मध्य प्रदेश की जलवायु

मध्य प्रदेश की जलवायु

मध्य प्रदेश की जलवायु : मध्य प्रदेश की जलवायु उष्ण कटिबंधीय (मानसूनी) प्रकार की है जो भारत की जलवायु का ही एक रूप है। धरती के किसी भी भाग पर लंबे समय तक वर्षा, आर्द्रता, वायु प्रवाह, गति एवं ताप की उपस्थिति को उस क्षेत्र की जलवायु कहा जाता है। समुद्र तट से अधिक दूरी, प्राकृतिक वनस्पति, औसत ऊंचाई, अक्षांश की स्थिति, वायु दिशा आदि के कारण मध्य प्रदेश की जलवायु बेहद प्रभावित होती है। माना जाता है कि मध्य प्रदेश में अन्य प्रदेशों की तुलना में अधिक गर्मी होती है क्योंकि कर्क रेखा मध्य प्रदेश के बीच से होकर गुजरती है।

जलवायु के आधार पर मध्य प्रदेश के भाग

जलवायु के आधार पर मध्य प्रदेश को निम्न भागों में विभाजित किया गया है:-

  • मालवा का पठार
  • उत्तर का मैदानी क्षेत्र
  • नर्मदा घाटी क्षेत्र
  • बघेलखंड पठार क्षेत्र
  • विंध्य पर्वतीय क्षेत्र

मालवा का पठार

मालवा का पठार विंध्य की पहाड़ियों के आधार पर एक त्रिभुजीय पठार है जिसे एक लावा पठार के नाम से भी जाना जाता है। यह मध्य प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में स्थित बुंदेलखंड एवं उत्तर पश्चिमी के अरावली पहाड़ियों पर स्थित है। यहां की जलवायु शुष्क महाद्वीप का एक स्वरूप है जहां ग्रीष्म ऋतु में सामान्य तापमान पर गर्मी एवं शीत ऋतु के समय सामान्य तापमान पर सर्दी होती है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में स्थित मालवा के पठार पर सर्वाधिक गर्मी प्रतिवर्ष मई के माह में होती है। इसके साथ ही इस क्षेत्र में अधिकांश वर्षा अरब सागर के मानसून से प्रभावित होकर होती है।

उत्तर का मैदानी क्षेत्र

मध्य प्रदेश के उत्तरी मैदानी क्षेत्र में ग्रीष्म काल के दौरान औसत तापमान लगभग 40 से 45.50 सेंटीग्रेड एवं शीत ऋतु के दौरान यहां का तापमान लगभग 15 डिग्री सेल्सियस से 18 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा रहता है। मध्य प्रदेश में स्थित अधिकांश क्षेत्रों की जलवायु महाद्वीपीय प्रकार की मानी जाती है। समुद्र तट से अधिक दूरी होने के कारण इस क्षेत्र में सर्वाधिक गर्मी एवं सर्वाधिक सर्दियों को महसूस किया जा सकता है। कहा जाता है कि इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष 75 सेंटीमीटर तक औसत वर्षा होती है जिसके कारण इस क्षेत्र को उप-आर्द्र प्रदेश की श्रेणी में रखा गया है। इन क्षेत्रों में मध्य भारत, बुंदेलखंड एवं रीवा-पन्ना के पठार शामिल है।

नर्मदा घाटी क्षेत्र

मध्य प्रदेश में स्थित नर्मदा घाटी क्षेत्र कर्क रेखा के बेहद समीप है जिसके कारण इस क्षेत्र में ग्रीष्म ऋतु के दौरान सर्वाधिक मात्रा में गर्मी एवं शीत ऋतु के दौरान साधारण तापमान में सर्दी रहती है। सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होने के कारण इस क्षेत्र में तापमान एवं दाब पर निरंतर परिवर्तन होते रहता है जिसके कारण यहां की जलवायु प्रभावित होती है। नर्मदा घाटी क्षेत्र में अधिकतर गर्मी मई के माह में होती है एवं दिसंबर के माह में यहां का तापमान अधिक ठंडा हो जाता है। इसके अलावा इस क्षेत्र के पूर्वी भाग में प्रतिवर्ष लगभग 142.5 सेंटीमीटर एवं पश्चिमी क्षेत्रों में 57.5 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है।

बघेलखंड पठार क्षेत्र

बघेलखंड पठार क्षेत्र ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित है। कहा जाता है कि बघेलखंड पठार क्षेत्र की जलवायु मानसूनी है जिसका प्रमुख कारण यह है कि इस क्षेत्र पर कर्क रेखा मध्य से होकर गुजरती है। बघेलखंड पठार क्षेत्र में ग्रीष्म ऋतु के दौरान सामान्य रूप से गर्मी एवं शीत ऋतु के दौरान सामान्य तापमान पर सर्दी होती है। बघेलखंड पठार क्षेत्र में सर्वाधिक गर्मी मई के माह में होती है जिसका औसत तापमान लगभग 35.5 डिग्री सेल्सियस तक होता है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में स्थित इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष लगभग 125 सेंटीमीटर तक भी वर्षा होती है। भौगोलिक दृष्टिकोण से कर्क रेखा बघेलखंड पठार क्षेत्र को दो भागों में विभाजित करती है जिसके कारण इस क्षेत्र की जलवायु मानसूनी प्रकार की हो जाती है। बघेलखंड पठार क्षेत्र की औसत ऊंचाई लगभग 400 मीटर है एवं इस क्षेत्र में सोन नदी का विस्तृत रूप देखने को मिलता है।

विंध्य पर्वतीय क्षेत्र

मध्य प्रदेश में स्थित विंध्य पर्वतीय क्षेत्र सम जलवायु क्षेत्र है जहां ग्रीष्म ऋतु के दौरान सामान्य रूप से गर्मी एवं शीत ऋतु के दौरान साधारण तापमान पर सर्दियां होती हैं। मध्य प्रदेश के अमरकंटक, पचमढ़ी आदि पर्यटन क्षेत्र विंध्य पर्वतीय क्षेत्रों के अंतर्गत आते हैं। माना जाता है कि यह क्षेत्र स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि यहां का तापमान पूरे वर्ष सामान्य प्रतीत होता है। इसके अलावा विंध्य पर्वतीय क्षेत्रों में अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी की शाखाओं के माध्यम से वर्षा होती है।

मध्य प्रदेश की ऋतुएँ

  • ग्रीष्म ऋतु
  • वर्षा ऋतु
  • शीत ऋतु

ग्रीष्म ऋतु

मध्य प्रदेश में ग्रीष्म ऋतु का आगमन प्रतिवर्ष मार्च के माह में होता है जो जून माह तक रहता है। ग्रीष्म ऋतु में मध्य प्रदेश का तापमान लगभग 40 से 42.5 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। माना जाता है कि समताप रेखा ग्रीष्म ऋतु के दौरान मध्य प्रदेश को दो बराबर भागों में विभाजित करती है जिसके कारण इसका अधिकतम तापमान लगभग 42.5 डिग्री तक पहुंच जाता है। मध्य प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में ग्रीष्म ऋतु के दौरान धूल भरी आंधी एवं तेज हवाएं चलती हैं जिसे स्थानीय भाषा में “लू” कहा जाता है। इसके अलावा इस प्रकार के मौसम में आसमान साफ रहता है।

वर्षा ऋतु

मध्य प्रदेश में वर्षा ऋतु का आगमन जून माह से होता है जो अक्टूबर माह तक चलता है। मध्य प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में लगभग 112 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है। माना जाता है कि इस प्रदेश में मौजूद अधिकतर पहाड़ी और पठारी क्षेत्रों पर सर्वाधिक वर्षा होती है एवं अन्य क्षेत्रों में सामान्य रूप से वर्षा होती है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में सितंबर एवं अक्टूबर माह में बेहद कम वर्षा होती है जिसके कारण यहां के तापमान में वृद्धि होती है जिसे द्वितीय ग्रीष्म ऋतु के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि मध्य प्रदेश में स्थित ग्वालियर, दतिया, मुरैना एवं दक्षिणी बालाघाट के क्षेत्रों में सर्वाधिक गर्मी होती है। इसके साथ ही सतपुड़ा के महादेव पर्वत एवं अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में लगभग 23 सेंटीमीटर तक औसत वर्षा होती है।

शीत ऋतु

मध्य प्रदेश में शीत ऋतु का आगमन नवंबर के माह से होता है जो फरवरी तक चलता है। इस प्रदेश में अधिकतम सर्दियां दिसंबर से जनवरी माह के बीच होती हैं। शीत ऋतु में मध्य प्रदेश के उत्तरी पश्चिमी क्षेत्रों में पश्चिमी विक्षोभ के कारण हल्की-हल्की वर्षा भी होती है जिसे स्थानीय भाषा में ‘मावठ’ के नाम से जाना जाता है। शीत ऋतु के दौरान जनवरी माह में मध्य प्रदेश का तापमान लगभग 15 डिग्री सेल्सियस से 18 डिग्री सेल्सियस के मध्य रहता है। कहा जाता है कि इस प्रदेश के दक्षिणी क्षेत्र में लगातार तापमान की वृद्धि होती रहती है। इसके अलावा इस प्रदेश में 21.10 की समताप रेखा जनवरी के माह में दक्षिणी एवं उत्तरी क्षेत्र को दो भागों में विभाजित करती है। दिसंबर के माह में होने वाली वर्षा के कारण मध्य प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में शीत की प्रबलता में वृद्धि होती है।

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