धारा 307 और 308 में क्या अंतर है

धारा 307 और 308 में क्या अंतर है

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धारा 307 क्या है ( what is section 307 in hindi)

आईपीसी की धारा 307 हत्या के प्रयास के अपराध को परिभाषित करती है जिसमें यह बताया गया है कि जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की हत्या करने का प्रयास करता है एवं वह हत्या करने में असफल होता है तो उसे हत्या का दोषी माना जाएगा। इस प्रकार के अपराध करने वाले अपराधियों को भारतीय संविधान में आईपीसी की धारा 307 के तहत दंडित करने का उचित प्रावधान किया गया है। इसके अलावा धारा 307 के अंतर्गत दोषियों को लगभग दस वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए कारावास से दंडित करने एवं भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। भारतीय दंड संहिता में धारा 307 के मामलों से जुड़े हुए अपराधियों को किसी भी प्रकार की अग्रिम जमानत देने का प्रावधान नहीं किया गया है। धारा 307 से संबंधित अपराधी की अग्रिम जमानत याचिका जिला न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा शीघ्र ही निरस्त कर दी जाती है क्योंकि यह एक गैर जमानती एवं संज्ञेय अपराध माना जाता है। दंड प्रक्रिया संहिता में धारा 307 को हाफ मर्डर (Half Murder) के नाम से भी जाना जाता है।

धारा 308 क्या है ( what is section 308 in hindi)

आईपीसी की धारा 308 गैर इरादतन हत्या के अपराध को परिभाषित करती है। यदि कोई व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में कोई ऐसा कार्य करता है जिसके कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो उसे धारा 308 के तहत दोषी माना जाता है। हालांकि गैर इरादतन हत्या किसी भी प्रकार से हत्या की श्रेणी में नहीं आता है परंतु इसके लिए भारतीय संविधान में अनिवार्य रूप से कुछ प्रावधान किए गए हैं। धारा 308 के अंतर्गत यदि किसी व्यक्ति के किए गए कार्य के द्वारा किसी की मृत्यु हो जाती है तो इस अवस्था में दोषी को एक उचित अवधि के लिए कारावास में बंदी बनाया जाता है। इसके अंतर्गत अपराधी को शारीरिक एवं आर्थिक रूप से दंडित किया जाता है। यह एक गैर जमानती अपराध होता है जिसके अंतर्गत अपराधी के कारावास को अधिक से अधिक सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। धारा 308 के अंतर्गत आने वाले अपराधियों को हत्या के दोषी के बराबर नहीं माना जाता है।

धारा 307 और धारा 308 में अंतर

धारा 307 और धारा 308 में निम्नलिखित अंतर होते हैं ( difference between section 307 and 308 in hindi ) :-

  • धारा 307 के अंतर्गत आने वाले अपराधियों को हत्या की श्रेणी में रखा जाता है जबकि धारा 308 के अंतर्गत आने वाले अपराधियों को हत्या के प्रयास की श्रेणी में रखा जाता है।
  • धारा 307 हत्या के प्रयास को परिभाषित करती है जबकि धारा 308 गैर इरादतन हत्या के प्रयास को परिभाषित करती है।
  • धारा 307 के अंतर्गत दोषी पाए जाने वाले अपराधियों को आमतौर पर 10 वर्ष की सजा एवं जुर्माने का प्रावधान किया गया है परंतु धारा 308 के अंतर्गत दोषी पाए जाने वाले अपराधियों के लिए अधिकतम 7 वर्ष की सजा एवं जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

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