GST का इतिहास, भारत में GST का विकास और फायदे

GST का इतिहास, भारत में GST का विकास और फायदे

अगर हम आज से 100 साल पहले जाये तो GST के बारे में कोई जनता भी नही था, लेकिन दूसरें टैक्स के इतिहास आज से कई हजारो साल पुराना है, जब से मानवसभ्यता का उदय हुआ और उन्होंने वस्तुओं और सेवाओं का क्रय-विक्रय शुरु किया तब से ही टैक्स का इजत हुआ, लेकिन उस समय में टैक्स का नाम सभ्यताओं और देशो के आधार पर अलग-अलग था. लेकिन GST की जरूत क्यों पड़ी और इसका इतिहास क्या हैं हम इसी बारे में यहाँ जानते हैं : –

GST का इतिहास

फ़्रांस में सर्वप्रथम 1954 में GST को लागू किया था, उसके बाद कनाडा ने GST को 1980 के दशक में लागू किया। इस तरह धीरे-धीरे कर के 150 से भी ज्यादा देशो ने GST को लागू किया है। इस लिस्ट में भारत भी 1 जुलाई 2017 को सामिल हो गया है ।

भारत में GST का विकास

कस्टम, एक्साइज और सेल्स टैक्स का इतिहास तो भारत में काफी पुराना है, जब भारत आजाद भी नही हुआ था तब से ये टैक्स लग रहे है. लेकिन सर्विस टैक्स भारत में सर्वप्रथम 1994 (वित्त काननू 1994 के तहत) में लागू किया गया था, जिसे डॉ. मनमोहन सिंह ने इसे प्रस्तुत किया था। सर्विस टैक्स के बदौलत ही आज भारत के GDP का 50% से भी ज्याद भाग सर्विस टैक्स से आता है। लेकिन हमारे संविधान निर्माताओं को कभी ख्याल भी नही आया की सर्विस इतनी महत्वपूर्ण होगी। इसलिए संविधान में सर्विस का कोई उल्लेख नही है।

2002 में भारत सरकार ने सेवाओं और सामानों पर लगाने वाले टैक्स को एक साथ लगने का निर्णय किया जिसे CENVAT (Central Vat) कहा गया। यहाँ से GST के विकास का एक महत्वपूर्ण कदम जो आगे बढकर तात्कालिन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने 2006- 2007 के बजट में GST को लागू करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए और 2010 में GST को लागू करने का निर्णय लिया लेकिन यह संभव नहीं हो सका।

GST को लागू करने के लिए उठाये गए कदम

एक सशक्त समिति का गठन किया गया, जिन्होंने पुरे भारत में VAT को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उन्हें GST को लागू करने के लिए एक रोड मेप बनाने का निर्देश दिया गया। और इन्होने GST की पहली रिपोर्ट  2009 में बनाई. यहीं से धीरे-धीरे GST के कई कानून बनाये गया और अंत में 1 जुलाई 2017 को पुरे भारत में लागू कर दिया गया।

GST के पहले का टैक्स सिस्टम

सर्वप्रथम हम देखते है की भारत के संविधान में 3 लिस्टों का उल्लेख है: –

  1. Central List – जिसके तहत Manufacture / Production, Income, Export, Inter-State Sales आते है. इस पर टैक्स लेने का अधिकार केंद्र को है।
  2. State List – जिसके तहत Intra-State Sales, Entertainment, Manufacture of Liquor आदि आते हैं. इन पर टैक्स लेने का अधिकार राज्य सरकार को है।
  3. Concurrent List – इसमें राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों ही कानून बनाते है।

अगर कोई उत्पाद इन तीनो लिस्ट में नही है तो उन्हें Residual item कहते है, जिस पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार को है। जैसे सेवाओं (Service) का किसी भी लिस्ट में जिक्र नही है, इसलिए 1994 में सरकार ने इसे Residual item में रखकर इसपर टैक्स लेना शुरु किया।

GST के पहले दिक्कते

  • टेक्स कानूनों की बहुलता (Multiplicity of Tax Law) – हर राज्य और केंद्र सरकार का अलग – अलग कानून।
  • टेक्स रेट की बहुलता (Multiplicity of Tax Rate) अलग-अलग कानून के वजह से एक ही वस्तु पर लगने वाला टैक्स अलग – अलग होता था।
  • शासन प्रबंध की बहुलता (Multiplicity of Tax administration) – एक ही वस्तु पर लगाये गये टैक्स के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग शासन प्रबंध का सामना करना पड़ता था।
  • दोहरा कर (Dual Taxation) – एक ही वस्तु या सेवा पर दो टैक्स देना पड़ता था।
  • सेवा और वस्तु के मध्य भ्रम (Confusing Between Service and Goods) कई बार यह समझान मुस्किल होता था की यह सेवा है या वस्तु। (उदाहरण के तौर पर SIM Card को सेवा या वस्तु में किस श्रेणी में रखा जाय यह मुद्दा काफी चला था।)
  • इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit) – यह एक बहुत बड़ा मुद्दा था, उदाहारण के तौर पर कार कंपनी के कई पार्ट्स अलग अलग राज्यों में बनते है, अगर कोई पार्ट्स उत्तराखंड में बना है यहाँ आपने सेल टैक्स दिया और आप पंजाब में उस पार्ट का सेल टेक्स का क्रेडिट नही ले सकते।
  • निर्यात का फायदा (Export Benefits) – केंद्र सरकार के तहत आने वाले सर्विस या वस्तु को तो इसका लाभ जल्दी मिल जाता था लेकिन राज्यसरकार के वस्तुओं और सेवओं पर यह काफी समय बाद इसका लाभ मिलता था।

संशोधन कानून (Constitutional Amendment Act)

          पहला प्रश्न यह उठता है की GST को लेन के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी ? इसका सीधा जा जबाब है की जो शक्तियां केंद्र और राज्य सरकारों को दी गई थी, अलग-अलग टैक्स लेने के लिए पहले उसे खत्म करना था। इस लिए GST को लाने से पहले संविधान में संशोधन जरुरी था। और जो टैक्स Central List और state list के अंतर्गत आते थे उसे खत्म करके GST को Concurrent List के अंतर्गत लाना था, यह संभव तभी होता जब संविधान में संशोधन किया जाता। यह संविधान का 101वां संशोधन था जो 8 सितम्बर 2016 को किया गया।

सेन्ट्रल कर जो अब नही लगेंगे

  1. Central Excise duty
  2. Duties of Excise (Medicinal and Toilet Preparations)
  3. Additional Duties of Excise (Goods and Special Importance)
  4. Additional Duties of Excise (Textiles and Textile Products)
  5. Additional Duties of Custom (Commonly Known as CVD)
  6. Special Additional Duty of Customs (SAD)
  7. Service Tax
  8. Cesses and Surcharges insofar as they relate to supply of Goods and Services

GST के बाद अब इन 8 केंद्र सरकार द्वारा लगाये जाने वाले टैक्स का संविधान में कोई अस्तित्व नही रह गया है।

स्टेट कर जो अब नही लगेंगे

  1. State VAT
  2. Central State Tax
  3. Purchase Tax
  4. Luxury Tax
  5. Entry Tax (All Form)
  6. Entertainment Tax (Except those levied by the local bodies)
  7. Taxes on advertisements
  8. Taxes on lotteries, betting and gambling
  9. State Cesses and surcharges insofar as they related to supply.

GST के फ़ायदे

व्यापर के लिए

  1. कई टैक्स देने से छुटकारा
  2. दोहरा टैक्स देने से छुटकारा
  3. काफी प्रभावी तरीके से निर्यात लगने वाले टैक्स का निराकरण
  4. एक देश एक बाजार बनाना
  5. सेवओं और वस्तुओ के बीच विवाद बहुत कम होंगे
  6. कई वस्तुओ और सेवाओं का कर कम होगा

उपभोक्ता के लिए

  1. आसन टैक्स सिस्टम
  2. कई वस्तुओ और सेवाओं के दाम घटेंगे
  3. सम्पूर्ण देश में एक ही वस्तुओं ओर सेवाओं का एक समान रेट
  4. टैक्स सिस्टम में पारदर्शीता