1. राष्ट्रीय कम्पनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) ने दीवालिया मामलों (insolvency cases) के निपटारे से सम्बन्धित दीवालिया तथा दीवालियापन संहिता 2016 (Insolvency and Bankruptcy Code, 2016) के तहत पहले मामले को निपटाने की घोषणा 14 अगस्त 2017 को जारी की।
विस्तार : – 14 अगस्त 2017 को जारी की गई जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय कम्पनी कानून न्यायाधिकरण (National Company Law Tribunal – NCLT) ने वर्ष 2016 में प्रभाव में आई दीवालिया तथा दीवालियापन संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code) के तहत पहले मामले को निपटाने का आदेश जारी कर दिया है। यह मामला सिनर्ज़ीस-डूरे ऑटोमोटिव लिमिटेड (Synergies-Dooray Automotive Ltd.) नामक एक कम्पनी की दीवालियापन सुनवाई से सम्बन्धित है तथा यह कम्पनी कारों के लिए एलॉय व्हील्स का उत्पादन करती है। इस कम्पनी ने सुनवाई के लिए अपना मामला 23 जनवरी 2017 को पेश किया था। इस मामले को राष्ट्रीय कम्पनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) के समक्ष 21 जुलाई को प्रस्तुत किया गया था तथा संहिता में उल्लिखित प्रावधानों के तहत 180 दिन में मामले के निपटारे की व्यवस्था के अनुरूप 2 अगस्त को कम्पनी की दीवालियापन योजना को मंजूरी प्रदान कर दी गई थी। मामले का अंतिम आदेश 14 अगस्त 2017 को NCLT की वेबसाइट पर जारी किया गया। उल्लेखनीय है कि उक्त दीवालियापन कानून संसद द्वारा मई 2016 को पारित किया गया था तथा दिसम्बर 2016 में प्रभाव में आ गया था। इस संहिता ने दीवालियापन से सम्बन्धित अन्य सभी पूर्व कानूनों तथा बुरे ऋण (bad loans) व गैर-निष्पादित परिसम्पत्तियों (non-performing assets – NPAs) के निपटारे से सम्बन्धित प्रावधानों का स्थान ले लिया है।
2. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 71वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 अगस्त 2017 को स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वीरता पुरस्कारों से सम्मानित सभी विजेताओं पर एक नया वेब-पोर्टल जारी किया।
3. पृथ्वी के सबसे बड़े ज्वालामुखीय क्षेत्र की खोज हाल ही में एक ब्रिटिश विश्वविद्यालय के अनुसंधान-दल द्वारा अंटार्कटिका (Antarctica) भूभाग में की गई है।
विस्तार : – ब्रिटेन की एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी (Edinburgh University) के अनुसंधानकर्ताओं ने हाल ही में दुनिया के सबसे बड़े ज्वालामुखीय क्षेत्र की खोज हिम-महाद्वीप अंटार्कटिका की बर्फीली सतह के नीचे की है। इस क्षेत्र में लगभग 100 ज्वालामुखी मौजूद हैं तथा यह भूमि की सतह से 2 किलोमीटर तक की गहराई में स्थित हैं। यह तमाम ज्वालामुखी जिस क्षेत्र में हैं वह पश्चिम अंटार्कटिक रिफ्ट प्रणाली (West Antarctic Rift system) के नाम से जाना जाता है तथा यह क्षेत्र रॉस आइस-शेल्फ (Ross ice-shelf) से 3,500 किलोमीटर दूर प्रायद्वीपीय क्षेत्र की तरफ स्थित है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व अंटार्कटिका में 47 ज्वालामुखियों की खोज पहले की जा चुकी है।
4. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सहारा समूह (Sahara Group) की ऐम्बी वैली (Aamby Valley) रिज़ॉर्ट परियोजना को नीलाम करने की कार्रवाई 14 अगस्त 2017 को शुरू की गई।
विस्तार : – पिछले काफी समय से तमाम आर्थिक दुश्वारियों से गुज़र रहे सहारा समूह की शानौ-शौकत से भरपूर ऐम्बी वैली रिज़ॉर्ट परियोजना की नीलामी 14 अगस्त 2017 से शुरू की गई। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत की जा रही इस नीलामी में इस सम्पत्ति का न्यूनतम रिज़र्व मूल्य 37,392 करोड़ रुपए तय किया गया है। हालांकि सुब्रत राय “सहारा” के नेतृत्व वाले सहारा समूह के अनुसार इस परिसम्पत्ति का बाजार मूल्य लगभग एक लाख करोड़ रुपए है। ऐम्बी वैली परियोजना महाराष्ट्र के पुणे जिले में लोनावाला के पास स्थित है तथा इसमें आवसीय टाउनशिप के अलावा कई होटल व रिज़ॉर्ट शामिल हैं। इसका विस्तार 1,700 एकड़ में है। सहारा पूँजी बाजार की नियामक संस्था सेबी (SEBI) के साथ पिछले समय से न्यायिक मामले में फंसी हुई है तथा उस पर आरोप है कि उसने नियमों को ताक पर रखकर लोगों से धनराशि एकत्रित की है तथा अब उसे वापस लौटाने में सक्षम होते हुए भी असमर्थता दिखा रही है।
5. देश में जंगली हाथियों के लिए संकुचित होते जा रहे स्थानों की समस्या के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इण्डिया (WTI) नामक संस्था ने 12 अगस्त 2017 से एक देशव्यापी अभियान शुरू किया है।
विस्तार : – “गज यात्रा” (“Gaj Yatra”) अभियान का मुख्य उद्देश्य देश में जंगली हाथियों के लिए संकुचित होते जा रहे स्थानों की समस्या के प्रति जागरूकता फैलाना है। यह अभियान 12 अगस्त 2017 से मुम्बई में वाइल्ड-लाइफ ट्रस्ट ऑफ इण्डिया (Wildlife Trust of India – WTI) नामक एक गैर-सरकारी संस्था द्वारा शुरू किया गया। इस अभियान के तहत आगामी 15 माह के दौरान देश के उन सभी 12 राज्यों में यात्रा निकाली जायेगी जहाँ हाथी का प्राकृतिक निवास है। इसमें स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गई हाथी के आकार की कलाकृतियों का प्रदर्शन भी किया जायेगा। इस अभियान का समर्थन इंटरनेशनल फण्ड फॉर एनिमल वेल्फेयर (International Fund for Animal Welfare – IFAW) द्वारा किया गया है।