मध्य प्रदेश के ऊर्जा संसाधन : परंपरागत एवं गैर परंपरागत

मध्य प्रदेश के ऊर्जा संसाधन : परंपरागत एवं गैर परंपरागत

मध्य प्रदेश के ऊर्जा संसाधन – परंपरागत एवं गैर परंपरागत (Energy Resources of Madhya Pradesh) : मध्य प्रदेश को ऊर्जा संसाधनों के लिए भारत का एक समृद्ध राज्य माना जाता है जहां परंपरागत एवं गैर परंपरागत ऊर्जा संसाधनों के कई स्रोत मौजूद हैं। मध्य प्रदेश में भारत का दूसरा सबसे बड़ा ऊर्जा संसाधन मौजूद है। इस राज्य में 10 सितंबर वर्ष 1948 को विद्युत प्रदाय अधिनियम को लागू किया गया था जिसके पश्चात 1 दिसंबर वर्ष 1950 को इस प्रदेश में देश के प्रथम विद्युत मंडल का गठन किया गया, जिसका मुख्यालय जबलपुर में स्थित है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में ऊर्जा विकास निगम की स्थापना सन 1982 में की गई थी। मध्य प्रदेश में दो प्रकार के ऊर्जा संसाधन पाए जाते हैं पहला परंपरागत ऊर्जा स्रोत एवं दूसरा गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोत।

परंपरागत ऊर्जा के स्रोत किसे कहते हैं (What Are The Sources of Conventional Energy)

परंपरागत ऊर्जा के स्रोत वह होते हैं जो सामान्यतः प्रकृति के माध्यम से प्राप्त किए जाते हैं और जिनका इस्तेमाल केवल सीमित मात्रा में ही किया जा सकता है। परंपरागत ऊर्जा के स्रोतों को अनवीनीकरण स्रोत के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इनका किसी भी प्रकार से नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है। पृथ्वी पर मौजूद ऐसे ऊर्जा के स्रोतों का सदियों से उपयोग किया जाता रहा है। इनका उपयोग करना बेहद सुगम एवं सुविधाजनक माना जाता है। अतः यह आसानी से प्रयोग किए जाने वाले तत्व होते हैं। माना जाता है कि परंपरागत ऊर्जा के स्रोतों में ऐसे तत्व शामिल होते हैं जो प्रदूषण कारक नहीं होते हैं।

गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोत किसे कहते हैं (What Are Non-Conventional Sources of Energy)

गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोत वह होते हैं जिन्हें सूर्य अथवा जल के माध्यम से उत्पन्न किया जाता है। पृथ्वी पर लगभग हर प्रकार की ऊर्जा मौजूद होती है जिसका उपयोग मनुष्यों द्वारा कई महत्वपूर्ण कार्यों में किया जाता है। प्राकृतिक ऊर्जा के स्रोतों में परिवर्तन करके कई प्रकार की ऊर्जा का गठन किया जाता है जिसका उपयोग विश्व के लगभग हर देश में किया जाता है। विश्व भर के वैज्ञानिक गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोतों की प्राप्ति के लिए निरंतर शोध एवं प्रयास करते रहते हैं। माना जाता है कि गैर परंपरागत ऊर्जा पूर्ण रूप से सहज एवं प्रदूषण रहित होती है जिसके कारण इसका उपयोग कई महत्वपूर्ण कार्यों जैसे बिजली बनाने, सोलर कुकर बनाने, सोलर वाटर हीटर बनाने आदि कार्यों के लिए किया जाता है।

मध्य प्रदेश के ऊर्जा संसाधन

मध्य प्रदेश में परंपरागत ऊर्जा के स्रोत (Sources of Traditional Energy in Madhya Pradesh)

मध्य प्रदेश के परंपरागत ऊर्जा के स्रोत कुछ इस प्रकार हैं:-

  • प्राकृतिक गैस
  • परमाणु ऊर्जा
  • जल विद्युत ऊर्जा
  • कोयला
  • पेट्रोलियम
  • बायोमास
  • लकड़ी

प्राकृतिक गैस (Natural Gas)

प्राकृतिक गैसों को एक जीवाश्म ईंधन के रूप में जाना जाता है जो विभिन्न प्रकार के महत्वपूर्ण कार्यों के लिए बेहद उपयोगी माने जाते हैं। प्राकृतिक गैस प्रदूषण रहित होती हैं जो पर्यावरण को किसी भी प्रकार से हानि नहीं पहुंचाती हैं। आधुनिक युग में इसका उपयोग कई प्रकार के कार्यों में किया जाता है जैसे खाना बनाने, उर्वरक तैयार करने, विभिन्न प्रकार के धातुओं के शुद्धिकरण करने, वायुयानों का इंधन बनाने आदि। प्राकृतिक गैसों में कई प्रकार की गैसों का मिश्रण भी पाया जाता है जिसमें मीथेन की सर्वाधिक मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा प्राकृतिक गैसों में मीथेन के साथ-साथ प्रोपेन, ब्यूटेन, पेंटेन, एथेन आदि गैसें भी पाई जाती हैं।

पिपरिया (होशंगाबाद जिला) के अनहोनी, राजगढ़, जबेरा (दमोह) और पूर्वी मध्य प्रदेश के अन्य हिस्सों में प्राकृतिक गैस होने के प्रमाण मिले हैं। जबेरा और खरखरी क्षेत्रों में हाइड्रोकार्बन / प्राकृतिक गैस के स्रोत मिले हैं।

परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy)

परमाणु ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा के नाम से भी जाना जाता है जिसकी उत्पत्ति प्लूटोनियम एवं यूरेनियम जैसे खनिज पदार्थों को परिष्कृत करके रिएक्टर की सहायता से नाभिकीय विखंडन के द्वारा होती है। माना जाता है कि परमाणु ऊर्जा किसी भी देश को विकासशील देश में रूपांतरित करती है क्योंकि यह ऊर्जा काफी लंबे समय तक मनुष्य की ऊर्जा संबंधी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम होती है। अन्य ऊर्जाओं की तुलना में परमाणु ऊर्जा बेहद कम मात्रा में अधिक से अधिक ऊर्जा का उत्पादन करती है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के महत्वपूर्ण कार्यों में किया जाता है। परमाणु ऊर्जा की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने मध्य प्रदेश के मंडला नामक जिले में चुटका परमाणु विद्युत संयंत्र का प्रस्ताव रखा है जिसका कार्य वर्तमान समय में निर्माणाधीन है।

मध्य प्रदेश के मंडला जिले के चुटका गांव में मध्य प्रदेश का पहला परमाणु बिजली घर (Nuclear Power Plant) स्थापित किया जा रहा है। जहाँ 700 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता के दो न्यूक्लियर प्लांट स्थापित किये जायँगे जिससे कुल 1400 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होगा। इस न्यूक्लियर प्लांट से उत्पादित बिजली में 50 फीसदी बिजली मध्य प्रदेश को और बाकि 50 फीसदी केंद्र को मिलेगी।

जल विद्युत ऊर्जा (Hydroelectric Power)

जल विद्युत ऊर्जा को जल की गतिज ऊर्जा के माध्यम से उत्पन्न किया जाता है। इस ऊर्जा को आपूर्ति एवं प्रदूषण मुक्त संसाधन के रूप में भी परिभाषित किया गया है। भारत में स्थित मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य है जो जल विद्युत ऊर्जा के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वर्ष 2002 में मध्य प्रदेश में विद्युत मंडल का पुनर्गठन किया गया था जिसमें लगभग 5 कंपनियां शामिल थी। मध्य प्रदेश में जल विद्युत परियोजना का निर्माण मंदसौर, चित्तौड़, खरगोन, खंडवा, छिंदवाड़ा, जबलपुर आदि क्षेत्रों में किया गया है।

कोयला (Coal)

कोयला वह कार्बनिक पदार्थ है जिसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है। यह ऊर्जा के प्रमुख स्रोतों में से एक माना जाता है। मध्य प्रदेश में कोयले की कई खदानें पाई जाती हैं जो शहडोल, छिंदवाड़ा, सिंगरौली, उमरिया, बैतूल, अनूपपुर, सोहागपुर, जोहला, सतपुरा आदि क्षेत्रों में मौजूद हैं। सिंगरौली मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र है। मध्य प्रदेश में लगभग 16 कोयले की खदान संचालित होती हैं जहां से प्रतिवर्ष भारी मात्रा में कोयले का खनन किया जाता है। कोयला उत्पादन में मध्य प्रदेश देश के चौथे स्थान पर है। कहा जाता है कि इस प्रदेश में उच्चतम गुणवत्ता वाला कोयला प्राप्त किया जाता है जिसे भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी निर्यात किया जाता है। मध्य प्रदेश में कुल कोयला भंडार 27.99 बिलियन टन है। मध्य प्रदेश में भारत के कुल कोयला भंडार का लगभग 7.71 % मौजूद है।

पेट्रोलियम (Petroleum)

पेट्रोलियम एक प्राकृतिक ऊर्जा है जिसका प्रयोग कई प्रकार के आधुनिक मशीनों में किया जाता है। यह धरती के भीतर से पाए जाने वाला एक संतृप्त हाइड्रोकार्बन पदार्थ होता है जिसे शुद्धिकरण करके उपयोग में लाया जाता है। पेट्रोलियम को धात्विक तेल एवं कच्चे तेल के नाम से भी जाना जाता है। आधुनिक युग में पेट्रोलियम को काला सोना (Black Gold) भी कहा जाता है। कुछ आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में प्रतिदिन लगभग 2.77 करोड़ लीटर पेट्रोलियम की खपत होती है। इस प्रदेश में इंदौर, जबलपुर, भोपाल, ग्वालियर आदि क्षेत्रों में कई तेल की कंपनियां मौजूद हैं जो पूरे देश में पेट्रोल व डीजल को निर्यात करते हैं।

बायोमास (Biomass)

बायोमास वह जीवधारी पदार्थ होते हैं जिनका उत्पादन जैव-रासायनिक प्रतिक्रिया के माध्यम से होता है। माना जाता है कि इस प्रकार की ऊर्जा का निर्माण स्वयं प्रकृति के माध्यम से होता है। यह नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत होते हैं जो लकड़ी, जैविक खाद एवं अन्य कार्बनिक पदार्थ को जलाने के कारण उत्पन्न होते हैं। बायोमास का उपयोग बिजली बनाने, ऊष्मा पैदा करने एवं इंधन के रूप में किया जाता है। बायोमास की उपयोगिता को देखते हुए भारत सरकार ने देश का पहला बायोमास आधारित हाइड्रोजन संयंत्र मध्य प्रदेश के खंडवा नामक जिले में स्थापित करने का निर्णय लिया है। यह भारत का सर्वप्रथम बायोमास आधारित हाइड्रोजन संयंत्र होगा जिससे प्रतिदिन लगभग 30 टन बायोमास फीडस्टॉक से लगभग 1 टन हाइड्रोजन का उत्पादन होगा।

लकड़ी (Wood)

लकड़ी या काष्ठ एक कार्बनिक पदार्थ है जिसका उपयोग एक ईंधन के रूप में किया जाता है। यह मुख्य रूप से पेड़ों के द्वारा प्राप्त किए जाते हैं। माना जाता है कि लकड़ी बेहतर ढंग से ऊष्मा को उत्पन्न कर सकती है जिसके कारण इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के महत्वपूर्ण कार्यों में किया जाता है। दरअसल, लकड़ी को जलाने से उसमें उपस्थित जल एवं वाष्पशील पदार्थ नष्ट हो जाते हैं जिसके बाद उसके अवशेष के रूप में केवल चारकोल (कोयला) रह जाता है। चारकोल बिना ज्वाला के अधिक समय तक जलता है एवं इससे बेहद कम मात्रा में प्रदूषण होता है जिसके कारण इसे ऊर्जा के दृष्टिकोण से इसे एक बेहतर विकल्प माना जाता है। मध्य प्रदेश में ढेरों वन पाए जाते हैं जहां से भारी मात्रा में लकड़ी को प्राप्त किया जाता है।

मध्य प्रदेश में गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोत (Non-Conventional Energy Sources in Madhya Pradesh)

मध्य प्रदेश के गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोत कुछ इस प्रकार हैं:-

  • पवन ऊर्जा
  • बायोगैस
  • सौर ऊर्जा
  • ज्वारीय ऊर्जा
  • भूतापीय ऊर्जा
  • बायोडीजल

पवन ऊर्जा (Wind Power)

पवन ऊर्जा एक गैर परंपरागत ऊर्जा है जिसकी उत्पत्ति वायु की गति के माध्यम से होती है। यह ऊर्जा पूर्ण रूप से प्रकृति पर निर्भर रहती है। माना जाता है कि पवन ऊर्जा कभी न खत्म होने वाली वह ऊर्जा है जिसका प्रयोग बिजली का निर्माण करने हेतु किया जाता है। पवन ऊर्जा को उत्पन्न करने के लिए तेज हवा चलने वाले स्थानों पर कई पवन चक्कियां लगाई जाती हैं जिसके द्वारा वायु की गतिज ऊर्जा को यांत्रिक एवं विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। मध्य प्रदेश में पवन ऊर्जा का निर्माण देवास नामक जिले में किया जाता है जहां से लगभग 5500 मेगावाट तक पवन ऊर्जा को संरक्षित किया जाता है।

बायोगैस (Biogas)

बायोगैस वह गैस होती है जिसका निर्माण जैव रासायनिक प्रतिक्रिया के माध्यम से किया जाता है। इस गैस का मुख्य घटक मीथेन गैस होती है। बायोगैस का निर्माण करने हेतु मुख्य रूप से जैविक कचरे का प्रयोग किया जाता है जिसके कारण इसे बायोगैस के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा बायोगैस में कार्बन डाइऑक्साइड एवं हाइड्रोजन सल्फाइड गैस भी मौजूद होती है। यह एक नवीकरणीय ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। बायोगैस का उपयोग एक जीवाश्म ईंधन के रूप में भी किया जा सकता है। कहा जाता है कि यह गैस बेहद कम मात्रा में प्रदूषण करती है जिसके कारण इस गैस को वातावरण के लिए बेहतर माना जाता है। मध्य प्रदेश में देश के पहले बायो मीथेनेशन प्लांट की स्थापना 9 जनवरी वर्ष 2017 में भोपाल में की गयी थी। इस में ठोस कचरे का प्रयोग करके बिजली स्ट्रीट लाइट एवं अन्य उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।

सौर ऊर्जा (Solar Energy)

सौर ऊर्जा वह ऊर्जा होती है जिसे सूर्य के प्रकाश के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। यह ऊर्जा बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इसका प्रयोग सभी पेड़-पौधों, जीव-जंतुओं एवं मनुष्यों के द्वारा व्यापक रूप से किया जाता है। विश्व भर में सौर ऊर्जा का प्रयोग मुख्य रूप से विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है। यह नवीकरणीय ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। सौर ऊर्जा के माध्यम से विद्युत उत्पन्न करने के लिए देश के कई राज्यों में सोलर पैनल का प्रयोग किया जाता है। मध्य प्रदेश में सौर ऊर्जा का सर्वाधिक निर्माण नीमच नामक जिले में किया जाता है जिसकी शुरुआत फरवरी वर्ष 2014 में हुई थी। माना जाता है कि मध्य प्रदेश में देश की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना को स्थापित किया गया है।

ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Energy)

ज्वारीय ऊर्जा जल विद्युत ऊर्जा का एक स्वरूप है जिसे ज्वार-भाटे में जल के स्तर में उतार-चढ़ाव के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। ज्वारीय ऊर्जा की उत्पत्ति लगभग 200 से 400 मीटर गहरे पानी में तापमान में तेजी से आने वाले परिवर्तन के कारण होती है। इस ऊर्जा को दोहन सागर के किसी क्षेत्र पर बांध बनाकर उत्पन्न किया जाता है। यह बांध टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है जिससे पर्याप्त बिजली का उत्पादन होता है। भारत में ज्वारीय ऊर्जा का निर्माण कच्छ की खाड़ी में किया जाता है जहां से लगभग 1200 मेगावाट की ज्वारीय ऊर्जा को एकत्रित किया जाता है।

भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy)

भूतापीय ऊर्जा को जियोथर्मल पावर के नाम से भी जाना जाता है जिसे पृथ्वी में उपस्थित संग्रहित ताप के माध्यम से ग्रहण किया जाता है। इस ऊर्जा को संग्रहित करने के लिए भूतापीय विद्युत संयंत्र का सहारा लिया जाता है जो बिजली उत्पादन के लिए भाप का उपयोग करते हैं। यह ऊर्जा मुख्य रूप से ज्वालामुखी, गर्म झरने एवं फ्यूमरोल्स (वह क्षेत्र जहां से अत्यधिक मात्रा में गैसें प्रवाहित होती हैं) के माध्यम से प्राप्त होती हैं। मध्य प्रदेश में लगभग 25.30 गीगावॉट तक भूतापीय ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। इसके अलावा इस प्रदेश में 1.7 गीगावॉट क्षमता की भी परियोजनाएं निर्माणाधीन है जिसमें कई प्रकार की अन्य परियोजनाएं भी शामिल हैं।

बायोडीजल (Biodiesel)

बायोडीजल वह ईंधन है जिसे वनस्पति तेलों, पीले तेलों, पशु वसा, प्लास्टिक आदि से प्राप्त किया जाता है। बायोडीजल को संशोधित करके उपयोग में लाया जाता है। यह एक पारंपरिक अथवा जीवाश्म डीजल का वैकल्पिक ईंधन माना जाता है जिसका उपयोग कई प्रकार के महत्वपूर्ण कार्यों में किया जाता है। इस ईंधन का निर्माण ट्रांसएस्टरीफिकेशन के माध्यम से किया जाता है जो मुख्य रूप से वसा एवं तेलों को बायोडीजल में परिवर्तित करने की एक प्रक्रिया होती है। वर्तमान समय में मध्य प्रदेश के विदिशा नामक क्षेत्र में बायोडीजल का निर्माण किया जाता है जहां लगभग 1 किलोग्राम प्लास्टिक की सहायता से लगभग 400 मिली लीटर डीजल बनाया जाता है।

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