भीष्म साहनी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व

भीष्म साहनी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व

भीष्म साहनी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व, भीष्म साहनी की भाषा शैली, भीष्म साहनी की साहित्यिक विशेषताएँ, भीष्म साहनी की कहानी संग्रह, भीष्म साहनी के नाटक, भीष्म साहनी की रचना का नाम लिखिए आदि महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं। bhisham sahni upsc.

भीष्म साहनी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व

भीष्म साहनी ( Bhisham Sahni) को हिंदी के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकारों में से एक माना जाता है। इनका जन्म 8 अगस्त वर्ष 1915 को रावलपिंडी नामक स्थान में हुआ था जो वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है। इनके पिता का नाम हरबंस लाल साहनी तथा माता का नाम लक्ष्मी देवी था। भीष्म साहनी ने अपने जीवन काल में कई महत्वपूर्ण रचनाएं की थी। भीष्म साहनी स्वभाव से अत्यंत विनम्र एवं दयालु किस्म के व्यक्ति थे। इन्होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हिंदी एवं संस्कृत भाषा में अर्जित की थी। इन्होंने विद्यालय में उर्दू एवं अंग्रेजी भाषा में शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात वर्ष 1937 में सरकारी विश्वविद्यालय (Government College) से अंग्रेजी साहित्य में एमए की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद वर्ष 1958 में पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की थी। भीष्म साहनी ने साहित्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया था जिसके कारण उन्हें वर्ष 1975 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

भीष्म साहनी का कृतित्व

भारतीय इतिहास में भीष्म साहनी को प्रसिद्ध साहित्यकार के रूप में जाना जाता है। उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अनेकों रचनाएं की थी जिसके कारण उन्हें भारत के प्रसिद्ध उपन्यासकार के रूप में प्रसिद्धि हासिल हुई थी। उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंध, बाल साहित्य, जीवनी आदि क्षेत्रों में लेखन कार्य किया है।

भीष्म साहनी की भाषा शैली

भीष्म साहनी की रचनाओं में हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, संस्कृत एवं पंजाबी भाषा का सुंदर प्रयोग देखने को मिलता है। भीष्म साहनी के लेखन की विशेषता यह थी कि वह अपनी रचनाओं में छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग किया करते थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से आम आदमी की संवेदनशीलता एवं चरित्र का वर्णन किया है। भीष्म साहनी ने अपने अधिकांश रचनाएं सरल हिंदी भाषा में की हैं। उनके लेखन में विवरण, विवेचना एवं व्यंग का भाव देखा जा सकता है।

भीष्म साहनी की साहित्यिक विशेषताएँ

भीष्म साहनी ने अपने लेखन द्वारा मानवीय संवेदना को जागृत करने का प्रयास किया है। उन्होंने समाज में निम्न वर्गों के प्रति हो रहे अत्याचार एवं शोषण को केंद्र बनाकर कई महत्वपूर्ण रचनाएं की हैं। इसके अलावा उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों, पुरानी मान्यताओं, पुरुषवाद आदि महत्वपूर्ण विषयों पर भी रचनाएं की हैं। भीष्म साहनी द्वारा रची गयी रचनाओं के माध्यम से समाज में बौद्धिक क्रांति का प्रसार हुआ था। उन्होंने अपने जीवन काल में मध्यम वर्ग की परिस्थिति को उजागर करके मानव मूल्यों की स्थापना करने का प्रयास किया था।

भीष्म साहनी की कहानी संग्रह

भीष्म साहनी ने 1953- 1989 ईसवी तक अनेकों कहानियां लिखी थी, जिनमें से आठ कहानी संग्रह प्रकाशित हुए हैं। भीष्म साहनी ने भाग्य रेखा, पहला पाठ, भटकती राख, पटरियां, वांङ चू, शोभायात्रा, निशाचर, पाली, अहम् ब्रह्मास्मि, मेरी प्रिय कहानियां, अमृतसर आ गया, चीफ की दावत आदि कहानियां लिखी थी।

भीष्म साहनी के नाटक

भीष्म साहनी हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध नाटककार के रूप में भी सफल हुए थे। उन्होंने झरोखे, हानूस, कबीरा खड़ा बाजार में, माधवी, मुआवजे, गुलेल का खेल आदि जैसे प्रसिद्ध नाटकों एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। माना जाता है कि भीष्म साहनी एक उम्दा नाटककार होने के साथ-साथ एक अच्छे अभिनेता भी थे।

भीष्म साहनी की रचना का नाम लिखिए –

भीष्म साहनी की प्रमुख रचनाएं कुछ इस प्रकार हैं:-

  • झरोखे

झरोखे भीष्म साहनी जी की प्रथम उपन्यास मानी जाती है जो वर्ष 1967 में प्रकाशित हुई थी। इसमें मुख्य रूप से मध्यवर्गीय आर्य समाज के एक बालक के माध्यम से सांस्कृतिक, नैतिक, आर्थिक एवं सामाजिक विषयों को प्रदर्शित किया गया है। इसके अलावा इस उपन्यास में पुरुष प्रधान समाज का भी चित्रण किया गया है।

  • तमस

भीष्म साहनी द्वारा रची गई तमस नामक उपन्यास उनकी बहुचर्चित उपन्यासों में से एक है। इस उपन्यास में भारत की स्वतंत्रता से पूर्व की स्थिति को दर्शाया गया है। इसमें भीष्म साहनी ने मुख्य रूप से दंगे-फसाद के वातावरण को दिखाने का प्रयास किया है।

  • कड़ियां

इस उपन्यास में भीष्म साहनी ने एक व्यक्ति एवं दो नारियों के बीच के संबंध को दर्शाया है। इस उपन्यास में भीष्म साहनी ने महेंद्र नामक चरित्र को सुषमा एवं प्रमिला नामक प्रेमिकाओं के जीवन से जोड़ कर दिखाया है। इसमें मुख्य रूप से दोनों नारियों की मनोदशा को दर्शाने का प्रयास किया गया है। इसके अलावा भीष्म साहनी द्वारा लिखे गए इस उपन्यास में प्रेम प्रधान एवं पारिवारिक समस्या को भी उजागर किया है।

  • कुंतो

भीष्म साहनी द्वारा रची गई कुंतो वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस उपन्यास में भीष्म साहनी ने समाज के विभिन्न वर्गों की पारिवारिक स्थितियों, आधुनिक मानसिकताओं, बदलती परंपराओं आदि को प्रभावशाली तरीके से दर्शाने का प्रयास किया है।

  • बसंती

भीष्म साहनी की इस रचना में सामाजिक दर्शन देखने को मिलता है। इस उपन्यास में मानवीय संबंधों की अस्थिरता का चित्रण किया गया है।

  • माया दास की माड़ी

भीष्म साहनी द्वारा रची गई ‘माया दास की माड़ी’ में पंजाब की धरती पर बढ़ती ब्रिटिश हुकूमत का चित्रण किया गया है। इसमें मुख्य रूप से भारतीय इतिहास में हुए बदलाव को भी दर्शाया गया है।

  • नीलू नीलिमा नीलोफर

‘नीलू नीलिमा नीलोफर’ नामक उपन्यास में धर्म, जाति एवं संप्रदाय की समस्याओं पर प्रकाश डाला गया है। भीष्म साहनी कि इस रचना को वर्ष 2000 में प्रकाशित किया गया था। यह मुख्य रूप से एक प्रेम कहानी है।