21. रानी-की-वाव (क्वीन स्टेपवेल)
स्थल – पाटण
राज्य – गुजरात
धरोहर घोषित वर्ष -2014
धरोहर घोषित किये जाने का कारण – रानी की वाव गुजरात राज्य में स्थित प्रसिद्ध बावड़ी (सीढ़ीदार कुआँ) है। कहा जाता है कि रानी की वाव या रानी की बावड़ी वर्ष 1063 में सोलंकी शासन के राजा भीमदेव प्रथम ने उनकी पत्नी रानी उदयामति की याद में इस बावड़ी को बनवाया था। यह वाव 64 मीटर लंबा, 20 मीटर चौड़ा तथा 27 मीटर गहरा है। यह भारत में अपनी तरह का अनूठा वाव (बावड़ी – सीढ़ीदार कुआँ) है। 11वीं सदी का भारतीय भूमिगत वास्तु संरचना का अनूठे प्रकार का सबसे विकसित एवं व्यापक उदाहरण है यह, जो भारत में वाव निर्माण के विकास की गाथा दर्शाता है।
source: whc unesco
22. लाल किला
स्थल – दिल्ली
राज्य – दिल्ली
धरोहर घोषित वर्ष – 2007
धरोहर घोषित किये जाने का कारण – लाल किला 5 वें मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा ई स 1639 में बनवाया गया था। यह लाल रेत पत्थर से बनाया गया है। इसी कारण इसका रंग लाल है और यही कारण है कि इसे लाल किला कहा जाता है। ब्रिटिश काल में यह किला मुख्यतः छावनी रूप में प्रयोग किया गया था। लाल किले में उच्चस्तर की कला एवं विभूषक कार्य देखने को मिलता है। यहाँ की कलाकृतियाँ फारसी, यूरोपीय एवं भारतीय कला का संश्लेषण है, जिसका परिणाम विशिष्ट एवं अनुपम शाहजहानी शैली था। लालकिला दिल्ली की एक महत्वपूर्ण इमारत समूह है, जो भारतीय इतिहास एवं उसकी कलाओं को अपने में समेटे हुए है। इसका महत्व समय की सीमाओं से बढ़कर है।
source: whc unesco