मध्य प्रदेश की प्रमुख लोक कलाएं ( Major folk Arts of Madhya Pradesh in Hindi )

मध्य प्रदेश की प्रमुख लोक कलाएं

मध्य प्रदेश की प्रमुख लोक कलाएं ( Major folk Arts of Madhya Pradesh in Hindi ) : मध्य प्रदेश मध्य भारत का एक राज्य है जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। यह कई पारंपरिक लोक कलाओं का घर है जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं। ये लोक कलाएं राज्य की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और स्थानीय लोगों और पर्यटकों द्वारा समान रूप से मनाई जाती हैं। जीवंत चित्रों से लेकर जटिल मूर्तियों तक, मध्य प्रदेश में विभिन्न प्रकार की लोक कलाएँ हैं जो यहाँ के लोगों की रचनात्मकता और कौशल को प्रदर्शित करती हैं। इस लेख में, हम मध्य प्रदेश की कुछ प्रमुख लोक कलाओं और क्षेत्र में उनके महत्व के बारे में जानेंगे।

मध्य प्रदेश की प्रमुख लोक कलाएं (Major folk Arts of Madhya Pradesh)

मध्यप्रदेश की प्रमुख लोक कलाएं कुछ इस प्रकार हैं:-

  • काष्ठ शिल्प
  • शिल्प कला
  • कंघी कला
  • छिपा शिल्प कला
  • खराद शिल्प
  • टेराकोटा शिल्प
  • महेश्वरी साड़ी
  • लाख शिल्प
  • मिट्टी शिल्प
  • तीर धनुष कला
  • बांस शिल्प
  • पत्ता शिल्प
  • धातु शिल्प
  • कठपुतली शिल्प
  • गुड़िया शिल्प

काष्ठ शिल्प (Wood Craft)

काष्ठ शिल्प मध्य प्रदेश की प्राचीनतम कलाओं में से एक है। माना जाता है कि इस कला का उद्गम आदिम युग से हुआ है। इस कला के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के देवी-देवताओं की मूर्तियां, घरों के दरवाजे, लकड़ी के मुकुट, गाड़ी के पहिए आदि का निर्माण किया जाता है। काष्ठ शिल्प की कला मध्य प्रदेश के कोरकू एवं भील आदिवासी क्षेत्रों में सबसे अधिक प्रचलित मानी जाती है।

शिल्प कला

शिल्प कला मध्य प्रदेश की प्रमुख कलाओं में से एक मानी जाती है। यह कला कौशल एवं रचनात्मक कौशल से युक्त एक विशेष प्रकार की कलाकृति होती है जिसका निर्माण मुख्य रूप से व्यापार करने के लिए किया जाता है। शिल्प कला वह कलाकृतियां होती हैं जिनका संबंध धार्मिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र से होता है। शिल्पकला को हस्तकला के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसका निर्माण आमतौर पर हाथों से या सरल उपकरणों की सहायता से किया जाता है।

कंघी कला (Comb Art)

कंघी कला मध्य प्रदेश की बंजारा जनजाति की एक प्रसिद्ध कला है जो उज्जैन, रतलाम, नीमच आदि क्षेत्रों में काफी प्रचलित है। इस कला के अंतर्गत बंजारा जनजाति के सदस्य कंघियों के द्वारा विशेष प्रकार की कलाकृतियों का निर्माण करते हैं। प्राचीन काल से ही यह कला मध्य प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में व्यापक रूप से की जाती है। इसके अलावा कंघी कला मध्य प्रदेश की जनजातियों के मध्य सुंदरता एवं प्रेम का प्रतीक भी मानी जाती है।

छिपा शिल्प कला (Chipa Shilp Craft)

छिपा शिल्प कला मध्य प्रदेश की प्रमुख कलाओं में से एक मानी जाती है। इसमें कपड़ों पर हाथों के द्वारा विभिन्न प्रकार की आकृतियां अंकित की जाती हैं जो मध्य प्रदेश के उज्जैन, कुक्षी, मनावर एवं भेरूगढ़ नामक क्षेत्रों में काफी प्रचलित है। यह भील आदिवासी जनजातियों के द्वारा बनायी जाने वाली विशेष प्रकार की कला है। छिपा शिल्प कला से निर्मित उत्पादों की मांग पूरे भारत के साथ-साथ विदेशों में भी समान रूप से होती है।

खराद शिल्प (Kharad Craft)

खराद शिल्प मध्य प्रदेश के रीवा, मुरैना, बुंदेलखंड आदि क्षेत्रों में काफी प्रचलित है। इस कला के अंतर्गत दूधी, कदंब, सागवान आदि वृक्षों की लकड़ी पर खराद करके घर के दरवाजे, चौखट, खिलौने एवं सजावट की सामग्रियां बनाई जाती हैं। यह मध्य प्रदेश की प्राचीनतम कलाओं में से एक है जिसमें लकड़ी के स्वरूप को बदलकर उसे उपयोग में लाने योग्य बनाया जाता है।

टेराकोटा शिल्प (Terracotta Crafts)

टेराकोटा शिल्प कला मध्य प्रदेश की प्रमुख कलाओं में से एक मानी जाती है जिसमें मुख्य रूप से पारंपरिक एवं धार्मिक प्रतिमाओं का निर्माण किया जाता है। यह कला आमतौर पर मध्य प्रदेश के गोंड़, बैगा, धीमा, प्रधान आदि जनजातियों द्वारा बनायी जाने वाली एक प्रमुख कलाकृति है। टेराकोटा शिल्प कला में फुलवारी देवी की प्रतिमाएं सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा इस प्रकार के शिल्प में विभिन्न प्रकार के खिलौने, गमले एवं सजावट के उत्पादों का भी निर्माण किया जाता है।

महेश्वरी साड़ी (Maheshwari Saree)

महेश्वरी साड़ी एक विशेष प्रकार की साड़ी है जिसका निर्माण मध्य प्रदेश में व्यापक रूप से किया जाता है। इस कला के अंतर्गत सूती एवं रेशम से निर्मित साड़ी पर विशेष प्रकार की कला को स्थापित किया जाता है जिसका श्रेय अहिल्याबाई होलकर को दिया गया है। यह साड़ियां पक्के रंग की होती हैं जो देश-विदेश में निर्यात की जाती है। इसके अलावा महेश्वरी साड़ियों में अन्य प्रकार की कलाकृतियां भी की जाती हैं जो इसे अन्य साड़ियों से विशेष बनाती हैं।

लाख शिल्प (Lakh Craft)

लाख शिल्प एक विशेष प्रकार की कला होती है जो मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के उज्जैन, इंदौर, मंदसौर, रतलाम आदि क्षेत्रों में पारंपरिक रूप से की जाती है। इस प्रकार के शिल्प के अंतर्गत लाख के चूड़े, खिलौने, डिब्बे, कलात्मक खिलौने, श्रृंगार संबंधित वस्तुओं आदि का निर्माण किया जाता है। यह मध्य प्रदेश की प्रमुख कलाकृतियों में से एक मानी जाती है जिसकी मांग भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी होती है।

मिट्टी शिल्प (Clay Craft)

मिट्टी शिल्प कला मध्य प्रदेश के साथ-साथ भारत के अन्य राज्यों में भी व्यापक रूप से की जाती है। इसके अंतर्गत कच्ची मिट्टी की सहायता से अनेक प्रकार के उत्पाद जैसे बर्तन, खिलौने, मूर्तियां, सजावट की वस्तुएं आदि का निर्माण किया जाता है। माना जाता है कि मिट्टी शिल्प कला का आरंभ आदिकाल से हुआ था। मिट्टी शिल्प कलाओं का निर्माण मध्य प्रदेश के झाबुआ, मंडला एवं बैतूल जैसे क्षेत्रों में सर्वाधिक मात्रा में किया जाता है।

तीर-धनुष कला (Arrow-Bow Art)

तीर धनुष कला मध्य प्रदेश के भील आदिवासी जनजातियों में विशेष रूप से प्रचलित है। भील जनजाति के सदस्य तीर धनुष कला का निर्माण बांस, लकड़ी, रेशम की रस्सी आदि से करते हैं। माना जाता है कि यह कला भारत की प्राचीनतम कलाओं में से एक है। यह कला भील जनजाति के साथ-साथ कुमार एवं पहाड़ी कोरवा आदि जनजातियों में भी बेहद प्रचलित है।

बांस शिल्प (Bamboo Craft)

माना जाता है कि मध्य प्रदेश में बांस शिल्प कला का प्रमुख केंद्र झाबुआ मंडला है। इस क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासियों के द्वारा बांस के माध्यम से विशेष प्रकार की वस्तुएं बनायी जाती हैं। आरंभिक दिनों में यह आदिवासी बांस के द्वारा अपने जीवन से संबंधित केवल उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करते थे। परंतु बाद में इसका निर्माण व्यापार करने के उद्देश्य से भी किया जाने लगा। यह आदिवासी बांस के माध्यम से अद्भुत शिल्प एवं उपयोगी वस्तुओं को तैयार करके उसका व्यापार भी करते हैं।

पत्ता शिल्प (Leaf Craft)

पत्ता शिल्प कला मध्य प्रदेश की प्रमुख कलाओं में से एक मानी जाती है जिसमें वृक्ष के सूखे पत्तों के माध्यम से विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां बनाई जाती हैं। इसका उपयोग आमतौर पर सजावट की वस्तुएं बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा पेड़ के पत्तों से विभिन्न प्रकार के खिलौने, आसन, मुकुट आदि भी बनाए जाते हैं।

धातु शिल्प (Metal Craft)

धातु शिल्प कलाओं का निर्माण मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के सतना नामक जिले में किया जाता है। धातु शिल्प के अंतर्गत सोना, चांदी, पीतल, तांबा, कांसे आदि की सहायता से विशेष प्रकार की कलात्मक वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। इस प्रकार के शिल्प का प्रयोग मुख्य रूप से सजावट एवं गहने बनाने के लिए किया जाता है।

कठपुतली शिल्प (Puppet Craft)

कठपुतली शिल्प कला मध्य प्रदेश की प्राचीनतम कलाकृतियों में से एक मानी जाती है। इसके माध्यम से भारत के साथ-साथ विश्व के प्राचीनतम रंगमंच पर तरह-तरह के मनोरंजक कार्यक्रमों को आयोजित किया जाता है। यह आमतौर पर ऐतिहासिक एवं पौराणिक कथाओं पर आधारित होता है जिसे एक नाटकीय रूप में प्रस्तुत किया जाता है। मध्य प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में कठपुतली शिल्प कला में अनारकली, अकबर-बीरबल, पुंगी वाला घुड़सवार आदि कथाएं प्रचलित है।

गुड़िया शिल्प (Doll Craft)

गुड़िया शिल्प कला मध्य प्रदेश की पारंपरिक कलाओं में से एक मानी जाती है। इसके अंतर्गत कपड़े, लकड़ी एवं कागज से विभिन्न प्रकार की गुड़िया का निर्माण किया जाता है। इसे मध्य प्रदेश के ग्वालियर अंचल में विशेष रूप से बनाया जाता है। गुड़िया शिल्प कला अपने विशिष्ट प्रकार के आकार एवं वेशभूषा के लिए जानी जाती है जो मध्य प्रदेश की पुरानी परंपरा एवं सभ्यता का प्रतीक भी मानी जाती है।

पढ़ें – मध्य प्रदेश के प्रमुख लोक संगीत और मध्य प्रदेश के प्रमुख त्योहार

प्रातिक्रिया दे

Your email address will not be published.