मध्य प्रदेश के प्रमुख व्यक्तित्व ( madhya pradesh ke pramukh vyaktitva mppsc notes) : मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है जिसकी राजधानी भोपाल है। कुछ आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश की कुल आबादी लगभग 7 करोड़ से भी अधिक है। इसका इतिहास भारत के अन्य राज्यों से अधिक बड़ा है। इस प्रदेश में हिंदू, मुस्लिम, जैन, सिख, ईसाई आदि से संबंधित धर्मों का सुखद सम्मेलन देखने को मिलता है। मध्य प्रदेश के इतिहास में कई महापुरुषों का जन्म हुआ है जिन्होंने भारत देश में कई महत्वपूर्ण कार्यों को करके अपना नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज किया है।
Table of Contents
मध्य प्रदेश के प्रमुख व्यक्तित्व
मध्य प्रदेश के प्रमुख व्यक्तित्व कुछ इस प्रकार हैं:-
- चंद्रशेखर आजाद
- रानी लक्ष्मीबाई
- अहिल्याबाई होल्कर
- महान संगीतकार तानसेन
- रानी दुर्गावती
- छत्रसाल
- रविशंकर शुक्ल
- तात्या टोपे
- रानी अवंती बाई
- संध्या अग्रवाल
- अटल बिहारी वाजपेई
- डॉ शंकर दयाल शर्मा
- विजयाराजे सिंधिया
- माधवराव सिंधिया
- अर्जुन सिंह
- डॉ कैलाश नाथ काटजू
- प्रकाश चंद्र सेठी
- कैलाश चंद्र जोशी
- मोतीलाल वोरा
- उमा भारती
- पंडित माखनलाल चतुर्वेदी
- शरद जोशी
- राजेंद्र माथुर
- लता मंगेशकर
- किशोर कुमार
- मौलाना बरकतुल्ला
- बालकवि बैरागी
- टंट्या भील (टंट्या मामा)
- महर्षि महेश योगी
- उस्ताद अमीर खां
चंद्रशेखर आजाद
चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई वर्ष 1960 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी एवं माता का नाम जगदानी देवी था। इन्होंने अपना संपूर्ण जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया था। चंद्रशेखर आजाद बेहद कम उम्र में ही स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बन गए थे। इन्होंने अपने जीवन काल में कई स्वतंत्रता आंदोलनों का नेतृत्व किया था। इन्होंने केवल 14 वर्ष की आयु में ही ब्रिटिश सरकार के खिलाफ चल रहे कानून भंग आंदोलन में भाग लिया था। इसके अलावा वर्ष 1920 में उन्होंने महात्मा गांधी के द्वारा चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन में भी भाग लिया था। कहा जाता है कि चंद्रशेखर आजाद महात्मा गांधी की विचार धारा के विरुद्ध आंदोलन किया करते थे जिसके कारण उन्हें भारत के समस्त क्रांतिकारियों द्वारा खूब सराहना मिली थी। चंद्रशेखर आजाद के दल में भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु आदि जैसे महान क्रांतिकारी शामिल थे। वर्ष 1931 में इलाहाबाद में उन्होंने समाजवादी क्रांति का आह्वान पूरे देश में किया था। उन्होंने अंग्रेजों द्वारा कभी ना पकड़े जाने एवं कभी फांसी की सजा ना पाने का संकल्प लिया था। उन्होंने अपने इसी संकल्प को पूरा करने के लिए 27 फरवरी वर्ष 1931 में अंग्रेजों से लड़ते हुए स्वयं को गोली मारकर अपने प्राणों की आहुति दी थी।
रानी लक्ष्मीबाई
रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवंबर वर्ष 1828 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। रानी लक्ष्मीबाई को झांसी की रानी के नाम से भी जाना जाता है। इनके पिता का नाम मोरोपन्त तांबे एवं माता का नाम भागीरथी बाई था। रानी लक्ष्मीबाई को ‘मणिकर्णिका’, ‘मनु’ के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि 18 जून वर्ष 1858 को ग्वालियर में अंग्रेजों से लड़ते हुए उन्होंने अपनी सेना का कुशल नेतृत्व किया एवं वीरगति को प्राप्त हुई। रानी लक्ष्मीबाई को मध्य प्रदेश के प्रमुख लोगों में से एक माना जाता है जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
अहिल्याबाई होल्कर
अहिल्याबाई होल्कर का जन्म 31 मई वर्ष 1725 में चौंडी नामक गांव में हुआ था जो वर्तमान में महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है। यह भारत के मालवा साम्राज्य की मराठा होलकर की महारानी थी जिन्होंने अपने जीवन काल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए थे। अहिल्याबाई होल्कर ने देश में सैकड़ों मंदिरों, धर्मशालाओं, तालाबों, सड़कों आदि का निर्माण करवाया था। इसके अलावा इन्होंने अपने राज्य की सीमाओं के बाहरी स्थानों में भी कई घाट, कुएं एवं बावड़ियों का भी निर्माण करवाया था। अहिल्याबाई होलकर को इंदौर की महारानी के रूप में भी जाना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने अपने जीवन में कई संघर्ष किए थे जिसके कारण इन्हें मध्य प्रदेश के साथ-साथ पूरे भारत में प्रसिद्धि हासिल हुई थी।
महान संगीतकार तानसेन
भारतीय इतिहास के महान संगीतकार तानसेन का जन्म सन 1500 में मध्य प्रदेश के ग्वालियर नामक शहर में हुआ था। तानसेन का वास्तविक नाम ‘रामतनु गदरिया’ था । इन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान ज्ञाता के रूप में जाना जाता है जिन्हें सम्राट अकबर ने अपने नवरत्नों में शामिल किया था। तानसेन ने अपने जीवन काल में कई गीतों एवं रागों की रचना की थी जिसके कारण उन्हें संगीत जगत का सर्वश्रेष्ठ संगीतकार माना जाता है। कहा जाता है कि तानसेन में संगीत के माध्यम से वर्षा एवं आग उत्पन्न करने की क्षमता थी। इन्होंने बेहद कम उम्र में ही अपनी संगीत यात्रा का आरंभ कर दिया था। माना जाता है कि उन्होंने लगभग 10 वर्षों तक निरंतर स्वामी हरिदास के शिष्य के रूप में संगीत का अध्ययन किया था। तानसेन को भारत के साथ-साथ पूरे विश्व में काफी प्रसिद्धि हासिल हुई थी।
रानी दुर्गावती
रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर वर्ष 1524 को उत्तर प्रदेश के बांदा नामक क्षेत्र में हुआ था। इन्हें इतिहास के कुशल शासकों में से एक माना जाता है क्योंकि इन्होंने लगभग तीन बार मुगल सेना को हराकर अपनी वीरता का प्रमाण दिया था। कहा जाता है कि रानी दुर्गावती के पति की मृत्यु के पश्चात उन्होंने राज्य के सभी कार्यों को बेहतर ढंग से संभाला था। केवल इतना ही नहीं उन्होंने मुगल शासक अकबर के सामने कभी घुटने नहीं टेके थे। रानी दुर्गावती भारत की प्रसिद्ध क्षत्राणी वीरांगना थी जिन्होंने मध्य प्रदेश पर शासन किया था। बचपन से ही उन्हें तलवारबाजी एवं तीरंदाजी सीखने का बहुत शौक था एवं उनकी रुचि शेर एवं चीते का शिकार करने में अधिक थी। रानी दुर्गावती ने अपने जीवन काल में अनेकों मठ, कुएं, धर्मशाला एवं बावड़ी का निर्माण किया था जिसके कारण उन्हें मध्य प्रदेश के साथ-साथ पूरे भारत में काफी प्रसिद्धि हासिल हुई थी।
छत्रसाल
छत्रसाल का जन्म 4 मई वर्ष 1649 को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ नामक क्षेत्र में हुआ था। इन्हें मध्य युग के एक महान प्रतापी योद्धा के रूप में जाना जाता था जिन्होंने मुगल शासक औरंगजेब को पराजित करके बुंदेलखंड में एक स्वतंत्र हिंदू राज्य की स्थापना की थी। माना जाता है कि छत्रसाल का जन्म एक राजपूत परिवार में हुआ था एवं वह ओरछा के रूद्र प्रताप सिंह के वंशज थे। छत्रसाल का संपूर्ण जीवन मुगलों की सत्ता के विरोध में संघर्ष करते हुए व्यतीत हुआ था। वह अपने समय के कुशल एवं प्रतापी राजा माने जाते थे। महाराज छत्रसाल ने मुगल सेना से अनेकों स्थान पर कई लड़ाइयां लड़ी थी जिसमें उन्हें कथित रूप से विजय भी प्राप्त हुई थी। राजा छत्रसाल अपने पराक्रम एवं राष्ट्रप्रेम के लिए जाने जाते थे जिसके कारण वह बुंदेलखंड के राजा बने थे। कहा जाता है कि राजा छत्रसाल की मृत्यु 20 दिसंबर वर्ष 1731 को मऊसहानिया नामक क्षेत्र में हुई थी।
रविशंकर शुक्ल
पंडित रविशंकर शुक्ला का जन्म 2 अगस्त वर्ष 1877 को मध्य प्रदेश के सागर नामक जिले में हुआ था। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के प्रसिद्ध नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्हें 1 नवंबर वर्ष 1956 को मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। पंडित रविशंकर शुक्ल ने राष्ट्रीय आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे सविनय अवज्ञा आंदोलन एवं भारत छोड़ो आंदोलन में एक अहम् भूमिका निभाई थी। इसके अलावा उन्होंने अपने जीवन काल में शिक्षा के क्षेत्र को भी बढ़ावा देने के कई सार्थक प्रयास किये थे जिसके कारण उन्हें मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ था। उनके इसी प्रयासों को देखते हुए भारतीय विधान सभा सचिवालय ने वर्ष 1995- 1996 से उन्हें उत्कृष्ट मंत्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया था। वर्तमान समय में दिल्ली के संसद भवन परिसर में रविशंकर शुक्ल की प्रतिमा मौजूद है।
तात्या टोपे
तात्या टोपे का जन्म 6 जनवरी वर्ष 1814 को महाराष्ट्र के पटौदा नामक जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम पांडुरंग राव भट्ट था एवं माता का नाम रुकमाबाई था। यह भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के प्रमुख सेनानायक माने जाते हैं। इन्हें भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाना जाता था। तात्या टोपे का बचपन नाना साहिब के साथ बीता था। उन्हें बचपन से ही तलवारबाजी, तीरंदाजी करने एवं बंदूक चलाने का शौक था। कहा जाता है कि 5 जून वर्ष 1857 को कानपुर की क्रांति में तात्या टोपे ने एक विशेष भूमिका निभाई थी। उन्होंने देश की आजादी के लिए कई आंदोलनों में खुलकर भाग लिया था। तात्या टोपे ने मध्य प्रदेश की भूमि में रानी लक्ष्मी बाई के साथ मिलकर एक सेना का निर्माण किया जिसके बाद उन्होंने वर्ष 1858 में ग्वालियर में अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध किया था।
रानी अवंती बाई
रानी अवंती बाई का जन्म 16 अगस्त वर्ष 1831 को मध्य प्रदेश के सिवनी नामक जिले में हुआ था। इन्हें पूरे मध्य प्रदेश के रामगढ़ की रानी के रूप में भी जाना जाता है। रानी अवंती बाई ने वर्ष 1857 की क्रांति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। रानी अवंती बाई ने भारत के नागरिकों को देश की रक्षा के लिए प्रेरित करने का कार्य किया था। कहा जाता है कि इन्होंने एक बेहतर राष्ट्र के निर्माण करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसके कारण इन्हें पूरे भारत में जाना जाता है। वर्तमान समय में प्रतिवर्ष 20 मार्च के दिन को रानी अवंती बाई के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
संध्या अग्रवाल
संध्या अग्रवाल का जन्म 9 मई वर्ष 1963 को मध्य प्रदेश के इंदौर नामक क्षेत्र में हुआ था। उन्हें भारत के पूर्व महिला क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में जाना जाता है जो महिला क्रिकेट टीम की कप्तान भी रह चुकी हैं। संध्या अग्रवाल ने अपना अंतिम क्रिकेट मैच 17 नवंबर वर्ष 1995 को खेला था। इन्होंने वर्ष 1984 से 1995 तक लगभग 13 टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने कुल 1110 रन बनाए थे। इसके अलावा उन्होंने अब तक कुल 21 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच भी खेले हैं जिसमें उन्होंने कुल 567 रन 31.50 की औसत से बनाए हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर वर्ष 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर नामक स्थान में हुआ था। वह अपने जीवन काल में लगभग 3 बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे। अटल बिहारी वाजपेयी को एक प्रसिद्ध हिंदी कवि के रूप में भी जाना जाता था। उन्होंने 6 अप्रैल वर्ष 1980 को भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की थी। केवल इतना ही नहीं अटल बिहारी वाजपेई ने वर्ष 1998 में हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण करने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह भारतीय जनता के बीच राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए विशेष रूप से जाने जाते थे। कहा जाता है कि अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी आजीविका की शुरुआत पत्रकारिता के रूप में की थी। उन्होंने अपने जीवन काल में कई कविताओं की रचना की थी जिसे समीक्षकों द्वारा बेहद सराहना मिली थी। इसके अलावा उन्होंने महिला सशक्तिकरण एवं सामाजिक समानता को प्रबल बनाने हेतु कई सार्थक प्रयास भी किए थे जिसके लिए उन्हें आज भी भारतीय नागरिकों द्वारा बेहद पसंद किया जाता है।
डॉ शंकर दयाल शर्मा
डॉ शंकर दयाल शर्मा का जन्म 16 अगस्त वर्ष 1918 को मध्य प्रदेश के भोपाल नामक क्षेत्र में हुआ था। वह भारत के मशहूर वकील एवं राजनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने वर्ष 1992 से 1997 तक भारत के 9 वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था। डॉ शंकर दयाल शर्मा ने कानून, राजस्व, वाणिज्य, उद्योग, सार्वजनिक कार्य एवं कानून के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए थे जिसके लिए उन्हें पूरे भारत में जाना जाता है। कहा जाता है कि डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा अपनी विद्वता, राजनीतिक सूझबूझ एवं देश के लिए समर्पण की भावना के बल पर भारत के राष्ट्रपति बने थे। इन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य रूप से भाग लिया था जिसके कारण इन्हें दो बार कारावास की सजा भी सुनाई गई थी। डॉ शंकर दयाल शर्मा भारत के राष्ट्रपति बनने से पूर्व 21 अगस्त वर्ष 1987 को भारत के उपराष्ट्रपति के पद पर भी निर्वाचित हुए थे।
विजयाराजे सिंधिया
विजयाराजे सिंधिया का जन्म 12 अक्टूबर वर्ष 1919 को मध्य प्रदेश के सागर नामक जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री महेंद्र सिंह ठाकुर था एवं माता का नाम श्रीमती विंदेश्वरी देवी था। विजयाराजे सिंधिया के पति की मृत्यु के पश्चात वह कांग्रेस के टिकट पर संसद सदस्य बनी थी जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस को छोड़कर जनसंघ भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का निर्णय लिया। विजयाराजे सिंधिया ने अपने जीवन काल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए थे जिसके लिए उन्हें पूरे भारतवर्ष में जाना जाता है। उन्हें न्याय एवं समर्पण की मूर्ति कहा जाता था क्योंकि उन्होंने सामाजिक मोह माया को त्याग कर जनसेवा को ही अपने जीवन का आधार बनाया था। विजयाराजे सिंधिया को ‘राजमाता’ के नाम से भी जाना जाता है।
माधवराव सिंधिया
माधवराव सिंधिया का जन्म 10 मार्च वर्ष 1945 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर नामक क्षेत्र में हुआ था। वह राजमाता विजयाराजे सिंधिया एवं जीवाजी राव सिंधिया के पुत्र थे। कहा जाता है कि माधवराव सिंधिया को उनकी माता विजयाराजे सिंधिया जनसंघ (भाजपा) में शामिल करना चाहती थी जिसके कारण उन्होंने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का निर्णय लिया था। माधवराव सिंधिया ने वर्ष 1971 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी जिसमें उन्होंने कांग्रेस के नेता डी. के. जाधव को लगभग 41 हज़ार 90 मतों से हराया था। इसके बाद वर्ष 1977 में उन्होंने जी. एस. ढिल्लन को लगभग 76 हज़ार 451 मतों से हराकर दोबारा अपनी जीत दर्ज की थी। माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर में कई विकास कार्य किए थे जिसके लिए उन्हें मध्य प्रदेश के साथ-साथ पूरे भारत में भी काफी प्रसिद्धि हासिल हुई थी।
अर्जुन सिंह
अर्जुन सिंह का जन्म 5 नवंबर वर्ष 1930 को चुरहट, ब्रिटिश भारत में हुआ था। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ थे जो वर्ष 1980 के दशक में मध्य प्रदेश के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए। वह लगातार दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। इसके अलावा वर्ष 2004 से 2009 के मध्य मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल ने उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में भी चयनित किया था। अर्जुन सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ावा देने का कार्य किया था। उन्होंने निजी लाभ प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों को अपेक्षित शैक्षिक मानकों को पूरा ना कर पाने पर उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। अर्जुन सिंह के कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2000 में उन्हें उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से भी सम्मानित किया था।
डॉ कैलाश नाथ काटजू
डॉ कैलाश नाथ काटजू का जन्म 17 जून वर्ष 1887 को मध्य प्रदेश के मालवा नामक क्षेत्र में हुआ था। वह मध्य प्रदेश राज्य के भूतपूर्व मुख्यमंत्री रहे थे जिन्होंने वर्ष 1957 से 1962 तक मुख्यमंत्री के पदभार को ग्रहण किया था। इन्होंने अपने जीवन काल में कई महत्वपूर्ण रचनाएं की थी। इसके अलावा डॉ कैलाश नाथ काटजू ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम में भी अपना योगदान दिया था। इनका चुनाव क्षेत्र मंदसौर था एवं वे राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के प्रमुख नेता माने जाते थे। उन्होंने मध्य प्रदेश के विकास के लिए कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। इसके साथ ही डॉक्टर कैलाश नाथ काटजू को लोकसभा का सदस्य बनने का भी अवसर मिला था।
प्रकाश चंद्र सेठी
प्रकाश चंद्र सेठी का जन्म 10 अक्टूबर वर्ष 1920 को राजस्थान के झालावाड़ नामक क्षेत्र में हुआ था। वह मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री रहे थे जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के प्रमुख राजनेता के रूप में भी जाने जाते हैं। कहा जाता है कि प्रकाश चंद्र सेठी इंदिरा गांधी से प्रेरणा लेते थे जिसके कारण वह अपने सभी महत्वपूर्ण कार्यों में इंदिरा गांधी की राय एवं मशवरा लेते थे। प्रकाश चंद्र सेठी अपने जीवन काल में दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। उन्होंने सर्वप्रथम 19 जनवरी वर्ष 1972 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर कार्य किया था। इसके अलावा उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया था जिसमें उन्होंने मुख्य रूप से अंग्रेजों के द्वारा संचालित किए जाने वाले महा विश्वविद्यालय शिक्षा पद्धति का बहिष्कार किया था। उनके कार्य को देखते हुए राष्ट्रीय कांग्रेस समिति ने उन्हें वर्ष 1955 से 1956 तक महाराष्ट्र, गुजरात एवं कर्नाटक का क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व करने हेतु नियुक्त किया था।
कैलाश चंद्र जोशी
कैलाश चंद्र जोशी का जन्म 14 जुलाई वर्ष 1929 को मध्य प्रदेश के देवास (हाटपिपल्या) नामक क्षेत्र में हुआ था। वह भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख राजनेता एवं मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री के रूप में जाने जाते हैं। कैलाश चंद्र जोशी 26 जून वर्ष 1977 से 17 जनवरी वर्ष 1978 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। इसके अलावा वह अपने जीवन काल में लगभग 8 बार विधायक एवं दो बार लोकसभा सदस्य के रूप में भी चयनित किए गए थे। कैलाश चंद्र जोशी भोपाल के सांसद थे जिन्होंने अपने क्षेत्र में कई विकास कार्य को बढ़ावा देने का कार्य किया था। इसके साथ ही वर्ष 1955 में उन्हें हाटपिपल्या क्षेत्र के नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में भी चुना गया था।
मोतीलाल वोरा
मोतीलाल वोरा का जन्म 20 दिसंबर वर्ष 1928 को राजस्थान के नागौर नामक जिले में हुआ था। उन्हें प्रमुख भारतीय राजनेता एवं मध्य प्रदेश के बहुचर्चित मुख्यमंत्री के रूप में जाना जाता है। मोतीलाल वोरा के पिता का नाम मोहनलाल वोरा था एवं माता का नाम अंबाबाई था। वर्ष 1972 में मोतीलाल वोरा ने मध्य प्रदेश की विधानसभा से चुनाव जीता एवं राज्य सड़क परिवहन निगम के उपाध्यक्ष के रूप में चयनित हुए। इसके बाद वर्ष 1977 एवं 1980 में उन्हें दोबारा मध्य प्रदेश के विधान सभा में चयनित किया गया था। मोतीलाल वोरा ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के रूप में कार्य किया था जिनका निधन 21 दिसंबर वर्ष 2020 को हुआ था।
उमा भारती
उमा भारती का जन्म 3 मई वर्ष 1959 को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ नामक क्षेत्र में हुआ था। वह भारत की प्रमुख महिला राजनीतिज्ञों में से एक हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा कायाकल्प मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया है। उमा भारती सदैव भगवा वस्त्र धारण करती हैं। उन्हें मध्य प्रदेश की भूतपूर्व मुख्यमंत्री के रूप में भी जाना जाता है। वह मध्य प्रदेश की 22 वीं मुख्यमंत्री बनी थी जिसके 9 महीने बाद ही उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। उमा भारती एक आत्मनिर्भर एवं आत्मविश्वास महिला है जिन्होंने साध्वी की भांति वेशभूषा धारण करने एवं जीवन भर अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करने की प्रतिज्ञा ली है। उमा भारती ने अपना पहला संसदीय चुनाव वर्ष 1984 में खजुराहो से लड़ा था जिसमें उन्हें हार मिली थी। इसके बाद उन्होंने अपनी राजनीतिक छवि को बेहतर बनाया एवं वर्ष 1989 में उन्होंने पुनः खजुराहो से चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें विजय प्राप्त हुई। इसके बाद उमा भारती वर्ष 1991, 1996 एवं 1998 तक खजुराहो के संसदीय सीट पर बनी रहीं। उमा भारती के कार्यों को देखते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें राज्य मंत्री के रूप में मानव संसाधन मंत्रालय, खेल मंत्रालय एवं पर्यटन मंत्रालय आदित्य क्षेत्रों में कार्य करने का अवसर दिया था। उमा भारती को कर्नाटक में सांप्रदायिकता फैलाने एवं दंगे भड़काने के आरोप में 9 माह के बाद ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
पंडित माखनलाल चतुर्वेदी
पंडित माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल वर्ष 1889 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित बाबई नामक क्षेत्र में हुआ था। इन्हें आधुनिक काल के प्रमुख साहित्यकार, लेखक, पत्रकार एवं कवि के रूप में जाना जाता है। पंडित माखनलाल चतुर्वेदी ने अपने जीवन काल में कई महत्वपूर्ण रचनाएं की थी जैसे- समर्पण, माता, हिमकिरीटिनी, युग चारण, वेणु लो गूंजे धरा, बीजुरी काजल आँज रही, साहित्य के देवता, समय के पाँव, कृष्णार्जुन युद्ध आदि। पंडित माखनलाल चतुर्वेदी ने अपने प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात घर पर संस्कृत, गुजराती, बांग्ला, अंग्रेजी आदि भाषाओं का अध्ययन किया था। इन्हें मध्य प्रदेश के प्रमुख लेखक के रूप में जाना जाता है।
शरद जोशी
शरद जोशी का जन्म 21 मई वर्ष 1931 को मध्य प्रदेश के उज्जैन नामक क्षेत्र में हुआ था। इन्हें अनूठे व्यंग रचनाकार के रूप में जाना जाता है जिन्होंने सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण रचनाएं की थी। शरद जोशी भारत के पहले व्यंग्यकार माने जाते हैं जिन्होंने वर्ष 1968 में सर्वप्रथम महाराष्ट्र में ‘चकल्लस’ के मंच पर अपने द्वारा रचित गद्य को प्रस्तुत किया था। शरद जोशी को भारत में कवि के रूप में अधिक लोकप्रियता प्राप्त हुई थी। उन्होंने परिक्रमा, यथासंभव, किसी बहाने, जीप पर सवार झल्लियाँ आदि की रचनाएं की थी। इनकी रचनाओं में मुख्य रूप से व्यंग, कड़वाहट, मनोविनोद, हास्य आदि के गुण देखने को मिलते हैं। इसके अलावा शरद जोशी ने हिंदी टेलीविजन के लिए विक्रम बेताल, सिंहासन बत्तीसी, देवी जी, दाने अनार के आदि जैसे कई धारावाहिक भी लिखे थे।
राजेंद्र माथुर
राजेंद्र माथुर का जन्म 7 अगस्त वर्ष 1935 को मध्य प्रदेश के धार नामक जिले में हुआ था। वह अपने समय के प्रमुख पत्रकार के रूप में जाने जाते थे। कहा जाता है कि राजेंद्र माथुर ने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही कर दी थी। उन्होंने अपने कौशल के द्वारा पत्रकारिता जगत में एक विशेष स्थान प्राप्त किया था। राजेंद्र माथुर हिंदी पत्रकारिता को मुख्य धारा में लाए जाने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपने पत्रकार जीवन की शुरुआत ‘नई दुनिया’ नामक दैनिक पत्र के माध्यम से की थी। उन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर गहन अध्ययन एवं जानकारी प्रदान की थी जिसके कारण उन्हें मध्य प्रदेश के साथ-साथ पूरे भारत में काफी प्रसिद्धि हासिल हुई थी। इसके अलावा राजेंद्र माथुर के अधिकांश लेखन में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, लोहिया एवं मार्क्स के विचारों का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय परंपराओं एवं संस्कृति की कमियों को दूर करने के कई प्रयास किए थे।
लता मंगेशकर
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर वर्ष 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर नामक जिले में हुआ था। वह भारत की सबसे लोकप्रिय एवं प्रतिष्ठित गायिका थी जिन्होंने लगभग 30 से अधिक भाषाओं में गीत गाए हैं। लता मंगेशकर को भारतीय हिंदी सिनेमा की प्रमुख गायिका के रूप में भी जाना जाता है। इन्हें भारत की कोकिला भी कहा जाता है। बचपन से ही लता मंगेशकर को गीत एवं संगीत के प्रति विशेष रूचि थी जिसके कारण 5 वर्ष की आयु से ही उन्होंने संगीत का अध्ययन करना आरंभ कर दिया था। कहा जाता है कि जब लता जी 13 वर्ष की थी तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी जिसके बाद परिवार का बोझ उनके ऊपर आ गया था। यही कारण है कि वह कभी स्कूल नहीं गई थी। आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने हिंदी एवं मराठी फिल्मों में अभिनय करना शुरू कर दिया था जिसके बाद उन्हें हिंदी सिनेमा में गायन करने का अवसर प्राप्त हुआ। लता मंगेशकर छोटी-मोटी भूमिकाएं अदा करने के साथ-साथ गीत भी गाया करती थी। शुरुआती दौर में उन्हें काफी कड़े संघर्ष करने पड़े थे जिसके बाद उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी।
किशोर कुमार
किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त वर्ष 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा नामक क्षेत्र में हुआ था। किशोर कुमार का वास्तविक नाम आभास कुमार गांगुली था। उन्हें भारतीय हिंदी सिनेमा के उम्दा कलाकारों में से एक माना जाता है। किशोर कुमार हिंदी सिनेमा के बेहतरीन गायक एवं अभिनेता के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने अपने जीवन काल में हिंदी, बंगाली, मराठी, मलयालम आदि भाषाओं में कई गीतों की रचना की थी। इसके अलावा किशोर कुमार को सर्वश्रेष्ठ गायक के रूप में 8 फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने वर्ष 1946 को सर्वप्रथम हिंदी अभिनेता के रूप में अपनी आजीविका की शुरुआत की थी। किशोर कुमार ने 90 के दशक में सर्वाधिक मात्रा में गीत गाए थे जिसके लिए उन्हें आज भी एक प्रसिद्ध गायक के रूप में जाना जाता है।
मौलाना बरकतुल्ला
मौलाना बरकतुल्ला का जन्म 7 जुलाई वर्ष 1854 को मध्य प्रदेश के भोपाल नामक क्षेत्र में हुआ था। इन्हें अब्दुल हाफिज मोहम्मद बरकतउल्ला के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए कई आंदोलनों में भाग लिया था। मौलाना बरकतुल्ला ने पूरे विश्व में मुसलमानों के बीच एकता एवं भाईचारे को स्थापित करने के लिए कई दौरे किए थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया था। मौलाना बरकतुल्ला की मृत्यु 20 सितंबर वर्ष 1927 को भोपाल में हुई थी।
बालकवि बैरागी
बालकवि बैरागी का जन्म 10 फरवरी वर्ष 1931 को मध्य प्रदेश के मंदसौर नामक क्षेत्र में हुआ था। वह भारत के प्रसिद्ध कवि, लेखक एवं राजनेता के रूप में जाने जाते थे जो मुख्य रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे। बालकवि बैरागी का वास्तविक नाम नंदराम दास बैरागी था। कहा जाता है कि बालकवि बैरागी ने अपने जीवन काल में 25 से अधिक पुस्तकें एवं कई उपन्यासों की रचना की थी। इन्होंने गौरव गीत, दो टूक, दरद दीवानी आदि जैसी महत्वपूर्ण काव्य संग्रह की रचना की थी। इसके अलावा बालकवि बैरागी मध्य प्रदेश सरकार के प्रमुख मंत्री एवं लोकसभा के सदस्य के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। कहा जाता है कि बालकवि बैरागी की मृत्यु 13 मई वर्ष 2018 को मानसा में उनके निवास स्थान में हुई थी।
टंट्या भील (टंट्या मामा)
टंट्या भील का जन्म वर्ष 1840 में मध्य प्रदेश के खंडवा नामक क्षेत्र में हुआ था। वह भारत में क्षत्रिय आदिवासी नायक के रूप में जाने जाते थे। वह पूरे भारत में ‘रॉबिनहुड’ के नाम से प्रसिद्ध है। वह भील समुदाय के सदस्य थे जिनका वास्तविक नाम तांतिया था। मध्यप्रदेश के स्थानीय लोगों उन्हें टंट्या मामा के नाम से संबोधित किया करते थे। वह निशानेबाजी एवं गोरिल्ला युद्ध में निपुण माने जाते थे जिनका मुख्य हथियार ‘दावा’ या ‘फलिया’ था। कहा जाता है कि टंट्या भील ने अपनी आखरी सांस तक अपने आदिवासी समुदाय की रक्षा करने का दायित्व उठाया था। 19वीं शताब्दी के आरंभ में उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन चलाए थे जिसके कारण उन्हें कई बार कारावास की सजा भी सुनाई गई थी।
महर्षि महेश योगी
महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी वर्ष 1918 को छत्तीसगढ़ में स्थित पांडुका गांव में हुआ था। महर्षि महेश योगी का वास्तविक नाम महेश प्रसाद वर्मा था। इन्होंने योग एवं साधना के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए थे जिसके कारण इन्हें प्रमुख योग गुरुओं में से एक माना जाता है। महर्षि महेश योगी ने योग एवं ध्यान को विश्व के कई देशों तक पहुंचाने का कार्य किया था। उन्होंने 40 एवं 50 के दशक में हिमालय में विभिन्न गुरुओं के माध्यम से योग एवं ध्यान की शिक्षा ग्रहण की थी। महर्षि महेश योगी का मानना था कि योग साधना के माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य एवं आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ावा मिलता है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में महर्षि महेश योगी को एक संत के रूप में भी जाना जाता है।
उस्ताद अमीर खां
उस्ताद अमीर खां का जन्म 15 अगस्त वर्ष 1912 को मध्य प्रदेश के इंदौर नामक क्षेत्र में हुआ था। इन्हें भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायक के रूप में जाना जाता है। उस्ताद अमीर खान को कला के क्षेत्र में भारत सरकार ने वर्ष 1971 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था। अमीर खां की गायन शैली में आध्यात्मिकता, ख्याल एवं ध्रुपद शैली का मिश्रण देखने को मिलता है। इन्हें भारत के सर्वश्रेष्ठ संगीतकारों में से एक माना जाता है। उनका मानना था कि किसी भी संगीत की रचना में काव्य की एक अहम भूमिका होती है जो संगीत को विशेष बनाने का कार्य करती है। इसके अलावा उस्ताद अमीर खां अपने संगीत में मुख्य रूप से झुमरा एवं एकताल का भी प्रयोग किया करते थे।
पढ़ें – मध्य प्रदेश की कला एवं संस्कृति।