मध्य प्रदेश के प्रमुख उद्योग

मध्य प्रदेश के प्रमुख उद्योग

मध्य प्रदेश के प्रमुख उद्योग : मध्य प्रदेश भारत का वह राज्य है जहां विभिन्न प्रकार के उद्योगों की नींव रखी गई है। माना जाता है कि यह प्रदेश प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है जिसके कारण भारत के अन्य राज्यों की तुलना में यह प्रदेश अत्यधिक विकसित है। मध्य प्रदेश में औद्योगिक विकास की प्रक्रिया वर्ष 1961 में प्रारंभ हुई थी। परंतु राज्य में प्रथम औद्योगिक नीति वर्ष 1972 के बाद प्राकृतिक संसाधनों का व्यापक रूप से उपयोग शुरू हुआ था। औद्योगिक विकास के दृष्टिकोण से मध्य प्रदेश भारत में सातवें स्थान पर मौजूद है। इसके अलावा मध्य प्रदेश राजस्व उत्पादन में लगभग 14 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है।

मध्य प्रदेश के प्रमुख उद्योग (Major Industries of Madhya Pradesh)

मध्य प्रदेश के प्रमुख उद्योग कुछ इस प्रकार हैं:-

  • सूती वस्त्र उद्योग
  • चीनी उद्योग
  • वनस्पति तेल उद्योग
  • रेशम उद्योग
  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
  • कृत्रिम रेशम उद्योग
  • कागज उद्योग
  • बीड़ी उद्योग
  • सोयाबीन उद्योग
  • रासायनिक उद्योग
  • सीमेंट उद्योग
  • रेल उपकरण उद्योग
  • ऑटोमोबाइल उद्योग
  • हेवी इलेक्ट्रिक उद्योग
  • पेट्रो रसायन उद्योग

सूती वस्त्र उद्योग (Cotton Textile Industry)

मध्य प्रदेश के इंदौर में भारत का तीसरा सबसे बड़ा सूती वस्त्र उद्योग मौजूद है। माना जाता है कि इस प्रदेश में कपास का उत्पादन भारी मात्रा में किया जाता है जिसके कारण इसे कपास उत्पादन केंद्र के रूप में भी जाना जाता है। मध्य प्रदेश में पहला सूती वस्त्र उद्योग वर्ष 1906 में बुरहानपुर नगर क्षेत्र में स्थापित किया गया था जिसके बाद वर्ष 1907-08 में इस प्रदेश के इंदौर एवं मालवा क्षेत्र में यूनाइटेड मिल्स लिमिटेड की स्थापना हुई थी। महाराष्ट्र एवं गुजरात के बाद मध्य प्रदेश में तीसरा सबसे बड़ा सूती वस्त्र उद्योग मौजूद है। सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख कारखाने इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, बुरहानपुर, मंदसौर, एवं भोपाल में स्थित हैं।

चीनी उद्योग (Sugar Industry)

मध्य प्रदेश को पूरे भारत में सबसे अधिक चीनी उत्पादन के लिए जाना जाता है। मध्य प्रदेश में चीनी उद्योग का कार्य विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। वर्तमान समय में मध्य प्रदेश में लगभग 26 चीनी मीलें मौजूद हैं जिसमें भोपाल शुगर मील, डाबरा शुगर मील, बरलाई शुगर मील, कैलारस शुगर मील, गोविंद दास शुगर मील, जीवाजी शुगर मील आदि प्रमुख हैं। माना जाता है कि चीनी उद्योग भारत में कृषि आधारित दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है। मध्य प्रदेश में सर्वप्रथम वर्ष 1934 में रतलाम नामक क्षेत्र में चीनी मील की स्थापना की गई थी। वर्ष 2002-03 में मध्य प्रदेश में गन्ने का उत्पादन लगभग 0.85 लाख टन था जिसके द्वारा चीनी का उत्पादन 0.94 लाख टन हुआ था। इसके बाद वर्ष 2004-05 में यह आंकड़ा 0.85 लाख टन तक पहुंच गया था। मध्य प्रदेश के इंदौर क्षेत्र में तीन बड़ी चीनी मीलें मौजूद है जो कुछ इस प्रकार हैं:-

  • शिव खांड़सारी शुगर मील
  • न्योरी खांडसारी शुगर मील
  • गिरधारीलाल शुगर एंड एलाइड इंडस्ट्रीज

वनस्पति तेल उद्योग (Vegetable Oil Industry)

मध्य प्रदेश का वनस्पति तेल उद्योग काफी हद तक प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है। वर्तमान समय में मध्य प्रदेश में लगभग 10 वनस्पति तेल उद्योग संचालित किए जाते हैं जहां से पूरे भारत में उत्पाद को आयात एवं निर्यात किया जाता है। मध्य प्रदेश के विदिशा नामक जिले में राज्य का सबसे बड़ा वनस्पति तेल उद्योग मौजूद है। इसके अलावा मालवा पठार, चंबल घाटी, छिंदवाड़ा पठार एवं मध्य नर्मदा घाटी में भी कई तेल उद्योग मौजूद है।

रेशम उद्योग (Silk Industry)

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि मध्य प्रदेश एक कृषि आधारित प्रदेश है जहां भारी मात्रा में रेशम प्राप्त करने हेतु रेशम कीटों का पालन-पोषण किया जाता है। मध्य प्रदेश में पूर्णा नदी एवं वर्धा की घाटियां रेशम उत्पादन के लिए प्रमुख मानी जाती है। इसके अलावा प्रदेश के मंडला नामक क्षेत्र में भी रेशम का उत्पादन भारी मात्रा में किया जाता है। मध्य प्रदेश में रेशम के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1984 में रेशम निदेशालय की स्थापना की गई थी। रेशम उद्योग पूर्ण रूप से कृषि वानिकी पर आधारित है जिसके कारण यह उद्योग बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्तमान समय में मध्य प्रदेश के लगभग 20 से अधिक जिलों में रेशम उद्योग संचालित किए जाते हैं।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (Food Processing Industry)

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग उन गतिविधियों को संदर्भित करता है जिसके अंतर्गत प्राथमिक कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण कर उनका मूल्यवर्धन किया जाता है जैसे दूध, फल, सब्जियां, पेय पदार्थ, डेयरी उत्पाद आदि। मध्य प्रदेश में सर्वप्रथम मेगा फूड पार्क खरगोन नामक क्षेत्र में स्थापित किया गया था जिसके बाद मंदसौर एवं देवास में भी इस कार्य को आगे बढ़ाया गया। इसके अलावा मध्य प्रदेश शासन के द्वारा उद्यानिकी के क्षेत्र में कृषि विभाग से पृथक होकर उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग का गठन किया गया था जिसके कारण मध्य प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा मिला था।

कृत्रिम रेशम उद्योग (Artificial Silk Industry)

मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर कृत्रिम रेशम उद्योग के कार्यों को संचालित किया जाता है। प्रदेश का सबसे बड़ा कृत्रिम रेशम उद्योग पश्चिमी मालवा के नागदा नामक जिले में मौजूद है। इसके अलावा इस प्रदेश में उज्जैन, ग्वालियर, देवास एवं इंदौर में भी कृत्रिम रेशम उद्योग स्थापित किए गए हैं। मध्य प्रदेश में रेशम उद्योग को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक ग्रामीणों को रोजगार के अवसर प्राप्त कराना था जिसके लिए वर्ष 1984 में रेशम संचालनालय की स्थापना भी की गई थी।

कागज उद्योग (Paper Industry)

मध्य प्रदेश में वर्ष 1956 में पहला कागज उद्योग राष्ट्रीय समाचार प्रिंट एवं पेपर मील की स्थापना की गई थी। उसके बाद मध्य प्रदेश के कई जिलों में कागज उद्योग को एक नई गति मिली थी। मध्य प्रदेश के खंडवा, शहडोल, भोपाल, ग्वालियर एवं रतलाम जैसे क्षेत्रों में व्यापक रूप से कागज उद्योग को संचालित किया जाता है। कागज उद्योग के लिए लकड़ी को कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है जिसके माध्यम से कागज, करेंसी, स्टैंप पेपर इत्यादि का निर्माण किया जाता है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के देवास नाम क्षेत्र में वर्ष 1974 में बैंक नोट प्रेस की भी स्थापना की गई थी।

बीड़ी उद्योग (be-de industry)

मध्य प्रदेश में बीड़ी उद्योग का कार्य वर्ष 1904 में प्रारंभ किया गया था। माना जाता है कि मध्य प्रदेश में तेंदू पत्ते की उपलब्धता प्रचुर मात्रा में है जिसके कारण इस उद्योग को आरंभ किया गया था। तेंदू पत्ते का उपयोग बीड़ी बनाने में किया जाता है। मध्य प्रदेश में देश के लगभग 60 प्रतिशत तेंदू पत्ते का उत्पादन किया जाता है। प्रदेश में प्रमुख बीड़ी उद्योग सागर, सतना, दमोह, कटनी एवं जबलपुर नामक क्षेत्र में स्थित है। यह मध्य प्रदेश के प्रमुख उद्योग कार्यों में से एक है।

सोयाबीन उद्योग (Soybean Industry)

सोयाबीन उद्योग मध्य प्रदेश के प्रमुख उद्योगों में से एक माना जाता है जिसके कारण इस प्रदेश को सोया प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है। मध्य प्रदेश में सोयाबीन से तेल प्राप्त करने हेतु सॉल्वेंट एक्सट्रैक्ट प्लांट को स्थापित किया गया है जिसके माध्यम से भारी मात्रा में सोयाबीन तेल को निकाला जाता है। माना जाता है कि यह मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक है। मध्य प्रदेश के सिवनी नामक जिले में भारत का सबसे बड़ा सहकारी सोयाबीन उद्योग स्थित है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के उज्जैन एवं बरवाह में सहकारिता के आधार पर कई कारखानों का निर्माण भी किया गया है।

रासायनिक उद्योग (Chemical Industry)

मध्य प्रदेश में रासायनिक उद्योग प्रमुख उद्योगों में से एक माना जाता है जिसकी स्थापना भोपाल, पीथमपुर, सीहोर, जबलपुर, मंडला, छिंदवाड़ा, झाबुआ, इंदौर आदि क्षेत्रों में की गई है। माना जाता है कि वर्ष 2015 में अमेरिका एवं इटली जैसे देशों के सहयोग से मध्य प्रदेश में नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड की स्थापना की गई थी जिसके माध्यम से प्रदेश में रासायनिक उद्योग के कार्यों को संचालित किया जाता है।

सीमेंट उद्योग (Cement Industry)

सीमेंट उद्योग मध्य प्रदेश के प्रमुख उद्योगों में से एक माना जाता है। इस राज्य का पहला सीमेंट उद्योग वर्ष 1922 में मुरैना नामक क्षेत्र में स्थापित किया गया था। माना जाता है कि मध्य प्रदेश में चूना पत्थर की उपलब्धता प्रचुर मात्रा में है जिसके कारण प्रदेश के विभिन्न स्थानों में सीमेंट उद्योग के कार्य को संचालित किया जाता है। सीमेंट उत्पादन के दृष्टिकोण से मध्य प्रदेश पूरे भारत में तीसरे स्थान पर मौजूद है। सीमेंट उद्योग मध्य प्रदेश के जबलपुर, दमोह, रीवा, सतना आदि क्षेत्रों में स्थित है जहां से प्रतिवर्ष भारी मात्रा में सीमेंट का निर्माण किया जाता है।

रेल उपकरण उद्योग (Rail Equipment Industry)

मध्य प्रदेश में रेल उपकरण उद्योग प्रमुख उद्योगों में से एक माना जाता है। माना जाता है कि सिथौली (ग्वालियर) नामक क्षेत्र में राज्य का एकमात्र रेल स्प्रिंग कारखाना स्थित है। इसके अलावा भोपाल में रेल कोच फैक्ट्री एवं इलेक्ट्रिक इंजन कारखाना भी मौजूद है जहां पुराने रेल के इंजनों की देखरेख एवं नए इंजन का निर्माण किया जाता है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश के इंदौर एवं विदिशा नामक क्षेत्र में डीजल इंजन कारखाना भी मौजूद है।

ऑटोमोबाइल उद्योग (Automobile Industry)

मध्य प्रदेश के इंदौर एवं पीथमपुर (धार) नामक क्षेत्र में मुख्य रूप से ऑटोमोबाइल औद्योगिक कार्यों को संचालित किया जाता है जहां ऑटो क्लस्टर मौजूद हैं। माना जाता है कि मध्य प्रदेश में ऑटो कंपोनेंट उद्योग की लागत लगभग 200 करोड़ रुपए है जहां से बड़े पैमाने पर इस कार्य को संचालित किया जाता है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के बैतूल एवं पीथमपुर नामक क्षेत्र में टायर एवं ट्यूब उद्योग भी मौजूद हैं।

हेवी इलेक्ट्रिक उद्योग (Heavy Electric Industry)

मध्य प्रदेश में ब्रिटेन की सहायता से वर्ष 1956 में भोपाल में हेवी इलेक्ट्रिक इंडिया लिमिटेड की स्थापना की गई थी जिसके बाद इसका नाम बदल कर इसे भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड कर दिया गया था। मध्य प्रदेश में बिजली की आपूर्ति करने हेतु जल, सोलर, थर्मल एवं विंड से लगभग 3900 मेगावाट की बिजली का उत्पादन किया जाता है एवं शेष बिजली सेंट्रल पावर के माध्यम से सप्लाई की जाती है। मध्य प्रदेश में इलेक्ट्रिक उद्योग के द्वारा राज्य के सभी शहरों में बिजली सप्लाई की जाती है।

पेट्रो रसायन उद्योग (Petrochemical Industry)

मध्य प्रदेश का पेट्रो रसायन उद्योग प्रमुख उद्योगों में से एक माना जाता है जिसकी 6 इकाइयां धार, सीहोर, मंडला, जबलपुर, भोपाल नामक क्षेत्र में स्थित है। माना जाता है कि इस प्रदेश में संगठित एवं असंगठित क्षेत्रों में लगभग 50 हजार से अधिक प्रसंस्करण इकाइयां मौजूद है जिसमें प्लास्टिक के अधिकांश उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला के उत्पादन हेतु डेढ़ लाख से अधिक प्लास्टिक प्रसंस्करण उपकरण मौजूद है। पेट्रो रसायन उद्योग कच्चे माल के रूप में कच्चे तेल का उपयोग करता है जिसके माध्यम से पैट्रोलियम, डीजल एवं अन्य उप उत्पादों का उत्पादन किया जाता है।

पढ़ें – मध्य प्रदेश में कृषि एवं कृषि आधारित उद्योग

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