उत्तराखंड की प्रमुख ताल एवं झीलें : उत्तराखंड राज्य में ठण्डे एवं गर्म पानी की कई ताल, कुण्ड एवं झीलें पायी जाती हैं। उत्तराखंड में हिमानी झीलें पायी जाती हैं। भारत में विवर्तनिक झीलें (कश्मीर की वुलर झील), ज्वालामुखी झीलें (महाराष्ट्र की लोनार झील), अनूप झीलें (उड़ीसा की चिल्का झील, आंध्र प्रदेश की कोलेरु), वायुजनित झीलें (राजस्थान की सांभर झील व डीडवाना पंचभद्रा झील), हिमानी झीलें (उत्तराखंड की झीलें) प्रकार की झीलें पाई जाती हैं।
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कुमाऊं क्षेत्र की प्रमुख झील एवं ताल
झील / ताल | स्थान |
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नैनीताल या नैनी झील | नैनीताल |
भीमताल झील | भीमताल, नैनीताल |
नौकुचियाताल | नैनीताल |
सातताल, खुरपाताल, सूखाताल, मलवाताल | नैनीताल |
गिरिताल | काशीपुर, उधमसिंह नगर |
द्रोणताल | काशीपुर, उधमसिंह नगर |
श्यामताल | चंपावत |
झिलमिलताल | चंपावत |
तडागताल | अल्मोड़ा |
सुकुण्डाताल | बागेश्वर |
भीमताल
- लम्बाई – 1675 मी.
- चौड़ाई – 470 मी.
- गहराई – 26 मी.
यह कुमाऊं क्षेत्र की सबसे बड़ी झील है, इसका आकार त्रिभुजाकार है, इसका रंग गहरा नीला है, इस झील के बीच में एक टापू है, जिस पर मछलीघर भी है। इस झील से सिंचाई हेतु छोटी-छोटी नहरें निकाली गई है। यह त्रिभुजाकार के आकार की है, यह कुमाऊं क्षेत्र की सबसे बड़ी ताल है।
नौकुचियाताल
- लम्बाई – 950 मी.
- चौड़ाई – 680 मी.
- गहराई – 40 मी.
कुमाऊं क्षेत्र की सबसे गहरी ताल है, यह झील पक्षियों के निवास के लिए उत्तम है। 9 कोनों वाली यह ताल कुमाऊ की सबसे गहरी ताल है।
नैनीताल
- लम्बाई – 1430 मी.
- चौड़ाई – 465 मी.
- गहराई – 16 – 26 मी.
इस झील को स्कन्दपुराण में ‘त्रि-ऋषि सरोवर’ कहा गया है, इसकी ऊंचाई समुद्रतल से 1,937 मीटर है, झील के चारों ओर ऊँचे-ऊँचे सात पहाड़ है, जिस में सबसे ऊंचा चाइना पीक या नैना पीक है। इसके उत्तरी भाग को मल्लीताल तथा दक्षिणी भाग को तल्लीताल कहा जाता है, नैनीताल की खोज 1841 में सी. पी. बैरन ने की थी। इसे त्रि ऋषि सरोवर भी कहते हैं। झीलों की अधिकता के कारण नैनीताल को झीलों की नगरी या सरोवर नगरी भी कहते हैं।
सातताल
- लम्बाई – 3000 मी.
- चौड़ाई – 200 मी.
- गहराई – 19 मी.
यह कुमाऊं क्षेत्र की सबसे सुंदर झील है, यहां पर पहले 7 झीलें थी, वर्तमान में कई सुख गई है, इन में नल दमयंती ताल, गरुड या पन्ना ताल, पूर्ण ताल, लक्ष्मण ताल व राम-सीता ताल प्रमुख है।
खुर्पाताल
- लम्बाई – 1633 मी.
- चौड़ाई – 5 किमी.
यह ताल नैनीताल व कालाढूंगी मार्ग पर स्थित है, तीनों ओर से पहाड़ियों से घिरा है, इसकी समुद्रतल से ऊंचाई लगभग 1635 मीटर है, इसका रंग गहरा हरा है। इसका आकार जानवर के खुर के समान है। इसीलिए इसको खुर्पाताल कहा जाता है।
द्रोण सागर
उधम सिंह नगर के काशीपुर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस ताल के पास द्रोण गुरु ने अपने शिष्यों को धनुर्विद्या की शिक्षा दी थी।
गिरि ताल
उधम सिंह नगर के काशीपुर में यह ताल है, यहां चामुंडा, संतोषीमाता, नागनाथ व मनसा देवी के मंदिर हैं।
झिलमिल ताल
यह चंपावत के टनकपुर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, इस ताल की परिधि लगभग 2 किलोमीटर है, जिसका आकार गोलाकार तथा जल का रंग नीला है।
श्याम ताल
चंपावत जिले में स्थित इस ताल की परिधि 2 किलोमीटर है, इस का रंग गहरा श्याम रंग है। इसके किनारे पर स्वामी विवेकानंद आश्रम स्थित है, यहां का झूला मेला प्रसिद्ध है।
तड़ाग ताल
अल्मोड़ा जनपद के चौखुटिया से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यह ताल 1 किलोमीटर लंबा व आधा किलो मीटर चौड़ा है, इस ताल के निचले भाग से पानी की निकासी हेतु पांच सुरंगे बनाई गई हैं, जिनमें से तीन सुरंगे बंद है।
गढ़वाल क्षेत्र की प्रमुख झीलें एवं ताल
झीलें | स्थान |
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सहस्त्रताल | थाती, टिहरी गढ़वाल |
यमताल | सहस्त्र ताल के समीप |
महासर ताल | सहस्त्र ताल के समीप |
बासुकी ताल | टिहरी गढ़वाल |
मंसूरताल | टिहरी, खतलिंग हिमनद के पास |
अप्सरा ताल | टिहरी बूढ़ेकेदार के पास |
भिलंगना ताल | टिहरी गढ़वाल |
दुग्ध ताल | पौढी गढ़वाल |
तारा कुंड | दूधातोली |
रूपकुंड | चमोली |
हेमकुंड ‘लोकपाल’ | चमोली |
संतोपंथ ताल | चमोली |
विरही ताल | चमोली |
बेनीताल | चमोली |
विष्णु ताल | चमोली |
सुखताल | चमोली |
गोहना ताल | गोपेश्वर |
नचिकेता ताल | उत्तरकाशी |
डोडीताल | उत्तरकाशी |
फाचकंडी बयां | उत्तरकाशी (उबलता जल) |
दिव्य सरोवर | हरिद्वार |
गढ़वाल क्षेत्र की सर्वाधिक झीलें चमोली जिले में पाई जाती हैं।
सहस्त्र ताल
टिहरी गढ़वाल के घुत्तु में लगभग 1530 मीटर की ऊंचाई पर सहस्त्र ताल कई तालों का समूह है। यह गढ़वाल क्षेत्र की सबसे बड़ी और गहरी ताल है। गढ़वाल क्षेत्र की सबसे बड़ी और गहरी झील है।
यम ताल
यम ताल टिहरी के सहस्त्र ताल के समीप है, जो हमेशा बर्फ से ढका रहता है।
महासरताल
सहस्त्र ताल की कुछ दूरी पर बालगंगा घाटी में स्थित झील, जो दो कटोरीनुमा तालों से निर्मित है । यह दोनों ताल को, भाई-बहनों के ताल के नाम से भी जाना जाता है, इस झील के चारों तरफ घने वृक्ष और बुग्याल “घास के मैदान” स्थित हैं।
बासुकीताल
बासुकीताल टिहरी गढ़वाल के उत्तर पूर्व केदारनाथ के पश्चिम में स्थित लाल पानी वाला यह अनूठा ताल है, यह 4150 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, यह ताल नीले रंग के कमल के लिए प्रसिद्ध है।
मंसूर ताल
टिहरी गढ़वाल की सीमा के पास खतलिंग ग्लेशियर के ठीक सामने स्थित है, यही से दूधगंगा नदी का उद्गम स्थल है। यह 16,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, इसकी परिधि 3 किलोमीटर है।
रूपकुंड
चमोली जिले के धराली विकासखंड के बेदनी बुग्याल में स्थित है, यहां से त्रिशूली और नंदाघुघटी की पहाड़ियां दिखती है, इस कुंड के आस पास बहुत सारे नर कंकाल मिले हैं।
हेमकुंड
चमोली में स्थित इस झील के किनारे सिक्खों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह ने तपस्या की थी, यह सरोवर अलकनंदा की सहायक नदी लक्ष्मण गंगा का उद्गम स्थल है, यह झील सात पर्वतों से घिरी हुई है।
शरवदी ताल ‘गांधी सरोवर’
रुद्रप्रयाग में केदारनाथ मंदिर से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, 1948 में महात्मा गांधी जी की अस्थियां यहीं प्रवाहित की गई थी, इसलिए इसे गांधी सरोवर भी कहते हैं ।
नचिकेता ताल
नचिकेता ताल उत्तरकाशी जिले से 32 किलोमीटर दूर घने जंगल में स्थित है।
फाचकंडी या बयांताल
फाचकंडी या बयांताल उत्तरकाशी जिले में स्थित है, इस झील का जल उबलता रहता है।
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