भीमराव अम्बेडकर की जीवनी (भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय, डाक्टर भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय), भीमराव अंबेडकर की माता का नाम, भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के पास कितनी डिग्री थी आदि महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं। Biography of Bhimrao Ambedkar in hindi, Bhimrao Ambedkar Biography in hindi.
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भीमराव अम्बेडकर की जीवनी (भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय, डाक्टर भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय)
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ( Bhimrao Ramji Ambedkar ) का जन्म 14 अप्रैल वर्ष 1891 में मध्यप्रदेश के छोटे से गांव महू में हुआ था। भीमराव अंबेडकर एक समाज सुधारक व्यक्ति थे जिन्होंने सामाजिक व्यवस्था को स्थापित करने के कई प्रयास किए। भीमराव अंबेडकर को बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सातारा से प्रारंभ की थी। भीमराव अंबेडकर की 6 वर्ष की आयु में ही उनकी माता का स्वर्गवास हो गया था जिसके बाद उनका लालन पोषण उनकी बुआ ने किया था। वह महार जाति के सदस्य थे जिन्हें समाज में भेदभाव की दृष्टि से देखा जाता था। भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन काल में दलितों से हो रहे भेदभाव के विरोध में कई अभियान चलाये। केवल इतना ही नहीं उन्होंने किसानों, श्रमिकों एवं महिलाओं के अधिकारों का भी समर्थन किया, जिसके कारण उन्हें प्रसिद्धि हासिल हुई। इन्होंने अपना संपूर्ण जीवन गरीबों को समर्पित कर दिया। भीमराव अंबेडकर ने समाज में परिवर्तन लाने हेतु कई सार्थक प्रयास किए थे। इसके अलावा उन्होंने भारत के संविधान के निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
भीमराव अंबेडकर का विवाह वर्ष 1906 में रमाबाई नामक स्त्री से हुआ था जिनका लंबी बीमारी के बाद वर्ष 1935 में निधन हो गया था। इसके बाद भीमराव अंबेडकर का दूसरा विवाह वर्ष 1948 में सविता अंबेडकर नामक महिला से हुआ था। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अपने मां-बाप की 14 वीं संतान थे। वे अपने गांव समाज में सबसे अधिक पढ़े लिखे व्यक्ति थे।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हिंदू के महार जाति से थे जिन्हें उच्च जाति के लोग छूना भी पाप समझते थे जिसके कारण इन्हें देश के विभिन्न स्थानों पर भेदभाव का शिकार होना पड़ा। बाबासाहेब आंबेडकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा आर्मी स्कूल से पूर्ण की थी जहां उन्हें भेदभाव की दृष्टि से देखा जाता था। केवल इतना ही नहीं उन्हें उनकी जाति के कारण कक्षा में बैठने तक की अनुमति नहीं थी जिसके कारण उन्हें अक्सर कक्षा के बाहर रखा जाता था। इसके अलावा उन्हें विद्यालय से पानी पीने की भी अनुमति भी नहीं थी।
भीमराव अंबेडकर की माता का नाम
भीमराव अंबेडकर की माता का नाम भीमाबाई सकपाल था।
भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम
भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम रामजी मलोजी सकपाल था।
भीमराव अंबेडकर का राजनीतिक जीवन
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर एक प्रसिद्ध राजनीतिक नेता, अर्थशास्त्री, दार्शनिक, लेखक, बहु-भाषाविद्, धर्म दर्शन के विद्वान होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध समाज सुधारक भी थे। उन्होंने भारत में अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों को मजबूती प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया। बाबासाहेब आंबेडकर ने जनतांत्रिक व्यवस्था का खुलकर समर्थन किया। उनका मानना था कि जनतंत्र सार्वजनिक जीवन व्यतीत करने की एक पद्धति है। जनतंत्र वह शासन प्रणाली है जिसके माध्यम से सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र में बिना हिंसा के क्रांतिकारी परिवर्तन लाए जा सकते हैं। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को वर्ष 1990 में देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा भारत की आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू के कैबिनेट में पहली बार डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को कानून मंत्री भी बनाया गया था।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने दलित वर्ग के लोगों को राजनीतिक क्षेत्र में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया था। उनका मानना था कि राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने के बाद भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा हो सकती है। उन्होंने समाज में समानता के स्तर को स्थापित करने के कई प्रयास किए थे। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के अनुसार लोकतंत्र केवल एक शासन प्रणाली नहीं है बल्कि यह आम नागरिकों के अधिकारों को बढ़ावा देने की एक पद्धति है।
जाति प्रथा का विरोध
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर मुख्य रूप से जातिवाद का विरोध किया करते थे। उन्होंने छुआछूत को मिटाने हेतु कई आंदोलन किए थे। बाबासाहेब आंबेडकर को एक दलित राजनेता के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने बाल्यावस्था से ही जातिवाद का खुलकर विरोध किया था। उन्होंने अपने जीवन काल में जाति-प्रथा एवं छुआछूत का अंत करने हेतु कई प्रयास किए थे। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने शोषित एवं दलित वर्ग को संगठित करने का कार्य किया था जिसके माध्यम से वह अल्पसंख्यक एवं उच्च वर्ग के लोगों के बीच एक संबंध को स्थापित करना चाहते थे।
भारतीय संविधान में भीमराव अंबेडकर की भूमिका
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को भारत के संविधान का निर्माता भी कहा जाता है। भारत की आजादी के बाद देश में भारतीय संविधान सभा का गठन हुआ था। इस संविधान सभा में भीमराव अंबेडकर का चयन उनके राजनीतिक प्रभाव एवं प्रशासनिक दक्षता के कारण हुआ था। उन्होंने इस सभा में मुख्य रूप से जातिवाद एवं छुआछूत जैसी समस्याओं को उजागर किया। भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माण हेतु मसौदा तैयार करने के लिए मुखिया के रूप में चयनित किया गया था। उन्होंने इस सभा में जोरदार भाषण दिया था जिसके कारण बहुत से कांग्रेसी नेता उनसे प्रभावित हुए थे।
भीमराव अंबेडकर को अपने जीवन में कई बार अपमानजनक व्यवहार का सामना करना पड़ा था क्योंकि उनका संबंध एक दलित परिवार से था। उन्होंने अस्पर्श माने जाने वाली जातियों के उत्थान के लिए भारतीय संविधान में कई प्रावधान किए थे। भारत के स्वतंत्रता के बाद भीमराव अंबेडकर का भारतीय संविधान सभा एवं संविधान के निर्माण में एक महत्वपूर्ण योगदान रहा जिसके कारण उन्हें भारतीय संविधान का निर्माता एवं जनक भी कहा जाता है। भारतीय संविधान का निर्माण 2 वर्ष, 11 माह एवं 18 दिनों में संपूर्ण किया गया था। परंतु भारतीय संविधान सभा का अस्तित्व 3 वर्ष, 1 माह 27 दिनों तक रहा था।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के पास कितनी डिग्री थी
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के पास कुल 32 डिग्रियां थी। यह 9 भाषाओं में बेहतर जानकारी रखते थे। इन्होंने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से मात्र 2 वर्ष, 3 महीने में ही 8 वर्ष की शिक्षा पूर्ण कर ली थी।