठन किया गया, जिसमें त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को लागू करने का सुझाव दिया गया। त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था वह व्यवस्था होती है जिसमें ग्राम स्तर, जिला स्तर एवं मध्यवर्ती स्तर की कार्यप्रणाली को दर्शाया जाता है।
73 वे संविधान संशोधन की विशेषताएं
भारत की स्वतंत्रता के बाद देश को व्यवस्थित ढंग से चलाने हेतु भारतीय संविधान के माध्यम से कई नीतियों का निर्माण एवं उसमें बदलाव किए गए थे। भारतीय संविधान के नियमों के अनुसार जब किसी सरकारी नीति के अधीन कुछ परिवर्तन किया जाता है तो इसे संविधान संशोधन अधिनियम के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि पंचायती राज व्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए भारत के संविधान में जो भी संशोधन किए गए उन्हें 73 वां एवं 74 वां संशोधन अधिनियम कहा जाता है। 73 वें संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से भारत के ग्रामीण इलाकों में पंचायती राज व्यवस्था को स्थापित किया गया। यह अधिनियम मुख्य रूप से भारत के ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करने का कार्य करती है। 73 वें संविधान संशोधन के अंतर्गत भारत के प्रत्येक राज्य में पंचायती राज व्यवस्था का होना बेहद अनिवार्य है। यह पंचायती राज व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने एवं उसे शक्तिशाली बनाता है। इसके अलावा 73वें संविधान संशोधन कई और मुख्य विशेषताएं भी हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:-
- 73 वां संविधान संशोधन मुख्य रूप से पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत कार्य करती है जो स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों, निर्णय प्रक्रिया एवं शासन प्रणाली द्वारा नागरिकों की भागीदारी को सुनिश्चित करने का कार्य करती है।
- यह नागरिकों को संवैधानिक रूप से लोकतांत्रिक बनाने की एक प्रक्रिया है जिसे एक क्रांतिकारी पहल भी माना जाता है।
- 73 वें संविधान संशोधन के माध्यम से समाज में महिला, दलित एवं पिछड़े वर्ग के लोगों को समानता का अधिकार दिलाने का प्रयास किया जाता है जिसके द्वारा समाज में समानता का स्तर बना रहता है।
- 73 वें संविधान संशोधन के अंतर्गत भारत में मौजूद सभी पंचायतों का कार्यकाल 5 वर्षों तक का निश्चित किया गया है। यदि किसी कारणवश पंचायतों की कार्यप्रणाली में रुकावट आती है तो उस स्थिति में 6 महीने के भीतर दोबारा चुनाव कराने की व्यवस्था की जाती है।
- माना जाता है कि 73 वां संविधान संशोधन ग्रामीण क्षेत्रों के विकास हेतु बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र के निवासियों को देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होता है।
73वें संविधान संशोधन का पालन करने वाला पहला राज्य
भारत में 73वें संविधान संशोधन को सर्वप्रथम मध्य प्रदेश में लागू किया गया था। इसे भारतीय संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम 1992 के तहत मध्यप्रदेश में 25 जनवरी, 1994 में लागू किया गया था। यह भारतीय पंचायती राज व्यवस्था को स्थापित करने हेतु एक बड़ा कदम था। स्थानीय स्वशासन के दृष्टिकोण से संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा भारत की सभी पंचायतों के गठन को संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई है। इसे प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त एवं कारगर बनाने के दृष्टिकोण से लागू किया गया था।
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किस संविधान संशोधन से पंचायतों को अधिकार दिए गए
73वें संविधान संशोधन के अनुच्छेद 243- घ के तहत भारत की सभी पंचायती राज व्यवस्था को समान रूप से अधिकार प्रदान किए गए। इस संविधान संशोधन अधिनियम को नवीन पंचायती राज अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है जिसके माध्यम से प्रजातंत्र को आम जनता तक पहुंचाने का कार्य किया जाता है।