मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल ( Major tourist places of Madhya Pradesh in hindi )

मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल  

मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल ( Major tourist places of Madhya Pradesh in hindi ) : मध्य प्रदेश को समृद्ध ऐतिहासिक विरासत के रूप में जाना जाता है जहां देश की परंपरा एवं सभ्यता की शुरुआत कई रूपों में हुई है। मध्य प्रदेश में विभिन्न प्रकार के पर्यटन स्थल मौजूद हैं जिसके कारण देश-विदेश के लोग इस प्रदेश में भ्रमण करने आते हैं। मध्य प्रदेश भारत के मध्य में स्थित है जिसके कारण इसे भारत का दिल भी कहा जाता है। यहां कई ऐतिहासिक स्मारक, प्राचीन मंदिर, किले, मस्जिद, महल, पुरातात्विक स्थल, ऐतिहासिक गुफा आदि मौजूद हैं। मध्य प्रदेश में मौजूद सभी प्राकृतिक स्थानों के कारण यह राज्य पर्यटकों का प्रमुख केंद्र भी माना जाता है।

मध्यप्रदेश में कई पर्यटन स्थल मौजूद हैं जैसे:-

  • पचमढ़ी
  • खजुराहो स्मारक समूह
  • उदयगिरि गुफाएं
  • ओरछा किला
  • सांची का स्तूप
  • बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान
  • भीमबेटका शैलाश्रय
  • ग्वालियर
  • इंदौर
  • अमरकंटक
  • मांडू
  • जबलपुर
  • पेंच राष्ट्रीय उद्यान
  • कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
  • ओंकारेश्वर मंदिर
  • रानी लक्ष्मीबाई स्मारक
  • तानसेन स्मारक
  • जय विलास महल एवं संग्रहालय
  • मान मंदिर महल
  • चतुर्भुज मंदिर
  • पन्ना नेशनल पार्क
  • पार्श्वनाथ मन्दिर

मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल (Major tourist places of Madhya Pradesh)

पचमढ़ी

पचमढ़ी भारत के मध्य प्रदेश राज्य में नर्मदापुरम नामक जिले में स्थित है। यह एक पर्वतीय पर्यटक स्थल है जो लगभग 1067 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पचमढ़ी एक अद्भुत एवं असाधारण प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है जिसका भारतीय इतिहास में एक बड़ा योगदान रहा है। कहा जाता है कि पचमढ़ी ब्रिटिश सरकार के जमाने से ही छावनी रही है। यह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 190 किलोमीटर की दूरी पर वह स्थल है जहां ऐतिहासिक पांडव गुफाएं, झरने, प्राकृतिक सौंदर्य आदि का नजारा देखने को मिलता है। पचमढ़ी में सतपुरा बायोस्फीयर रिजर्व भी मौजूद है जहां विभिन्न प्रकार के जंगली जानवर जैसे हाथी, बाघ, हिरण आदि रहते हैं।

खजुराहो स्मारक समूह

खजुराहो स्मारक समूह को हिंदू एवं जैन धर्म के प्रमुख स्मारकों के समूह का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर नामक जिले में स्थित है। खजुराहो नामक स्थान को प्राचीन काल में ‘खजूर वाहिका’ एवं ‘खजूरपुरा’ के नाम से भी जाना जाता था। खजुराहो स्मारक समूह के अधिकांश स्मारक मध्य प्रदेश के छतरपुर क्षेत्र में भी देखने को मिलते हैं। इसे भारत के प्रमुख धरोहरों में से एक माना जाता है।

उदयगिरि गुफाएं

उदयगिरि गुफाएं मध्य प्रदेश के विदिशा नामक स्थान के पास स्थित हैं। कहा जाता है कि इन गुफाओं का निर्माण पांचवी शताब्दी के आरंभिक काल में किया गया था। इन गुफाओं को प्राचीन हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों का एक संग्रह माना जाता है जिसमें कई प्रकार की प्राचीनतम हिंदू प्रतिमाएं मौजूद हैं। उदयगिरि गुफाओं में मुख्य रूप से भगवान शिव, नारायण, भगवान श्री गणेश आदि की मूर्तियां पायी जाती हैं। माना जाता है कि इन गुफाओं का निर्माण गुप्त नरेशों के द्वारा कराया गया था। यह भारत की महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों में से एक मानी जाती हैं जिन्हें भारत सरकार द्वारा संरक्षित किया जाता है।

ओरछा किला

ओरछा किला मध्य प्रदेश के ओरछा नामक क्षेत्र में स्थित है। कहा जाता है कि इस किले का निर्माण लगभग 16 वीं सदी में महाराजा रूद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में कराया गया था। यह स्थान मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थलों में बेहद प्रसिद्ध माना जाता है। ओरछा किले को देखने के लिए प्रतिवर्ष देश-विदेश से भारी संख्या में पर्यटक आते हैं। इस स्थान में मौजूद स्मारकों में मुगल एवं राजपूत वस्तुकला का मिश्रण देखने को मिलता है। इसके अलावा ओरछा किले के समीपवर्ती क्षेत्रों में जहांगीर महल, चतुर्भुज मंदिर, रामराजा मंदिर, महालक्ष्मी देवी मंदिर, फूल बाग, शीश महल आदि स्थान भी मौजूद है। माना जाता है कि यह एकमात्र ऐसा स्थान है जहां भगवान श्रीराम को राजा राम के रूप में पूजा जाता है।

सांची का स्तूप

सांची का स्तूप मध्य प्रदेश के रायसेन नामक जिले में स्थित है। यह भारत की पुरातात्विक संरचनाओं में से एक है जिसका निर्माण तीसरी शताब्दी में मौर्य सम्राट अशोक ने करवाया था। सांची के स्तूप को प्रमुख बौद्ध स्मारकों में से एक माना जाता है। यह बौद्ध अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। इस स्तूप के नाभिक अर्धगोल ईंट संरचना में बौद्ध के अवशेष देखने को मिलते हैं। इसके अलावा सांची के स्तूप स्तंभ पर सम्राट अशोक का शिलालेख भी मौजूद है। सांची में इस स्मारक को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत की विशाल विरासत का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्तूप का निर्माण भगवान बुद्ध एवं कई अन्य महत्वपूर्ण बौद्ध अवशेषों के घरों के रूप में किया गया है। इस स्थान के समीपवर्ती क्षेत्रों में हरे-भरे बाग बगीचे मौजूद हैं जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र माने जाते हैं।

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्य प्रदेश राज्य में उमरिया नामक जिले में मौजूद है। यह एक वन्य अभ्यारण्य है जिसका निर्माण वर्ष 1968 में किया गया था। यह स्थान रॉयल बंगाल टाइगर की सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में विश्व के सर्वाधिक बाघ मौजूद हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में चीता एवं विभिन्न प्रजाति के हिरण भी देखे जा सकते हैं। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 105 वर्ग किलोमीटर है जिसमें कई अन्य जानवरों की प्रजातियों को भी संरक्षित किया गया है। यह स्थान पर्यटकों के लिए एक बेहतर विकल्प माना जाता है।

भीमबेटका शैलाश्रय

भीमबेटका शैलाश्रय मध्य प्रदेश के रायसेन नामक जिले में स्थित है जो भारत की पौराणिक संस्कृति एवं सभ्यता का विशेष रूप से चित्रण करता है। यह भारत के महत्वपूर्ण धरोहर स्थलों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि भीमबेटका शैलाश्रय का निर्माण आदिकाल में किया गया था जो मुख्य रूप से शैलचित्रों एवं शैलाश्रयों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। माना जाता है कि इन चित्रों का संबंध पुरापाषाण काल एवं मध्य पाषाण काल से है। भीमबेटका शैलाश्रय की खोज वर्ष 1957 में डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर के द्वारा की गई थी। इस स्थान में मुख्य रूप से पाषाण काल में निर्मित भवन, प्राचीन किले की दीवारें, लघु स्तूप, शंख अभिलेख आदि के अवशेष देखने को मिलते हैं। यह मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है जहां प्रतिवर्ष देश विदेश से भारी मात्रा में पर्यटक आते हैं।

ग्वालियर

ग्वालियर मध्य प्रदेश का एक ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण नगर है जिसका निर्माण प्राचीन काल में राजा सूरजसेन ने किया था। यह एक ऐतिहासिक नगर माना जाता है जिसमें विभिन्न आकर्षक स्मारक, महल, मंदिर, ग्वालियर का किला, तेली का मंदिर, तानसेन का मकबरा, जय विलास पैलेस आदि मौजूद हैं। इसके अलावा ग्वालियर में सुंदर मूर्ति कला संरचनाओं की भी स्थापना की गई है जो सैलानियों को आकर्षित करती हैं। मध्य प्रदेश में मौजूद इस स्थान में प्रतिवर्ष भारी संख्या में पर्यटक आते हैं।

इंदौर

इंदौर मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों में से एक हैं जो पर्यटन स्थलों एवं वाणिज्यिक केंद्रों के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। इंदौर को भारत में स्वच्छता के दृष्टिकोण से सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस स्थान में गोपाल मंदिर, लाल बाग पैलेस, रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा निर्मित खजराना गणेश मंदिर, गंगा महादेव मंदिर, राजबाड़ा, पितृ पर्वत, बिजासन माता का मंदिर आदि जैसे कई महत्वपूर्ण स्थल मौजूद है जो देश विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र माने जाते हैं। इंदौर में मौजूद लाल बाग पैलेस का निर्माण होलकर वंश ने करवाया था।

अमरकंटक

अमरकंटक मध्य प्रदेश के अनूपपुर नामक जिले में स्थित एक सुंदर नगर है जहां से सोन नदी, नर्मदा नदी एवं जोहिला नदी का उद्गम होता है। यह प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक है जिसके कारण यहां प्रतिवर्ष भारी संख्या में हिंदू धर्म से संबंधित लोगों का आना जाना लगा रहता है। अमरकंटक भारत के प्रसिद्ध कवि संत कबीर के ध्यान स्थल के रूप में भी जाना जाता है। इसके अलावा अमरकंटक में कलचुरी काल के प्राचीन मंदिर भी मौजूद हैं जो इसे पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाते हैं।

मांडू

मांडू पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा नामक क्षेत्र में स्थित है जो अपने प्राचीन एवं अद्भुत किले के लिए देश विदेश में प्रसिद्ध है। मांडू में प्राचीन काल के महल, स्नान मंडप, सजावटी नहर आदि मौजूद हैं। यह क्षेत्र विंध्य की पहाड़ियों से लगभग 2000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। कहा जाता है कि मांडू मालवा के परमार राजाओं की राजधानी थी। मध्य प्रदेश में मौजूद इस क्षेत्र में विभिन्न दर्शनीय स्थलों के साथ-साथ प्राचीन काल के महल भी मौजूद हैं जैसे- हिंडोला महल, अशर्फी महल, जहाज महल, रूपमती महल, बाज बहादुर महल, रीवा कुंड, दारा खान का मकबरा आदि। इसके अलावा मांडू में नीलकंठ नामक प्राचीन मंदिर भी मौजूद है जिसे ‘नीलकंठेश्वर मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण अकबर के द्वारा किया गया था। मध्य प्रदेश में स्थित इस क्षेत्र में प्रति वर्ष भारी संख्या में पर्यटक आते हैं।

जबलपुर

जबलपुर मध्य प्रदेश के चट्टानी पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जहां विभिन्न प्रकार के दर्शनीय स्थल मौजूद हैं। जबलपुर में हनुमंतल बड़ा जैन मंदिर, रानी दुर्गावती संग्रहालय, चौसठ योगिनी मंदिर आदि मौजूद हैं। कहा जाता है कि जबलपुर शहर का निर्माण 12 वीं शताब्दी में किया गया था। जबलपुर में प्राकृतिक संगमरमर की चट्टानें पायी जाती हैं जो इसे बेहद खास बनाती हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से जबलपुर नगर लगभग 367 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है एवं इसकी ऊंचाई लगभग 412 मीटर है। जबलपुर में विभिन्न प्रकार के पर्यटन स्थल मौजूद हैं जिसके कारण यहां प्रतिवर्ष भारी संख्या में देश विदेश से पर्यटक आते हैं।

पेंच राष्ट्रीय उद्यान

पेंच राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के सिवनी एवं छिंदवाड़ा नामक जिले की सीमाओं में स्थित है। यह भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों में से एक माना जाता है। क्षेत्रफल की दृष्टि से पेंच राष्ट्रीय उद्यान लगभग 293 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। पेंच राष्ट्रीय उद्यान को ‘मोगली लैंड’ के नाम से भी जाना जाता है। इस उद्यान की स्थापना वर्ष 1975 में की गई थी। यहां विभिन्न प्रजाति के बाघ, हिरण, हाथी एवं पक्षी मौजूद हैं। इसके अलावा पेंच राष्ट्रीय उद्यान अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी जाना जाता है जिसके कारण यहां प्रतिवर्ष भारी संख्या में पर्यटक आते हैं।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है जो मध्य प्रदेश के बालाघाट नामक जिले में स्थित है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को ‘कान्हा टाइगर रिजर्व’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां सर्वाधिक मात्रा में बाघ मौजूद हैं। कहा जाता है कि यह उद्यान भारत के सबसे बड़े उद्यानों में से एक है जिसमें बाघ के साथ-साथ कई प्रजाति के जानवर भी पाए जाते हैं। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1955 में हुई थी जिसमें जानवरों की विभिन्न प्रजाति को संरक्षित करने का कार्य किया गया है। यह स्थान अपने प्राकृतिक सुंदरता एवं वास्तुकला के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है।

ओंकारेश्वर मंदिर

ओंकारेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा नामक जिले में स्थित है जो हिंदुओं का प्रमुख मंदिर माना जाता है। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण नर्मदा नदी से स्वतः ही हुआ था। यह मंदिर नर्मदा एवं कावेरी नदी के संगम पर स्थित है जिसके कारण इसे ‘ॐ’ का रूप दिया गया है। ओंकारेश्वर मंदिर में प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में भक्त आते हैं इसके अलावा यह मध्य प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से भी एक माना जाता है। इसके साथ ही इस मंदिर में वास्तुकला एवं प्राकृतिक सौंदर्य का भी अनुभव किया जा सकता है।

रानी लक्ष्मीबाई स्मारक

रानी लक्ष्मीबाई स्मारक मध्य प्रदेश के ग्वालियर नामक शहर में स्थित है। रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित झांसी की रानी थी जिन्होंने केवल 29 वर्ष की आयु में ब्रिटिश साम्राज्य की सेना से युद्ध किया था। कहा जाता है कि रानी लक्ष्मीबाई के सिर पर तलवार की वार लगने से वह शहीद हुई थी। उन्होंने अंग्रेजों से लड़ते हुए ग्वालियर के तत्कालीन शासक से सहायता मांगी थी परंतु वह उनकी मदद ना कर सके जिसके कारण वह वीरगति को प्राप्त हुईं। इसके बाद इसी स्थान पर रानी लक्ष्मीबाई के स्मारक की स्थापना की गई थी। रानी लक्ष्मीबाई स्मारक को देखने के लिए प्रति देश-विदेश से वर्ष कई पर्यटक आते हैं।

तानसेन स्मारक

तानसेन स्मारक मध्य प्रदेश के ग्वालियर नामक क्षेत्र में स्थित है। तानसेन अकबर के नवरत्नों में से एक थे जिन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान संगीतकार के रूप में जाना जाता था। यह स्मारक उनकी स्मृति में मुगल स्थापत्य के आधार पर बनाया गया है। इस क्षेत्र में प्रति वर्ष नवंबर के माह में अखिल भारतीय संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है जिसमें देश विदेश के कई बड़े संगीतकार भाग लेते हैं। इसके अलावा यह मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से भी एक माना जाता है जहां प्रतिवर्ष भारी संख्या में सैलानी आते हैं।

जय विलास महल एवं संग्रहालय

जय विलास महल मध्य प्रदेश के ग्वालियर नामक क्षेत्र में स्थित है जिसके लगभग 35 कमरों को संग्रहालय बनाया गया है। कहा जाता है कि जय विलास महल सिंधिया राजपरिवार का वर्तमान निवास स्थल है जिसे भारत सरकार ने भव्य संग्रहालय के रूप में परिवर्तित किया है। इस महल की विशेषता यह है कि इसके अधिकतर भाग इटालियन स्थापत्य पर आधारित हैं। जय विलास महल को देखने के लिए प्रति वर्ष देश विदेश से भारी संख्या में पर्यटक आते हैं।

मान मंदिर महल

मान मंदिर महल मध्य प्रदेश के ग्वालियर नामक क्षेत्र में स्थित है जिसका निर्माण वर्ष 1486 में राजा मानसिंह तोमर के द्वारा किया गया था। इस भवन में सुंदर रंगीन टाइलें जड़ी हुई हैं जो इसे बेहद सुंदर बनाती हैं। इसके अलावा मान मंदिर महल के बाहरी हिस्सों में विभिन्न रंगों की टाइल्स के माध्यम से बेहतर कला का प्रदर्शन किया गया है। इसकी अधिकांश दीवारें जालीनुमा हैं। कहा जाता है कि इन दीवारों के सहारे राज परिवार की स्त्रियां सभा में आयोजित होने वाले संगीत एवं नृत्य सभाओं का आनंद लेती थी। इसके अलावा मान मंदिर महल में जौहर कुंड भी मौजूद है जिसमें राजघराने की स्त्रियां जौहर करती थी। मध्य प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की तरह ही मान मंदिर महल को भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र माना जाता है।

चतुर्भुज मंदिर

चतुर्भुज मंदिर हिंदुओं के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है जो मध्य प्रदेश के ग्वालियर के ओरछा नामक शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु का मंदिर है जिसकी नींव 16 वीं शताब्दी में बुंदेल राजपूत राजा रूद्र प्रताप द्वारा रखी गई थी। इस मंदिर की संरचना में पत्थरों की सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है। प्राचीन काल में यह मंदिर शिलालेख के लिए प्रसिद्ध था। चतुर्भुज मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए पूरे विश्व भर में जाना जाता है। यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है। चतुर्भुज मंदिर को ‘जातरिका मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पूर्ण रूप से भगवान विष्णु के अवतार श्री राम को समर्पित है। माना जाता है कि इस मंदिर को राजा मधुकर शाह ने वर्ष 1558 से 1573 के मध्य बनवाया था। इस मंदिर का दर्शन करने प्रतिवर्ष देश विदेश से कई पर्यटक आते हैं।

पन्ना नेशनल पार्क

पन्ना नेशनल पार्क मध्य प्रदेश के पन्ना एवं छतरपुर नामक जिले की सीमाओं में स्थित है। यह एक राष्ट्रीय उद्यान है जिसकी स्थापना वर्ष 1981 में की गई थी। पन्ना नेशनल पार्क का क्षेत्रफल लगभग 540 वर्ग किलोमीटर है। यह भारत के सबसे बड़े उद्यानों में से एक माना जाता है। पन्ना नेशनल पार्क को वर्ष 2007 में भारत के पर्यटन मंत्रालय द्वारा उत्कृष्टता का पुरस्कार भी दिया गया था। पन्ना नेशनल पार्क को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया गया है ताडोबा उत्तरी क्षेत्र, कोलसा दक्षिण क्षेत्र एवं मोरहुली क्षेत्र। इस पार्क में जानवरों की विभिन्न प्रकार की प्रजातियों के साथ-साथ वनस्पति के भी कई प्रकार देखे जा सकते हैं। इस उद्यान में कई दुर्लभ प्रजातियां एवं लुप्तप्राय प्रजातियां भी मौजूद हैं जो इसे विशेष बनाती हैं। पन्ना नेशनल पार्क में प्रति वर्ष देश विदेश से भारी संख्या में पर्यटक आते हैं।

पार्श्वनाथ मन्दिर

पार्श्वनाथ मंदिर मध्य प्रदेश के छतरपुर नामक क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर प्रमुख जैन धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। यह भारत के सर्वश्रेष्ठ मंदिरों में से एक है जो विश्व भर में अपनी उत्कृष्ट कला के लिए भी जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 950-970 के मध्य किया गया था। कहा जाता है कि यह मंदिर यशोवर्मन के पुत्र राजा धंग ने अपने शासनकाल के दौरान बनवाया था। पार्श्वनाथ मंदिर की मूर्तियों में नारी के सौंदर्य को केंद्र बनाया गया है। यह मंदिर चंदेल शासकों की शैली का माना जाता है जिसमें अलंकरण सौंदर्य एवं प्रतिमाओं की सौम्यता देखी जा सकती है। पार्श्वनाथ मंदिर प्राचीन काल के राजाओं की धार्मिक प्रवृत्ति एवं उनके समर्पण भाव का प्रतिनिधित्व करता है। यह मंदिर पूर्ण रूप से जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर को समर्पित है। पार्श्वनाथ मंदिर की सुंदरता को देखने के लिए प्रति वर्ष भारी संख्या में पर्यटक आते हैं।

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