अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन कब हुआ था ? अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन की प्रमुख वजह क्या थीं ? इस आंदोलन का नेतृत्व किसने किया ? अहमदाबाद मिल स्ट्राइक / अहमदाबाद मिल आंदोलन की सफलता के परिणाम क्या हुए आदि प्रश्न अगर आप ढूढ़ रहें हैं तो इनके उत्तर नीचे दिए गए हैं।
वर्ष 1918 तक गुजरात एक प्रमुख व्यापारी क्षेत्र के रूप में विकसित हो गया था। यहाँ पर मुख्यतः कपास कपड़ा मिलें एवं अन्य उद्योग प्रमुखता से स्थापित हो चुके थे। यहीं पर अहमदाबाद में मिल मालिकों एवं मिल मज़दूरों के मध्य हुए विवाद को अहमदाबाद मिल मज़दूर आंदोलन के रूप में जाना जाता है।
अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन की प्रमुख वजह क्या थीं ?
इस आंदोलन का प्रमुख कारण मिल मालिकों एवं मज़दूरों के बीच प्लेग बोनस विवाद था। 1917 में अहमदाबाद में प्लेग फैल जाने के कारण मिल मजदूरों ने पलायन करना शुरू कर दिया जिसे रोकने हेतु मिल मालिकों द्वारा मजदूरों को प्रति माह प्लेग बोनस देना शुरू किया गया। इस बीमारी के प्रकोप में कुछ कमी आने पर मिल मालिकों द्वारा दिए गए इस बोनस को बंद कर दिया गया। मिल मजदूर, प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के बाद बढ़ी हुई महंगाई के कारण इसे वापस न लेने एवं मासिक वेतन में ही जोड़ने की मांग करने लगे। यह मांग अस्वीकार होने पर मजदूर महात्मा गाँधी जी के नेतृत्व में इस आन्दोलन में बैठ गये।
अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन कब हुआ ?
अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन 15 मार्च 1918 में गुजरात के अहमदाबाद में शुरू हुआ था। चंपारण आंदोलन की सफलता को देखते हुए अनसूया बेन साराभाई द्वारा द्वारा गाँधी जी को आंदोलन करने के लिए आमंत्रित किया गया था। अनसूया बेन साराभाई स्वयं एक मिल मालिक अंबालाल साराभाई की बहन भी थी, जोकि गाँधी जी के करीबी मित्र थे एवं अंबालाल साराभाई ने गुजरात में बने साबरमती आश्रम के निर्माण हेतु सबसे अधिक दान भी दिया था।
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अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन का नेतृत्व किसने किया
अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन का शुरुआती नेतृत्व अनसूया बेन साराभाई द्वारा किया गया। बाद में उनके आग्रह पर गाँधी जी इस आंदोलन से जुड़े। अनूसुइया बेन साराबाई ने आंदोलन के समाप्त होने तक गाँधी जी का सहयोग दिया एवं इसके बाद भी कई भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों में प्रमुख भूमिका निभाई।
अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन
अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन को समाप्त करने हेतु मिल मालिकों द्वारा 20% वेतन वृद्धि की पेशकश की गयी, परन्तु मजदूर 50% वेतन की मांग पर अड़े रहें। वेतन में बढ़ोतरी की मांग को अस्वीकार करने पर गाँधी जी, मजदूरों के साथ आमरण अनशन पर बैठ गए। यह हड़ताल 21 दिन तक चली और अंत में मामले की गम्भीरता को देखते हुए मिल मालिकों ने न्यायाधिकरण में जाने का फैसला किया। न्यायाधिकरण में गाँधी जी के सुझाव पर मजदूरों के वेतन में 35% की मांग को स्वीकार कर लिया गया।
अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन की सफलता के परिणाम क्या हुए
- गाँधी जी का पहला सफल आमरण अनशन आंदोलन – यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में गाँधी जी द्वारा किया गया पहला आमरण अनशन (आहार त्याग, उपवास) आंदोलन था जोकि सफल रहा।
- 1918 में ही गाँधी जी ने “अहमदाबाद टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन” की स्थापना की।
- भारतीय सफलता आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका।
- “ट्रस्टीशिप का सिद्धांत”- इसी आंदोलन के दौरान गाँधी जी द्वारा “ट्रस्टीशिप का सिद्धांत” दिया गया। इसके अन्तर्गत पूंजीपतियों / मिल मालिकों का यह कर्तव्य है कि वे अपने अन्तर्गत कार्य करने वाले मजदूरों / कर्मचारियों के हित का ध्यान रखें।
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