अम्ल और क्षार में अंतर (क्षार और अम्ल में अंतर)

अम्ल और क्षार में अंतर (क्षार और अम्ल में अंतर)

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अम्ल (Acid) किसे कहते हैं

अम्ल वह रासायनिक यौगिक होते हैं जो जल में वियोजित होकर हाइड्रोजन आयन (H+) देते हैं। अम्ल ठोस, द्रव्य या गैस किसी भी भौतिक अवस्था में पाए जा सकते हैं। अम्ल मुख्य रूप से वह पदार्थ होते हैं जो पानी में घुलकर खट्टे स्वाद के हो जाते हैं। इसका जलीय विलयन नीले लिटमस पेपर (Litmus Paper) को लाल रंग में बदल देता है। यह अधिकांश धातुओं पर अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस को उत्पन्न करते हैं एवं क्षारक को उदासीन (Neutral) कर देते हैं। अम्ल का पीएच (Ph) मान 7.0 से कम होता है। वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार अम्ल वह रासायनिक यौगिक होते हैं जो प्रतिकारक यौगिक (क्षार) को हाइड्रोजन आयन (H+) प्रदान करते हैं। इसके अलावा अम्ल को जिन अजीवित स्रोतों से प्राप्त किया जाता है वह खनिज अम्ल कहलाते हैं।

अम्ल के प्रकार

अम्ल को मुख्य रूप से चार भागों में विभाजित किया गया है जो कुछ इस प्रकार हैं:-

  • ऑक्सी अम्ल (Oxi acid)
  • हाइड्रो अम्ल (Hydro acid)
  • प्रबल अम्ल (Strong Acid)
  • दुर्बल अम्ल (Weak Acid)

ऑक्सी अम्ल

यह वे अम्ल होते हैं जिनमें मुख्य रूप से हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के साथ-साथ अन्य तत्वों की भी उपस्थिति होती है। ऑक्सी अम्ल में एक हाइड्रोजन (H) परमाणु ऑक्सीजन (O) के साथ जुड़ा हुआ होता है परंतु हैलोजन से नहीं, जिसके कारण हैलोजन अम्ल क्षारीय अम्ल कहलाते हैं। इनके हैलोजन तत्वों में विद्युत ऋणात्मक एवं छोटे आकार के होते हैं जिससे हैलोजन तत्वों की ऑक्सीकरण क्षमता में वृद्धि होती है। इसके साथ ही इन तत्वों में अम्लीय क्षमता में भी वृद्धि देखी जा सकती है।

हाइड्रो अम्ल

हाइड्रो अम्ल वह अम्ल होते हैं जिनमें ऑक्सीजन की मात्रा नहीं पाई जाती परंतु इनमें हाइड्रोजन के साथ-साथ अन्य अधात्विक तत्व मौजूद होते हैं। इन्हें हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के नाम से भी जाना जाता है। वास्तव में हाइड्रोजन क्लोराइड गैस के जलीय विलयन को ही हाइड्रोक्लोरिक अम्ल कहा जाता है।

प्रबल अम्ल

जो अम्ल जलीय विलियन में पूर्ण रूप से आयनित होते हैं उन्हें प्रबल अम्ल के नाम से जाना जाता है। यह अधिक क्षमता तक आयनीकृत हो सकते हैं। यह जल में घुलनशील होकर हाइड्रोनियम आयन (H, O) का निर्माण करते हैं।

दुर्बल अम्ल

जो अम्ल जलीय विलयन में घुलनशील होकर कम हाइड्रोजन आयन का निर्माण करते हैं उन्हें दुर्बल अम्ल के नाम से जाना जाता है। यह एक कमजोर अम्ल होता है जो जल में घुलकर केवल अपने घटक आयनों में आंशिक रूप से विभाजित होता है।

अम्ल की विशेषताएं

अम्ल की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं:-

  • अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं।
  • यह विद्युत के सुचालक होते हैं।
  • अम्ल क्षार के साथ अभिक्रिया करके लवण एवं जल का निर्माण करते हैं।
  • अम्ल लिटमस पेपर को नीले एवं मिथाइल को नारंगी रंग में परिवर्तित कर देते हैं। यह मुख्य रूप से लवण एवं पानी का निर्माण करने हेतु क्षार एवं अल्कली से प्रतिक्रिया करते हैं।
  • अम्ल अधिक सक्रिय धातुओं के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रोजन मुक्त करते हैं।
  • अम्ल की प्रकृति संक्षारक होती है।
  • अम्ल धातु, कार्बोनेट एवं बाइकार्बोनेट से क्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड गैस मुक्त करते हैं।
  • जब किसी अम्ल को जल में मिलाया जाता है तो इस क्रिया से ऊष्मा उत्पन्न होती है एवं विलियन का तापमान अधिक बढ़ जाता है। इसके द्वारा उत्सर्जित ऊष्मा की मात्रा अम्ल की प्रकृति पर निर्भर करती है।

अम्ल के प्रयोग

आधुनिक युग में अम्ल का प्रयोग कई प्रकार से किया जाता है जैसे:-

  • आधुनिक मशीनों में जंग की सफाई करने एवं मरम्मत करने हेतु अम्ल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • अम्ल का प्रयोग मुख्य रूप से उर्वरकों को बनाने में किया जाता है।
  • कई प्रकार के निर्माण कार्य में इस्तेमाल किए जाने वाले लोहे को रंगने से पहले उसपर अम्ल का प्रयोग किया जाता है।
  • कई प्रकार के अम्ल का प्रयोग खाद्य सामग्रियों में किया जा सकता है।
  • अम्ल का प्रयोग विभिन्न प्रकार के विस्फोटक वस्तुओं को बनाने, दवाओं को बनाने, बैटरी को बनाने आदि में किया जाता है।

क्षार (Alkali) किसे कहते हैं

क्षार एक ऐसा पदार्थ है जो जलीय विलयन में आयन देते हैं। जल में मिलाने के बाद क्षार का पीएच (Ph) मान 7.0 से अधिक हो जाता है। यह एक ऐसा पदार्थ है जो अम्लीय पदार्थों को OH दान करता है। क्षार वास्तव में वह पदार्थ होते हैं जो अम्ल के साथ मिलकर लवण एवं जल का निर्माण करते हैं। इनका स्वाद कड़वा एवं कसैला होता है। क्षार वह यौगिक होते हैं जो पानी में हाइड्रोक्साइड आयन उत्पन्न करते हैं जैसे पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH) या सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH)। क्षार का उपयोग अम्ल को उदासीन करने के लिए भी किया जाता है। यह लिटमस पेपर (Litmus Paper) को लाल से नीला कर देते हैं।

क्षार के प्रकार

क्षार मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:-

  • प्रबल क्षारक
  • दुर्बल क्षारक

प्रबल क्षारक

यह वे मजबूत क्षार होते हैं जो जल में मिलकर पूरी तरह से आयनिक हो जाते हैं जैसे नाइट्रिक एसिड, सल्फ्यूरिक एसिड, पोटैशियम हाइड्रोक्साइड, सोडियम हाइड्रोक्साइड एवं हाइड्रोक्लोरिक एसिड। यह अधिक क्षमता तक आयनीकृत होकर अधिक मात्रा में हाइड्रोक्सिल आयन OH^(-) उत्पन्न कर सकते हैं।

दुर्बल क्षारक

यह वे क्षारक होते हैं जो जलीय विलयन में आंशिक रूप से आयनिक होते हैं। दुर्बल क्षारक के जलीय विलियन में अणु एवं आयन दोनों होते हैं। जल में घुलनशील होकर दुर्बल क्षारक की OH की सांद्रता कम हो जाती है जैसे अमोनियम हाइड्रॉक्साइड (NH4OH), मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड (Mg (OH)2) आदि। इसके अलावा यह बेहद कम क्षमता तक आयनीकृत होकर कम मात्रा में OH^()(aq) आयन को उत्पन्न करते हैं।

क्षार की विशेषताएं

क्षार की विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं:-

  • सांद्र क्षार का इस्तेमाल दाहक (Flammable) वस्तुओं के लिए किया जा सकता है।
  • क्षार सभी अम्लीय पदार्थों के साथ तेजी से अभिक्रिया कर सकते हैं।
  • कई प्रकार के क्षार को जल में विलय किया जा सकता है जैसे सोडियम हाइड्रोक्साइड, अमोनिया आदि। परंतु कुछ क्षारों को जल में विलय नहीं किया जा सकता जैसे एल्यूमीनियम हाइड्रोक्साइड।
  • क्षार को जल में मिलाने से इनकी सांद्रता (Concentration) में कमी होती है एवं तनुता में वृद्धि होती है। तनुता के बढ़ने के कारण क्षारों का प्रभाव भी कम हो जाता है।
  • पिघले हुए क्षार एवं क्षारों के जलीय विलयन विद्युत के सुचालक माने जाते हैं।
  • अम्लीय अभिक्रिया करने से क्षार के सभी गुण समाप्त हो जाते हैं।
  • क्षार अम्ल से अभिक्रिया करके लवण एवं जल का निर्माण करते हैं।

क्षार के प्रयोग

क्षार का प्रयोग कई प्रकार से किया जा सकता है जैसे:-

  • क्षार का उपयोग चुने में जल की कठोरता को दूर करने के लिए किया जाता है।
  • क्षार का प्रयोग पानी के कीटाणुओं को मारने में भी किया जा सकता है।
  • यह जल की शुद्धिकरण करने का कार्य कर सकता है। जल को शुद्ध करने हेतु मुख्य रूप से एलुमिनियम हाइड्रोक्साइड क्षारक का उपयोग किया जाता है।
  • क्षार का उपयोग मकान की रंगाई-पुताई एवं इस्पात की पुताई करने में किया जाता है।
  • क्षार का प्रयोग प्रति अम्ल के रूप में चीनी उद्योग में किया जाता है।
  • सोडियम हाइड्रोक्साइड एक क्षारीय यौगिक है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के धातुओं से ग्रीस हटाने, कागज बनाने, साबुन बनाने, टाइल्स बनाने आदि कार्यों में किया जाता है।
  • कैल्शियम ऑक्साइड का उपयोग शुष्क कारक के रूप में विरंजन पाउडर के निर्माण में किया जा सकता है।

अम्ल और क्षार में समानताएं

अम्ल एवं क्षार में निम्नलिखित समानता होती हैं:-

  • अम्ल एवं क्षार दोनों ही पानी में घुलकर आयन प्रदान करते हैं।
  • अम्ल एवं क्षार दोनों ही विद्युत के सुचालक माने जाते हैं।
  • जल में विलियन होकर अम्ल H+ आयन और क्षार OH देते हैं।

अम्ल एवं क्षार में अंतर

अम्ल एवं क्षार में कई प्रकार के अंतर देखे जा सकते हैं:-

  • अम्ल नीले लिटमस पेपर को लाल रंग में बदल देते हैं जबकि क्षार लाल लिटमस पेपर को नीले रंग में बदल देते हैं।
  • अम्ल का स्वाद खट्टा होता है जबकि क्षार का स्वाद कड़वा या कसैला होता है।
  • जहां अम्ल क्षारकों को उदासीन कर देते हैं वहीं क्षार अम्लों को उदासीन कर देते हैं। इस प्रकार यह दोनों एक दूसरे के विपरीत दिशा में कार्य करते हैं।
  • अम्ल जल में विलय होकर H+ आयन देते हैं जबकि क्षार जल में विलय होकर OH आयन देते हैं।
  • अम्ल धातु कार्बोनेट से अभिक्रिया करके CO2 गैस का उत्सर्जन करते हैं जबकि क्षार धातु कार्बोनेट से अभिक्रिया करके CO2 गैस का उत्सर्जन नहीं करते।