कहानी और उपन्यास की परिभाषा एवं कहानी और उपन्यास में अंतर

कहानी और उपन्यास की परिभाषा एवं कहानी और उपन्यास में अंतर

कहानी और उपन्यास की परिभाषा एवं कहानी और उपन्यास में अंतर : कहानी क्या है (कहानी की परिभाषा), कहानी के प्रकार, कहानी के तत्व, उपन्यास क्या है (उपन्यास की परिभाषा), उपन्यास के प्रकार, उपन्यास के तत्व, कहानी और उपन्यास में अंतर आदि महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं।

Table of Contents

कहानी और उपन्यास की परिभाषा

कहानी क्या है (कहानी की परिभाषा)

कहानी वह चित्रण है जिसमें मानव जीवन के किसी एक घटना के विषय में बताया जाता है। आदिकाल से ही कहानियां मनुष्य का मनोरंजन एवं आनंद का साधन रही है। कहानी केवल मनोरंजन और आनंद के लिए ही नहीं बल्कि शिक्षा एवं उपदेश देने का भी एक महत्वपूर्ण साधन है। भारतीय इतिहास के प्रसिद्ध लेखक मुंशी प्रेमचंद का मानना है कि कहानी एक गद्य रचना होती है जिसमें मुख्य रूप से एक अंग या मनोभाव की स्थिति को दर्शाया जाता है। उनके अनुसार एक कहानी में कई चरित्र व शैलियां होती हैं जो मनोभाव की पुष्टि करते हैं। मुंशी प्रेमचंद कहानी को रमणीय उत्थान ना मानकर उसे सुगंधित फूलों से युक्त एक माला मानते हैं।

कहानी के प्रकार

एक कहानी को कई प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है।

  • ऐतिहासिक कहानियां
  • सामाजिक कहानियां
  • धार्मिक कहानियां
  • आदर्शवादी कहानियां
  • यथार्थवादी कहानियां
  • घटना प्रधान कहानियां
  • समस्यात्मक कहानियां
ऐतिहासिक कहानियां

ऐतिहासिक कहानियां मुख्यतः इतिहास से संबंधित घटनाओं पर आधारित होती हैं। लेखक ऐतिहासिक कहानियों के माध्यम से इतिहास में घटी सभी घटनाओं को विस्तारित करने का प्रयत्न करते हैं। इस प्रकार की कहानियों में राजनीतिक सूझ-बूझ को भी दर्शाया जाता है।

सामाजिक कहानियां

सामाजिक कहानियों में मुख्य रूप से समाज की पुरानी परंपराओं एवं रीति-रिवाजों का वर्णन किया जाता है। इस प्रकार की कहानियों में समाज से जुड़ी सभी समस्याओं एवं समाधान को दर्शाया जाता है। इसके अलावा सामाजिक कहानियों में आम जनता को अप्रत्याशित घटनाओं से भी अवगत कराया जाता है जिससे समाज में जागरूकता फैलती है।

धार्मिक कहानियां

धार्मिक कहानियां मुख्य रूप से सदाचरण से संबंधित होती हैं। यह इतिहास की धार्मिक घटनाओं को कहानी के रूप में प्रदर्शित करती हैं। उदाहरण के रूप में महाभारत एवं रामायण एक धार्मिक कहानी है जो समाज में धार्मिक ज्ञान प्रदान करने का कार्य करती हैं। धार्मिक कहानियों के माध्यम से मनुष्यों में धार्मिक भावना का उत्सर्जन होता है।

आदर्शवादी कहानियां

आदर्शवादी कहानियां वह कथाएं होती हैं जिसके माध्यम से लोगों को आंतरिक रूप से जागृत करने का प्रयास किया जाता है। इस प्रकार की कहानियों से सत्य पर विजय प्राप्त करने की स्थापना करने का प्रयत्न किया जाता है। यह लोगों को उनके जीवन के लक्ष्य के प्रति उत्तेजित करने का कार्य करती है।

यथार्थवादी कहानियां

यथार्थवादी कहानियों के माध्यम से लोगों के विचारधारा को विकसित किया जाता है। यह जीवन की वास्तविकता को दर्शाने का कार्य करती है। यथार्थवादी कहानियों की रचना लोगों को जीवन का सही अर्थ समझाने हेतु की जाती है।

घटना प्रधान कहानियां

घटना प्रधान कहानियों में मुख्य रूप से इतिहास में घटी किसी ना किसी महत्वपूर्ण घटना का वर्णन अवश्य होता है। यह घटना सामाजिक या ऐतिहासिक रूप से जुड़ी हुई होती है। इस प्रकार की कहानियों में घटना की प्रधानता होती है।

समस्यात्मक कहानियां

समस्यात्मक कहानियों में समाज की कठिनाई एवं किसी बड़ी सामाजिक समस्या का वर्णन किया जाता है। यह धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक आदि जैसी समस्याओं को सामाजिक रूप से प्रदर्शित करने का कार्य करती हैं। समस्यात्मक कहानियों में विशेष रूप से समस्या का समाधान भी निहित होता है।

कहानी के तत्व

विभिन्न इतिहासकारों के अनुसार कहानी के कई तत्व होते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:-

  • कहानी का शीर्षक
  • पात्र एवं चरित्र चित्रण
  • कहानी की शैली
  • कथा-वस्तु या कथानक
  • कथोपकथन
  • देश काल
  • भाषा
  • उद्देश्य
कहानी का शीर्षक

कहानी का शीर्षक किसी भी रचना का सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है क्योंकि कहानी के शीर्षक से ही कहानी के विषय की अधिकांश जानकारी प्राप्त होती है। कहानी का शीर्षक सदैव सामग्री पर आधारित होता है एवं उसका संबंध कहानी के केंद्रीय भाव से होता है। लेखकों को कहानी के शीर्षक का चुनाव बड़ी ही कुशलता पूर्वक करना पड़ता है।

पात्र एवं चरित्र चित्रण

किसी कहानी में पात्रों के विचार एवं कार्यपद्धती का वर्णन करने की क्रिया को चरित्र चित्रण कहा जाता है। इसमें मुख्य रूप से पात्रों का वर्णन करने हेतु उनके द्वारा किए गए कार्य, विचार एवं व्यक्तित्व की सहायता ली जाती है।

कहानी की शैली

कहानी की शैली किसी कथा का प्रमुख तत्व माना जाता है क्योंकि इसके माध्यम से कहानी को सरल एवं धाराप्रवाह बनाने में मदद मिलती है। कहानी की भाषा शैली में शब्द का उचित चयन करके कहानी की महत्ता को बढ़ावा दिया जाता है।

कथावस्तु या कथानक

कथावस्तु या कथानक किसी कहानी का वह महत्वपूर्ण अंग होती है जो कहानी को विशेष बनाती है। एक कहानी में धार्मिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक, समाजवादी विषयों को संगठित किया जाता है। एक रचनाकार कथानक में स्वाभाविकता लाने के लिए उसमें कल्पना एवं मनोविज्ञान का समावेश करता है।

कथोपकथन

किसी कहानी में पात्रों के आपस में होने वाले संवाद की क्रिया को कथोपकथन या वार्तालाप कहते हैं। यह कहानी का एक महत्वपूर्ण अंग होता है क्योंकि इसके माध्यम से ही कहानी को आंतरिक भावों से जोड़ा जाता है। कथोपकथन मुख्य रूप से पात्रों की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन करके कथा प्रवाह को आगे बढ़ाता है।

देशकाल

एक कहानी का उद्गम देशकाल के माध्यम से होता है इसीलिए हर देश की कहानी एक दूसरे से अलग होती है। किसी देश में रची गई कहानियों का वातावरण भी लगभग हर देश से भिन्न होता है।

कहानी की भाषा

कहानी की भाषा को आमतौर पर सरल, प्रभावशाली एवं स्वाभाविक बनाया जाता है जिससे कहानी के प्रति पाठकों का आकर्षण बना रहता है। कहानी की भाषा एक कथा का महत्वपूर्ण अंग माना जाता है क्योंकि इससे कहानी को प्रभावी एवं रोचक बनाया जा सकता है। केवल इतना ही नहीं कहानियों को आकर्षित बनाने के लिए कई मुहावरे एवं लोकोक्तियां का भी प्रयोग किया जाता है।

कहानी का उद्देश्य

एक कहानी का उद्देश्य लोगों में साहित्य के प्रति रुचि को विकसित करना होता है। कहानी में विचारों, भावों, नैतिक मूल्यों आदि को ग्रहण करने की क्षमता होती है जिससे सृजनात्मक शक्ति का विकास होता है। इसके अलावा हर कहानी में कुछ ना कुछ सीख या शिक्षा अवश्य होती है।


उपन्यास क्या है (उपन्यास की परिभाषा)

उपन्यास में किसी व्यक्ति के जीवन का व्यापक एवं संपूर्ण रूप से चित्रण किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से जीवन दर्शन की परिस्थितियों का भी वर्णन किया जाता है। उपन्यास शब्द का निर्माण ‘उप’ उपसर्ग एवं ‘न्यास’ पद के योग से हुआ है। यह ऐसी कृति है जिसके माध्यम से पाठक को किसी विशेष व्यक्ति की संपूर्ण जीवनी की जानकारी होती है। मुंशी प्रेमचंद के अनुसार एक उपन्यास मानव के संपूर्ण जीवन का चित्र है जिससे मानव चरित्र पर प्रकाश डाला जाता है एवं उसके विचारों को विस्तृत किया जाता है।

उपन्यास के प्रकार

उपन्यास कई प्रकार के होते हैं जैसे:-

  • चरित्र प्रधान उपन्यास
  • घटना प्रधान उपन्यास
  • सामाजिक उपन्यास
  • ऐतिहासिक उपन्यास
  • आंचलिक उपन्यास
  • मनोवैज्ञानिक उपन्यास
  • शैलीगत उपन्यास
चरित्र प्रधान उपन्यास

इस प्रकार के उपन्यास में मुख्य रूप से घटना के स्थान पर पात्रों की प्रधानता होती है। इसमें किरदारों के चारित्रिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाता है जिससे उपन्यास की रचना विस्तारित रूप से की जा सके। चरित्र प्रधान उपन्यास में सभी पात्र घटनाओं से स्वतंत्र होते हैं जिससे वे स्वयं परिस्थिति का निर्माण कर सकें। इसमें पात्रों के चरित्र में कोई परिवर्तन नहीं किया जाता केवल पात्रों की चारित्रिक विशेषताओं पर ही प्रकाश डाला जाता है। चरित्र प्रधान उपन्यास विशेष रूप से देश, समाज एवं जाति की चारित्रिक विशेषताओं को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करते हैं।

घटना प्रधान उपन्यास

घटना प्रधान उपन्यास में प्राचीन काल में गठित सभी चमत्कारी घटनाओं की प्रधानता होती है। इस प्रकार के उपन्यास में पाठक के मन में कौतूहल एवं उत्सुकता को बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। इसके अलावा घटना प्रधान उपन्यास में वास्तविकता की तुलना में काल्पनिक जीवन की भी प्रधानता होती है।

सामाजिक उपन्यास

सामाजिक उपन्यासों में मुख्य रूप से समाज के दर्शन एवं समाज की समस्याओं को प्रस्तुत किया जाता है। इस प्रकार के उपन्यास में राजनीतिक एवं सामाजिक धारणाओं का विशेष प्रभाव रहता है। इसकी उत्पत्ति भारतेंदु युग से प्रारंभ हुई थी एवं औपन्यायसिक प्रवृत्ति का प्रचार परवर्ती युग में कई रूपों में हुआ था। सामाजिक उपन्यास में समाज से जुड़ी सभी समस्याओं के समाधान का भी वर्णन किया जाता है।

ऐतिहासिक उपन्यास

ऐतिहासिक उपन्यासों में मुख्य रूप से इतिहास के सभी घटनाओं एवं चरित्र को उजागर किया जाता है। इसकी रचना ऐतिहासिक घटनाओं से प्रभावित होकर की जाती है। ऐतिहासिक उपन्यास में इतिहास एवं काल्पनिक जीवन का योग रहता है। इसके अलावा ऐतिहासिक उपन्यासों में देश की सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, धार्मिक आदि परिस्थितियों का भी चित्रण किया जाता है।

आंचलिक उपन्यास

आंचलिक उपन्यास को आधुनिक उपन्यास के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसमें नए प्रकार से उपन्यास की रचना की जाती है। आंचलिक उपन्यास में विशेष रूप से अंचल विशेष के संपूर्ण जीवन का चित्रण किया जाता है। इस प्रकार के उपन्यासों में कथा का क्षेत्र सीमित होता है एवं इसमें रचनाकार अपने जीवनी के स्वरूप को प्रस्तुत करता है।

मनोवैज्ञानिक उपन्यास

मनोवैज्ञानिक उपन्यास वह उपन्यास होते हैं जिनमें कथानक के बाह्य स्वरूप को अधिक महत्व देकर चरित्रों के मानसिक एवं भावनात्मक पक्ष को दर्शाया जाता है। इस प्रकार के उपन्यास में मानवों की चेतना को विस्तारित रूप से प्रस्तुत किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से मौजूदा परिस्थिति का विश्लेषण किया जाता है जिससे एक पात्र की प्रतिक्रिया को समझाया जा सके।

शैलीगत उपन्यास

जब किसी उपन्यास का वर्गीकरण शैलीगत के आधार पर किया जाता है तो उसे शैलीगत उपन्यास के नाम से जाना जाता है। वर्तमान समय में उपन्यास की रचना कई शैलियों के आधार पर की जाती है जिससे श्रोताओं एवं पाठकों का ध्यान केंद्रित किया जाता है।

उपन्यास के तत्व

उपन्यास को कई तत्वों में वर्गीकृत किया गया है जो कुछ इस प्रकार हैं:-

  • पात्र एवं चरित्र चित्रण
  • कथावस्तु
  • देशकाल या वातावरण
  • संवाद या कथोपकथन
  • भाषा शैली
  • उद्देश्य
पात्र एवं चरित्र चित्रण

हर उपन्यास में पात्रों एवं चरित्र चित्रण का सर्वाधिक महत्व होता है क्योंकि वह व्यक्ति के जीवन के वास्तविक यथार्थ रूप को प्रस्तुत करते हैं। एक उपन्यास में कहानी की तुलना में अधिक विस्तार पूर्वक चरित्र का चित्रण किया जाता है।

कथावस्तु

एक उपन्यास की मूल कहानी को कथावस्तु के नाम से जाना जाता है। कथावस्तु एक उपन्यास का वह महत्वपूर्ण अंग होती है जो विस्तारपूर्वक उपन्यास के उद्देश्य को प्रदर्शित करती हैं। इसके अलावा एक उपन्यासकार के द्वारा अपनी रचना में एकता लाने की क्रिया को भी कथावस्तु कहा जाता है।

देशकाल या वातावरण

जब एक उपन्यासकार अपनी रचना में देश विदेश की सामाजिक स्थिति, आचार-विचार, संस्कृति, सभ्यता एवं रीति-रिवाजों पर प्रकाश डालता है तो उसे उपन्यास का देश काल या वातावरण के नाम से जाना जाता है। एक उपन्यास में युग-धर्म की सजीवता बेहद आवश्यक होती है।

संवाद या कथोपकथन

संवाद या कथोपकथन किसी उपन्यास का वह महत्वपूर्ण अंग होता है जिसमें पात्रों के बीच में वार्तालाप संवाद की क्रिया होती है। यह पात्रों की वार्तालाप की शैली एवं हाव-भाव को दर्शाता है जिससे पाठकों में उपन्यास के प्रति उत्सुकता बनी रहती है।

भाषा शैली

उपन्यास की भाषा शैली वह साहित्यिक तत्व है जो उपन्यासकार के शब्दों का सुंदरता से वर्णन करती है। उपन्यास की रचना करने हेतु एक लेखक गद्य की समान प्रकृति के अनुसार ही उसे वर्णित करता है जिससे उपन्यास की महत्ता को बढ़ावा मिलता है। एक उपन्यास में मुख्य रूप से कथा शैली का प्रयोग होता है।

उपन्यास का उद्देश्य

शुरुआती दौर में उपन्यास का उद्देश्य केवल पाठकों का मनोरंजन करना था परंतु वर्तमान समय में उपन्यास का उद्देश्य पाठकों का मनोरंजन करने के साथ-साथ जीवन के यथार्थ को प्रस्तुत करना भी होता है। इसके अलावा एक उपन्यासकार अपनी रचना के माध्यम से जीवन के रहस्यों एवं जीवन के अनुभव को भी व्यक्त करने का प्रयास करता है।


कहानी और उपन्यास में अंतर

कहानी और उपन्यास दोनों एक ही प्रजाति की साहित्य की विधाएं माने जाते हैं परंतु इनके स्वरूप एवं प्रकृति में भिन्नता होती है। कहानी एवं उपन्यास दोनों कथा साहित्य के अलग-अलग रूप होते हैं एवं इनका अस्तित्व भी एक दूसरे से भिन्न होता है। कहानी एवं उपन्यास में कई प्रकार की भिन्नता देखी जा सकती है जैसे:-

  • एक कहानी में किसी व्यक्ति के जीवन के केवल एक खंड का चित्रण किया जाता है जबकि एक उपन्यास में उस व्यक्ति के संपूर्ण जीवन एवं विचारों का चित्रण किया जाता है।
  • एक कहानी में गति की तीव्रता होती है परंतु उपन्यास की गति अत्यंत धीमी एवं विस्तारित होती है।
  • कहानी की कथा का जुड़ाव किसी क्षण या स्थान से होता है परंतु उपन्यास की कथा का विस्तार युगो-युगांतर तक बढ़ सकता है।
  • एक कहानी की कथा छोटी एवं वैविध्य (विविधता) विहीन होती है परंतु उपन्यास की कथा लंबी एवं वैविध्य पूर्ण होती है। उपन्यास का आकार सामान्यतः एक कहानी से बड़ा होता है।
  • कहानी में कथानक की उपस्थिति कि संभावना होती है परंतु एक उपन्यास में कथानक की उपस्थिति अनिवार्य रूप से होती है।
  • एक कहानी का संबंध मुख्य रूप से एक घटना या वस्तु से होता है परंतु उपन्यास का सीधा संबंध पात्रों के चरित्र चित्रण से होता है।
  • एक कहानी में जीवन की संपूर्णता संभव नहीं होती जबकि उपन्यास में जीवन की संपूर्णता संभव होती है। कहानी में मानव के जीवन के किसी एक अंश का वर्णन किया जाता है परंतु उपन्यास में मानव के जीवन का संपूर्ण वर्णन अनिवार्य रूप से किया जाता है।
  • एक कहानी में केवल एक ही कथा को संपादित किया जाता है जबकि उपन्यास में व्यक्ति से जुड़े कई कथाओं का जुड़ाव होता है। कहानी में कोई प्रसंग नहीं होता परंतु उपन्यास में अनेकों प्रसंग होते हैं।
  • कहानी में किसी वस्तु का वर्णन या आख्यान की प्रधानता नहीं होती जबकि एक उपन्यास वस्तु का संपूर्ण वर्णन किया जाता है।
  • एक कहानी बेहद कम समय में पूर्ण हो जाती है क्योंकि वह छोटी होती है परंतु उपन्यास को पूर्ण करने में बहुत समय लगता है।